सिद्धू की मजबूत होती लॉबी से कैप्टन घबराए

Edited By swetha,Updated: 09 Dec, 2018 08:35 AM

navjot sidhu and captain

पंजाब कांग्रेस में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू का आपसी टकराव नए रंग लेने लगा है। श्री करतारपुर साहिब कॉरीडोर को लेकर जनता का दिल जीतने वाले नवजोत सिंह सिद्धू पार्टी के भीतर भी पहली पसंद बनते नजर आ रहे हैं।...

जालंधर(रविंदर): पंजाब कांग्रेस में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू का आपसी टकराव नए रंग लेने लगा है। श्री करतारपुर साहिब कॉरीडोर को लेकर जनता का दिल जीतने वाले नवजोत सिंह सिद्धू पार्टी के भीतर भी पहली पसंद बनते नजर आ रहे हैं। वहीं कैप्टन की लगातार अनदेखी से नाराज पार्टी विधायक भी अब गुपचुप तरीके से सिद्धू का समर्थन करने लगे हैं। कुछेक मंत्रियों के अलावा अधिकांश सांसदों व विधायकों का समर्थन सिद्धू के साथ ही खड़ा दिखाई दे रहा है। कुल मिलाकर प्रदेश में सिद्धू की मजबूत होती लॉबी से कैप्टन भी घबराए हुए नजर आ रहे हैं। 

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श्री करतारपुर न जाने पर कैप्टन की हुई किरकिरी
श्री करतारपुर कॉरीडोर को लेकर पंजाब की जनता की वाहवाही एक तरफ सिद्धू के खाते में गई तो वहीं पाकिस्तान न जाने के फैसले को लेकर कैप्टन की न केवल जनता बल्कि पार्टी के भीतर भी जमकर किरकिरी हुई। कैप्टन की फेसबुक पर ही प्रदेश की जनता ने कैप्टन के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली और कहा कि जब पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तो तब वहां से हाथी व घोड़े क्यों लेकर आए थे। लोगों ने तो यहां तक कहा कि अगर पाकिस्तान से आतंकवादी आ रहे हैं तो पाकिस्तान से ही कैप्टन की दोस्त अरूसा भी आ रही है और पंजाब सरकार के खर्चे पर यहां रह रही है। दूसरी तरफ श्री करतारपुर कॉरीडोर एपिसोड के बाद 5 राज्यों में हो रहे चुनाव प्रचार के दौरान भी नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब से स्टार प्रचारक के रूप में पार्टी की पहली पसंद बने हुए हैं। अगर राजस्थान व छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब हो जाती है तो निश्चित तौर पर सिद्धू का सियासत में कद और ऊंचा होगा। 

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सिद्धू ने पावर का इस्तेमाल कर उतरवाए ‘पंजाब दा कैप्टन साडा कैप्टन’ होर्डिंग 

सिद्धू के लगातार बढ़ते कद को रोकने के लिए पहले तो कैप्टन खेमे ने अपने विधायकों से प्रदेश भर में ‘पंजाब दा कैप्टन साडा कैप्टन’ के होर्डिंग लगवाए थे। मगर सिद्धू ने अपने विभाग की पावर का इस्तेमाल कर कई जिलों से इन होर्डिंग्स को उतरवा दिया। इसके बाद अपने कुनबे को मजबूत करने के लिए कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने लंच डिप्लोमेसी का सहारा लिया और वीरवार को पंजाब भवन में सभी विधायकों को लंच पर बुलाया। कैप्टन को लगा था कि पार्टी के विधायक तो उनसे मिलने को तरसते हैं।  लंच पर बुलावा आने पर वे भागे-भागे पंजाब भवन में पहुंच जाएंगे मगर हुआ इसके बिल्कुल उलट। बुलावा तो 70 के करीब विधायकों को दिया गया था मगर पहुंचे मात्र 20 से 25 ही। इसकी सूचना जब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह को मिली कि लंच पर बेहद कम विधायक पहुंचे हैं तो उन्होंने खुद ही लंच से किनारा कर लिया। रहे-सहे विधायक भी नाराज होकर चलते बने। 

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रखी जा सकती है नई राजनीति की नींव
पिछले महीने से गर्माई पंजाब की सियासत में कैप्टन के लगातार डगमगाते कदम आने वाले दिनों में नई राजनीति की नींव रख सकते हैं। पिछले डेढ़ साल से कोई सुनवाई न होने से पहले ही पार्टी के विधायक व दूसरी कतार के नेता कैप्टन की कार्यप्रणाली से बेहद खफा चल रहे हैं। ऐसे में सिद्धू के लगातार बढ़ते कदम भी अब कैप्टन की कुर्सी को खतरे में डाल सकते हैं। 

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