Edited By Updated: 30 Jan, 2017 10:13 AM
सपनों के पंजाब के बारे में बोलते हुए गायक रणजीत राणा ने कहा कि मेरे सपनों का पंजाब एक ऐसा राज्य है जहां लोग आज भी गांवों में प्रेम-प्यार से रहते हैं। सामाजिक समानता, आपसी सांझ व अपनेपन का माहौल चारों ओर से पंजाब को खुशहाल राज्य बना रहा है।
सपनों के पंजाब के बारे में बोलते हुए गायक रणजीत राणा ने कहा कि मेरे सपनों का पंजाब एक ऐसा राज्य है जहां लोग आज भी गांवों में प्रेम-प्यार से रहते हैं। सामाजिक समानता, आपसी सांझ व अपनेपन का माहौल चारों ओर से पंजाब को खुशहाल राज्य बना रहा है। मेरा सपना है कि मौजूदा पंजाब भी कुछ ऐसा ही हो। जहां ईमानदारी का झंडा बुलंद हो और भ्रष्टाचार का पतन हो। एक ऐसा पंजाब हो जहां बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो। हर व्यक्ति सुकून भरा जीवन व्यतीत करे।
अगर बात करें मौजूदा पंजाब की तो अब यहां के लोगों में वह आपसी प्यार व भाईचारक सांझ बिल्कुल खत्म होती जा रही है। लोक अकेलेपन का जीवन व्यतीत करने चाहते हैं लेकिन वे भूल गए हैं कि जो संस्कार, मान-सत्कार व विरासत से जुडऩे का अवसर संयुक्त परिवारों से मिलता है वह अकेलेपन से नहीं। आज जरूरत है सामाजिक समानता कायम करने की, जात-पात, ऊंच-नीच से ऊपर उठ कर सोचने की।
पंजाब ने बेहद तरक्की की है। यहां के निवासियों ने इस तरक्की के दौर में पंजाबी विरसे को कहीं न कहीं छोड़ दिया है, पर वे सामाजिक कुरीतियों को अभी भी अपना रहे हैं। आज हर कोई रोल माडल वाला जीवन व्यतीत करना चाहता है। वह चाहता है कि वह किसी न किसी तरीके से अपने आसपास के लोगों में चर्चा का विषय बना रहे। वह अच्छे के साथ-साथ बुरा काम करने से भी परहेज नहीं करता। सोशल मीडिया ऐसे लोगों से भरा पड़ा है। बेशक सोशल मीडिया पंजाबियों को तरक्की के रास्ते पर लाया है पर सोशल मीडिया के गलत प्रयोग ने इस अच्छे साधन को बदनाम कर दिया है।
आज जरूरत है सोशल मीडिया के उचित इस्तेमाल की ताकि अच्छे संदेश देने वाले, कला क्षेत्र व अन्य जनहित क्षेत्रों से जुड़े लोगों को एक अच्छा प्लेटफार्म जो लोगों तक आसानी से पहुंच करने वाला हो, मिल सके। सिर्फ सोशल मीडिया ही दूषित नहीं हुआ बल्कि पंजाब का वातावरण भी दूषित हुआ है। एक समय था जब पंजाब अपने स्वच्छ व हरे-भरे वातावरण के लिए दुनिया भर में जाना जाता था लेकिन आज पंजाब का वातावरण ठीक नहीं है। आज जरूरत है पंजाब के वातावरण को संभालने की। लोग वातावरण को संभालने के लिए केवल पौधे ही न लगाएं बल्कि उनकी देखरेख भी करें।
पहले आए मोबाइल युग ने पंजाब के गांवों में लगती चौपालों का महत्व खत्म कर दिया। फिर आए सैल्फी युग ने लोगों को मोबाइल के साथ खतरनाक हद तक जोड़ दिया है। लोग सैल्फी लेने की होड़ में अपनी जान तक की परवाह नहीं करते। एक पंजाब था जो अपनी आजादी के लिए पहले मुगलों व अंग्रेजी शासकों से लड़ा और आज का पंजाब है जो सैल्फी लेने के चक्कर में अपनी जान गंवा रहा है। मौजूदा दौर में पंजाबी भाषा का अन्य भाषाओं के साथ मिलन खतरनाक है। पंजाबी भाषा के अन्य भाषाओं के साथ मिलन के कारण रिश्ते भी अंकल-आंटी तक सीमित होकर रह गए हैं। कई बच्चे यह भी नहीं जानते कि मासड़, बुआ, फूफा, ताया, ताई आदि भी कोई रिश्ते होते हैं। पंजाबी अमीर भाषा है। इसको बोलने के लिए किसी अन्य भाषा को सहायक भाषा के रूप में इस्तेमाल करना गलत बात है। शुद्ध पंजाबी भाषा आज भी कई गांवों में बोली जाती है। जरूरत है इस शुद्ध भाषा को पुन: पंजाब में लागू करने की। लोग मतदान करने जरूर जाएं और ईमानदारी से मतदान करें।