Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Oct, 2017 05:11 PM
पंजाब में केबल टीवी को लेकर एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद पंजाब में कांग्रेस सरकार के दो मंत्री आमने सामने आ गए हैं।
चंडीगढ़ः सत्ता में आने के बाद से फास्टवे के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिद्धू अब खुद ही इसके जाल में फंस गए हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने बड़ी चतुराई से जांच की बजाए इस मामले में खुद निपटने की जिम्मेदारी सिद्धू पर डाल दी है।
मंत्री नवजोत सिद्धू के विभाग के अनुमान ने पंजाब में केबल कनैक्शनों की संख्या के बारे में अपना दावा मना करते कहा कि डी.टी.एच. पर कम कर, केबल टीवी पर प्रति कनैक्शन लेवी फास्टवे के एकाधिकार को खत्म नहीं कर सकते हैं। सिद्धू ने अब इस बात को महसूस किया कि लाफ्टर शो में हंसना तथा किक्रेट के मैदान में छक्के मारने से कही मुश्किल है केवल टीवी व्यवसाय से निपटना।
सिद्धू ने सात साल में फास्टवे पर बीस हजार करोड़ की टैक्स चोरी का आरोप लगाया था। सिद्धू ने दावा किया कि वो इस मामले को निर्णायक अंत तक पहुंचा कर रहेंगे लेकिन फास्टवे से निपटना उनके लिए कठिन साबित हो रहा है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने कहा इस मामले में कोई प्रतिशोधी राजनीति अौर न ही सेंसरशिप नीति अपनाए। इतना ही नहीं सीएम ने सिद्धू पर सबूत की जिम्मेदारी भी डाल दी है।
गौरतलब है कि 16 अक्तूबर को प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में नई केबल पॉलिसी को मंजूरी के बाद डीटीएच उपभोक्ताओं को प्रति माह 50 रुपए लाभ मिलने का रास्ता साफ हो गया है। राज्य में केबल माफिया के खिलाफ स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की लड़ाई आखिरकार छह माह बाद रंग लाई है। पंजाब मंत्रिमंडल के इस निर्णय से राज्य में केबल कारोबार पर काफी असर पड़ने की संभावना है। इससे सरकार काे भी अच्छा राजस्व मिलेगा।
बताया जाता है कि नई पॉलिसी के तहत डीटीएच उपभोक्ताओं को प्रतिमाह करीब 50 रुपये कम देने होंगे। पहले डीटीएच ऑपरेटर उपभोक्ताओं से 60 रुपये प्रति कनेक्शन तक टैक्स वसूलते थे और सरकार को लमसम रकम देकर खुद मोटा लाभ कमाते थे, लेकिन अब सरकार ने टैक्स तय कर दिया है, तो ऑपरेटर उपभोक्ताओं से अतिरिक्त 60 रुपए नहीं वसूल पाएंगे।
पंजाब सरकार के फैसले से केबल सर्विस प्रोवाइडर कंपनी फास्ट वे पर शिकंजा कसेगा। स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के अनुसार, फास्ट वे के पास करीब 25 लाख केबल कनैक्शन हैं। इस लिहाज से उसे अब प्रति कनैक्शन पांच रुपए टैक्स के हिसाब से प्रति वर्ष एक करोड़ 25 लाख रुपए देने होंगे।
बताया जाता है कि अभी तक केबल ऑपरेटर सरकार को टैक्स देने में बड़े पैमाने पर चोरी करते थे। इसी के आधार पर सिद्धू ने 20 हजार करोड़ रुपए के घोटाले का दावा किया था। उन्होंने दावा किया था कि फास्ट वे के वास्तविक कनेक्शनों की संख्या 40 लाख से ज्यादा है। मल्टीप्लेक्सों व मनोरंजन पार्कों को जीएसटी के चलते टैक्स से बाहर रखा गया है।