Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Sep, 2017 01:40 PM
कुदरत का कहर मानें या फिर सरकारी विभागों के अधिकारियों की नाकामी। लगभग 1985 में ‘एम.एस.’ पास करने वाला विनोद कुमार सड़क
भटिंडा(सुखविंद्र): कुदरत का कहर मानें या फिर सरकारी विभागों के अधिकारियों की नाकामी। लगभग 1985 में ‘एम.एस.’ पास करने वाला विनोद कुमार सड़क हादसे के बाद अपना पेट भरने के लिए भिखारी बन चुका है। पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखवीर सिंह बादल के आदेश होने के बाद भी उसकी पैंशन नहीं लगी।
पैंशन के आदेश के बाद नहीं हुर्इ कोर्इ सुनवार्इ
इसके अलावा वह पूर्व विधायक सरूप चंद सिंगला को भी कई बार मिल चुका है। उक्त समय से ही वह लीडरों व प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यालय में ठोकरें खा रहा है। सड़क हादसे के बाद न तो पीड़ित व्यक्ति को सरकार द्वारा पैंशन स्कीम का लाभ दिया गया और न ही उसका राशन कार्ड बनाया गया। भले लगभग एक वर्ष पहले जिला प्रशासन के उच्चाधिकारियों द्वारा एफ.सी.आई. के कर्मियों को उक्त व्यक्ति की पैंशन लगाने व बनते लाभ देने के आदेश जारी कर दिए थे परन्तु फिर भी उसकी कोई सुनवाई नहीं की जा रही।
बनना था अधिकारी, बना भिखारी
विनोद कुमार द्वारा एम.एस. की पढ़ाई 1985 में ही पूरी कर ली थी, जिसने शायद कोई अधिकारी बनना था परन्तु सरकारी नौकरी न मिलने के कारण भिखारी बन गया। सरकारी नौकरी की आस में उस द्वारा कोई प्राइवेट नौकरी भी नहीं की। उल्लेखनीय है कि अगर कोई अधिकारी होता तो शायद 40-50 हजार कमा रहा होता परन्तु हर रोज 1-1 रुपए लेने के लिए वह भटक रहा है। 2002 में उसके माता-पिता की मौत हो गई थी, जिसके बाद वह अकेला रह गया।