निकाय मंत्री का अपना गृह क्षेत्र ई-गवर्नैंस को लेकर फिसड्डा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Sep, 2017 04:20 PM

municipal corporation

पंजाब सरकार का स्थानीय निकाय विभाग ई-गवर्नैंस को लेकर पूरे जोर-शोर से लगा हुआ है लेकिन अमृतसर नगर निगम इसमें फिसड्डी होता नजर आ रहा है। मंत्री सिद्धू द्वारा हर पत्रकारवार्ता में ई-गवर्नैंस को लेकर जोर देने की बात की जाती है लेकिन उनके गृह क्षेत्र के...

अमृतसर (रमन): पंजाब सरकार का स्थानीय निकाय विभाग ई-गवर्नैंस को लेकर पूरे जोर-शोर से लगा हुआ है लेकिन अमृतसर नगर निगम इसमें फिसड्डी होता नजर आ रहा है। मंत्री सिद्धू द्वारा हर पत्रकारवार्ता में ई-गवर्नैंस को लेकर जोर देने की बात की जाती है लेकिन उनके गृह क्षेत्र के अपने विभाग में इसकी शुरूआत नहीं की गई है जबकि लुधियाना नगर निगम में इसे लेकर काफी हद तक काम पूरा कर लिया गया है। 

सरकार से 2 बार आ चुकी है चिट्ठी
सूत्रों के अनुसार निगम में 2 बार ई-गवर्नैंस को लेकर सरकार द्वारा चिट्ठी आ चुकी है लेकिन वह चिट्ठी विभागों में अधिकारियों द्वारा एक-दूसरे को मार्क ही हो रही है और किसी को नहीं पता कि वह चिट्ठी कहां है। अब बैंक कर्मी ही हर विभाग में जाकर विभाग प्रमुख को इसके बारे में जागरूक कर रहे हैं और डाटा देने की बात कह रहे हैं लेकिन कुछ विभागों के काले कारनामे सामने आने के डर से वे अपना डाटा देने में हिचकिचा रहे हैं। अमृतसर नगर निगम में किसी विभाग ने ई-गवर्नैंस में काम लाने के लिए पहल नहीं की है।  

डाटा देने में आनाकानी कर रहे कई विभाग प्रमुख
नगर निगम में पिछले साल पुरानी बिल्डिंग से शिफ्ट होकर नए आफिस में कई विभाग प्रमुख डाटा देने में आनाकानी कर रहे हैं। उनका कहना है कि पता नहीं कौन-सी फाइल कहां पर है कई विभाग ऐसे हैं जिनमें करोड़ों रुपए की लेनदारी है कई केसों में झगड़ा था जोकि कुछ काली भेड़ों ने अपने स्तर पर ही निपटा दिया जोकि आने वाले समय में सामने आ सकता है। ई-गवर्नैंस लागू होने पर सरकारी बाबुओं से लोगों का नाता टूट जाएगा, जिससे लोगों को सब कुछ इंटरनैट के माध्यम से पता लग जाएगा। 

सरकार तो तैयार लेकिन कुछ अधिकारी नहीं 
ई-गवर्नैंस को लेकर सरकार तो तैयार है लेकिन कुछेक सरकारी अधिकारी तैयार नहीं हैं। इससे प्रशासनिक नेतृत्व एवं प्रौद्योगिकी का एकीकरण हो जाता है। सरकारी विभागों या अभिकरणों से संबंधित सूचनाएं एवं सेवाएं इंटरनैट पर उपलब्ध होना, स्वयं सरकार द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी की आधुनिक तकनीकों का प्रशासनिक कृत्यों में प्रयोग करना, ई-गवर्नैंस का व्यावहारिक स्वरूप है जिसके तहत नौकरशाही का छोटा आकार, प्रशासन में सचरित्रता, लोक सेवाओं के प्रति जवाबदेही इत्यादि शामिल हैं। इससे कागजी कार्रवाई में कमी आती है एवं देरी और बाबू राज पर रोक लगती है। इसको लेकर एक प्राइवेट बैंक ही निगम के सभी विभागों को पोर्टल बनाकर देगा, जिससे सारा सिस्टम ऑनलाइन होगा लेकिन सरकारी बाबू उसकी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं। 

ये सेवाएं होंगी ऑनलाइन
ई-गवर्नैंस के तहत प्रॉपर्टी टैक्स, वाटर एंड सीवरेज-बिल एंड पेमैंट सिस्टम, कम्पलेंट मैनेजमैंट सिस्टम, बिल्डिंग कम्पलीशन प्लान, बिल्डिंग कम्पोजिशन फीस, बिल्डिंग प्लान सैंक्शन कमॢशयल, इंडस्ट्रीयल, अन्य, घरेलू, चेंज ऑफ लैंड यूज, पॉल्यूशन एन.ओ.सी., रिफंड ऑफ एक्स्ट्रा रैगूलराइजेशन फीस, रैगूलराइजेशन ऑफ प्लाट/कालोनी, जन्म प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र लेट एंट्री, डैथ सर्टीफिकेट एक माह के अंदर, एक साल के अंदर चेंज ऑफ ऑनरशिप, करैक्शन इन प्रॉपर्टी पार्टीकुलर, न्यू प्रॉपर्टी नंबर एवं टी.एस.-1 कॉपी ऑनलाइन हो जाएगी।

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