Edited By Suraj Thakur,Updated: 02 Nov, 2019 05:41 PM
करतारपुर कॉरिडोर का जिक्र आएगा तो सिद्धू का नाम जरूर आएगा, बशर्ते इतिहास लिखने में भी सियासत न हो।
अमृतसर। संजीव शर्मा (संकुश ) सभी धर्मों के आदरणीय और सिख पंथ के प्रवर्तक बाबा नानक जी के 550 वें जनमोत्स्व पर पाकिस्तान सरकार द्वारा श्री करतारपुर साहब गुरु घर के दर्शनों के लिए भारतीय श्रद्धालुओं को रास्ता खोले जाने का काम सराहनीय है। आजादी के बाद से चली आ रही सिख संगत की एक बड़ी मांग थी यह जो आज पूरी होने जा रही है। अब तक सिख श्रद्धालु भारतीय सीमा से दूरबीन के सहारे ही यहां के दर्शन करते थे या फिर पासपोर्ट, वीजा और लाहौर, कराची के रास्ते यह संभव था। अभी गुरु नानक जी के जन्मोत्सव के दौरान पाकिस्तान की सरकार ने पासपोर्ट की अनिवार्यता को भी समाप्त कर दिया है। जब यह काम सिरे चढ़ गया है तो आज पूरे देश में सियासी गिद्ध इस मसले का श्रेय लेने टूट पड़े हैं। कोई वोट बैंक के चक्कर में फीस माफ करने की बात कर रहा है तो कोई दुसरी सुविधाओं की। लेकिन हम सब शायद यह भूल गए हैं कि यह सिर्फ एक शख्स का किया कराया है। नाम है .. नवजोत सिंह सिद्धू।
जफ्फी के लिए हुए थे बदनाम
... इमरान सरकार के शपथ ग्रहण में इमरान खान और उससे भी ज्यादा पाकिस्तानी सेना के प्रमुख कमर बाजवा के साथ जफ्फी को लेकर चर्चित और फिर बदनाम हुए सिद्धू ही दरअसल इस सबके श्रेय के हकदार हैं। उसी जफ्फी के दौरान इमरान और बाजवा का..करतारपुर कॉरिडोर खोलने-- वाला ब्यान आया था। अब कान में किसने क्या कहा यह तो बाजवा और सिद्धू ही जानते हैं, लेकिन सिद्धू ने जो कहा वो यही था कि उन्होंने करतारपुर कॉरिडोर खोलने को हामी भरी है। बाद में हालात कुछ ऐसे हुए कि सिद्धू देश के सबसे बड़े विलेन बन गए। मंत्रिपद तक चला गया।
फोटो कैप्शन: सिद्धू अपनी पत्नी नवजोत कौर के साथ
नेपथ्य मैं सिद्धू
आजकल नेपथ्य मैं हैं। लेकिन मेरा निजी मत है कि जब कभी भी सिख इतिहास में इस नए करतारपुर कॉरिडोर का जिक्र आएगा तो सिद्धू का नाम जरूर आएगा (बशर्ते इतिहास लिखने में भी सियासत न हो ) आज अगर करतारपुर कॉरिडोर बनकर तैयार है और उससे भी बड़ी बात के कॉरिडोर खुल रहा है तो इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ। .. सिद्धू-इमरान दोस्ती है। .. सिद्धू इस लिहाज़ से सिख संगत के आशीर्वाद के पात्र हैं। वैसे भी अंग्रेजी की पुराणी कहावत है--- we must give the devil,his due ---- हम उन प्रयासों को कतई नजरअंदाज नहीं कर रहे हैं जो अलग-अलग सरकारों ने इस मसले पर किये। मसला तो नेहरू-जिन्नाह युग से ही था। लेकिन कहीं ठंडे बस्ते में। बाद में अत-नवाज दौर में इसे थोड़ा बाहर निकाल कर झाड़ पोंछ जरूर हुई लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी।
फोटो कैप्शन: अपने परिवार के साथ नवजोत सिंह सिद्धू
दर्शन शुल्क पाकिस्तान का अधिकार
पाकिस्तान ने श्री करतारपुर साहब के दर्शनों के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालुओं से सामान्य समय में बीस डॉलर शुल्क वसूलने का फाइनल किया है। इस पर चर्चा हो रही है। हमारा मानना है कि यह पाकिस्तान सरकार का हक है। पाकिस्तान सरकार ने करतारपुर कॉरिडोर और उससे भी बढ़कर करतारपुर गुरु घर के कायाकल्प पर बिना शक बहुत खर्चा किया है। गुरुघर के आस पास काफी निर्माण किया गया है। सुविधाएं जुताई गयी हैं। कुछ जमीन भी अटैच की गयी है। इस सब को मैंटेन करने के लिए जो धन आएगा वो इसी शुल्क से आएगा। लिहाजा इस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने यह शुल्क वहां करने का ऐलान किया है। हम इसके भी खिलाफ हैं। इसमें सियासत नहीं होनी चाहिए। बेहतर होगा यह पैसा भारत में शिख संस्थानों का प्रबंध देखने वाली शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी करे।