नगर निगम को वेतन देने में फिर आ रही दिक्कत

Edited By swetha,Updated: 12 Sep, 2018 08:46 AM

municipal corporation jalandhar

काफी समय से जालंधर नगर निगम आर्थिक तंगी का शिकार है, जिस कारण तमाम विकास कार्य रुके पड़े हैं। वेतन न मिलने को लेकर निगम यूनियनों द्वारा कई बार हड़ताल की जा चुकी है। कुछ समय पहले हुई हड़ताल के दौरान विधायक परगट सिंह तथा मेयर जगदीश राजा ने निगम...

जालंधर(खुराना): काफी समय से जालंधर नगर निगम आर्थिक तंगी का शिकार है, जिस कारण तमाम विकास कार्य रुके पड़े हैं। वेतन न मिलने को लेकर निगम यूनियनों द्वारा कई बार हड़ताल की जा चुकी है। कुछ समय पहले हुई हड़ताल के दौरान विधायक परगट सिंह तथा मेयर जगदीश राजा ने निगम यूनियनों को आश्वासन दिया था कि चौथा दर्जा कर्मचारियों को हर माह 10 तारीख तक वेतन दे दिया जाया करेगा। पर अभी भी निगम को अपने कर्मचारियों को वेतन देने में अभी भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

नगर निगम के कर्मचारी साल में करीब 200 करोड़ रुपए का वेतन लेते हैं, ऐसे में हर महीने निगम को वेतनों के लिए 15-16 करोड़ रुपए का इंतजाम करना होता है, जो इसके लिए काफी मुश्किल भरा कार्य है। निगम कर्मचारियों का वेतन जी.एस.टी. शेयर पर निर्भर करता है, जो सरकार की ओर से प्राप्त होता है। इस माह निगम को जी.एस.टी. शेयर के रूप में अभी तक केवल 2.76 करोड़ रुपए ही मिले हैं। निगम के खजाने में 3.50 करोड़ रुपए पहले ही मौजूद हैं। ऐसे में कई कर्मचारियों को पिछले माह का वेतन रिलीज तो किया गया है, परन्तु उन्हें भत्तों का भुगतान नहीं किया गया। 

डी.सी.एफ.ए. कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार अभी तक मात्र 20 प्रतिशत कर्मचारियों को ही वेतन दिया जा सका है। इस महीने जी.एस.टी. की एक और किस्त आने की उम्मीद है, जिसके बाद सभी कर्मचारियों को वेतन मिलने की संभावना है। गौरतलब है कि पिछले कई महीनों से निगम कर्मचारियों को किस्तों में वेतन दिया जा रहा है जिस कारण कर्मचारियों में नाराजगी पाई जा रही है। अगर अब वेतनों में देरी हुई तो निगम में हड़ताल की नौबत भी आ सकती है। 

रिकवरी के लक्ष्य पूरे नहीं
निगम कमिश्नर दीपर्व लाकड़ा ने कार्यभार संभालते ही निगम की रिकवरी के हर महीने के लक्ष्य निर्धारित किए थे परंतु उनके प्रयासों के बावजूद रिकवरी के लक्ष्य पूरे नहीं हो रहे। अनुमान के मुताबिक निगम स्टाफ को हर महीने पांच करोड़ रुपए राजस्व की वसूली करनी चाहिए परन्तु अभी तक वसूली प्रक्रिया में तेजी नहीं आई है, जिस कारण निगम को जी.एस.टी. शेयर की ओर देखना पड़ रहा है।

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