Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Nov, 2017 10:36 AM
शहर में हो रहे सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए जहां प्रशासन कई कदम उठा रहा है वहीं प्रशासन की कुछ नाकामियों के कारण हादसे कम होने की बजाय बढ़ते जा रहे हैं। शहर के जिन चौराहों पर ज्यादा हादसे होते थे, उन चौराहों पर हादसे कम करने के लिए ट्रैफिक...
जालंधर(राजेश): शहर में हो रहे सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए जहां प्रशासन कई कदम उठा रहा है वहीं प्रशासन की कुछ नाकामियों के कारण हादसे कम होने की बजाय बढ़ते जा रहे हैं। शहर के जिन चौराहों पर ज्यादा हादसे होते थे, उन चौराहों पर हादसे कम करने के लिए ट्रैफिक लाइटें लगाई गई थीं ताकि हादसों में कमी आ सके परन्तु ट्रैफिक लाइट्स लगाने के बाद उन्हें चालू करना प्रशासन शायद भूल गया है। शहर के कई चौराहे अब भी ऐसे हैं जो ट्रैफिक लाइटों के इंतजार में हैं और वहां लाइटें लग नहीं पा रहीं परन्तु कुछ चौराहे ऐसे हैं जहां लाइट्स लग गई हैं जो अभी चालू नहीं हुईं।
नकोदर को जाने वाली सड़क, जहां रोजाना सड़क दुर्घटनाएं हो रही थीं और लम्बे जाम लग रहे थे जिनसे निजात पाने के लिए प्रशासन ने नकोदर रोड खालसा स्कूल के बाहर व रविदास चौक में ट्रैफिक लाइट्स लगवा दीं। लाइटें लगे करीब 4 महीने हो चुके हैं परन्तु वे लाइटें लगने के बाद अभी तक चालू नहीं हो पाई हैं जिस कारण हादसों में कोई कमी नहीं आई है। सर्दी में पडऩे वाली धुंध, जो हादसों को दावत देती है, पर ट्रैफिक लाइट्स के कारण धुंध में भी हादसों में कमी आती है। कुछ दिन पहले ही वेरका मिल्क प्लांट का टैम्पो रविदास चौक के ऊपर चढ़ गया था जिससे चौक भी क्षतिग्रस्त हो गया और टैम्पों चालक को चोटें भी आई थीं। टैम्पो चालक को धुंध में चौक नजर नहीं आया जिसके कारण हादसा हुआ। अगर तब रविदास चौक में ट्रैफिक लाइटें जल रही होतीं तो हादसा न होता। स्थानीय लोगों का कहना है कि लाइटें लगने के बाद हादसों में कमी आनी थी व वहां लगने वाले लम्बे जाम से निजात मिलना था परन्तु ऐसा हुआ नहीं।