Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Sep, 2017 03:41 PM
पंजाब की धरती पीरों, पैगंबरों व गुरुओं की धरती मानी जाती है, जहां हर वर्ष उनकी याद में हजारों धार्मिक मेले लगते हैं। ऐसा ही एक मालवे का प्रसिद्ध धार्मिक मेला माइसरखाने का मशहूर है
मानसा (जस्सल): पंजाब की धरती पीरों, पैगंबरों व गुरुओं की धरती मानी जाती है, जहां हर वर्ष उनकी याद में हजारों धार्मिक मेले लगते हैं। ऐसा ही एक मालवे का प्रसिद्ध धार्मिक मेला माइसरखाने का मशहूर है, जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु नतमस्तक होकर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। इस बार यह मालवे का प्रसिद्ध मेला माइसरखाना 26 सितम्बर को लग रहा है।
हिंदू-सिख एकता का प्रतीक मेला माइसरखाना अस्सू व चैत्र के नवरात्रों दौरान छठे नवरात्रे को लगता है। इसमें पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली, राजस्थान के लाखों श्रद्धालु नतमस्तक होकर मन्नत मांगते हैं। गांव माइसरखाना में बने माता ज्वाला जी के इस मंदिर में हर 6 महीनों बाद अस्सू व चैत्र के नवरात्रों को छठ की रात को भारी मेला भरता है और मेले में लाखों श्रद्धालु माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पहुंचते हैं।
मंदिर कमेटी के दफ्तर सचिव रजिन्द्र राजी, नेता अशोक गार्गी व मंदिर प्रधान सतपाल बांसल ने बताया कि इस मेले दौरान श्री सनातन धर्म महावीर दल पंजाब हैड ऑफिस माइसरखाना के पंजाब, हरियाणा व राजस्थान के सैंकड़ों वालंटियर श्रद्धालुओं की सेवा के लिए उपलब्ध होंगे और सिविल और पुलिस प्रशासन की तरफ से भी पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। उन्होंने बताया कि मेले संबंधी तैयारियां जोरों के साथ की जा रही हैं।
मेले में भक्तों की सुविधा के लिए जैसे लंगर, फ्री डिस्पैंसरी, जूता घर हर जरूरी प्रबंध किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह मंदिर करीब 400 वर्ष पुराना है। इस मंदिर में माता ज्वाला जी की तरफ से अपने भक्त कमालू को दिए वायदे अनुसार अस्सू व चैत्र के नवरातों की छठ को ज्योति रूप में बिराजमान होते हैं। हर बार मेले में पांच लाख के करीब श्रद्धालु माथा टेकते हैं।