धालीवाल का वीडियो आया सामने,  खुद को ‘खालिस्तानी’ बता किसान आंदोलन को लेकर कही ये बड़ी बात

Edited By Vatika,Updated: 09 Feb, 2021 02:02 PM

mo dhaliwal man behind greta toolkit a self confessed khalistani

दिल्ली पुलिस के साइबर क्राईम सैल ने किसान प्रदर्शनों को लेकर ‘टूलकिट’(दस्तावेज) को तैयार करने वालों के खिलाफ देशद्रोह, आपराधिक साजिश और घृणा को बढ़ावा देने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की।

जालंधर(विशेष): दिल्ली पुलिस के साइबर क्राईम सैल ने किसान प्रदर्शनों को लेकर ‘टूलकिट’(दस्तावेज) को तैयार करने वालों के खिलाफ देशद्रोह, आपराधिक साजिश और घृणा को बढ़ावा देने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की। इस टूलकिट को स्वीडिश पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थुनबर्ग ने सांझा किया था। दूसरी तरफ, कनाडा में पैदा हुए एक सिख, मो धालीवाल का वीडियो भी सामने आया है। पुलिस इस वीडियो की भी जांच कर रही है। इस वीडियो की भाषा बेहद आपत्तिजनक है। यह वीडियो मो धालीवाल की है और वह खुद को खालिस्तानी बताता है। 26 जनवरी को वैंकूवर स्थित भारतीय दूतवास के समक्ष प्रदर्शन के दौरान अपनी वीडियो में धालीवाल कह रहा है, ‘‘अगर कल को कृषि कानून वापस ले लिए जाते हैं तो वह जीत नहीं। यह जंग कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के साथ शुरू होगी न कि वहां खत्म हो जाएगी। किसी को यह बताने मत दीजिए कि यह जंग  कृषि कानूनों को वापस लेने के साथ खत्म हो जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि वे इस आंदोलन की ऊर्जा खत्म करना चाहते हैं। वे आपको बताना चाहते हैं कि आप पंजाब से अलग हो और आप खालिस्तान आंदोलन से अलग हो, आप नहीं हो।’’ हम इस वीडियो की सत्यता प्रमाणित नहीं कर सके हैं।

कौन है मो धालीवाल और पी.जे.एफ. से क्या हैं संबंध 
मो धालीवाल का संबंध पोयटिक जस्टिस फाऊंडेशन (पी.जे.एफ.) से सामने आया है, जिसकी दिल्ली पुलिस जांच कर रही है। शक है कि पी.जे.एफ. ने वह वह टूलकिट(दस्तावेज) तैयार की जो ग्रेटा थनबर्ग ने ट्वीट की थी। अपनी एक फेसबुक पोस्ट में, धालीवाल ने कहा कि फाऊंडेशन की स्थापना उसकी दोस्त अनिता लाल ने की थी। धालीवाल स्काईरॉकेट नामक एक डिजिटल ब्रैंडिंग क्रिएटिव एजैंसी का को-फाऊंडर और चीफ स्ट्रैटीजिस्ट भी है जिसकी नींव उसने वैंकूवर में वर्ष 2011 में डाली थी। हाल के दिनों तक वह कनाडाई-सिख और पंजाबी सर्किल्स में अपनी एन्टरप्रेन्योरियल स्किल्स के लिए मशहूर था, न कि खालिस्तान के समर्थन या अपनी राजनीतिक राय के लिए। उसने वैंकूवर इंटरनैशनल भंगड़ा सैलिब्रेशन सोसायटी की स्थापना भी की थी। सिख मुद्दों या राजनीति की उसको कितनी समझ है, इसका अंदाजा इस बात से चलता है कि 2015 में सोसायटी ने जून के पहले हफ्ते में भंगड़ा फैस्टीवल आयोजित कराने की घोषणा की जो संयोग से ऑप्रेशन ब्ल्यू स्टार की बरसी पर था। कनाडाई सिखों के हंगामे के बाद उसकी संस्था ने माफी मांगी, वह भी अनिता लाल के जरिए। 

सिख सर्किल्स में पता करने पर यह सामने आया कि इस घटना के बाद से धालीवाल ने सिख मुद्दों को ध्यान से पढऩा शुरू किया। 17 सितम्बर 2020 को अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट में धालीवाल लिखता है, ‘‘मैं एक खालिस्तानी हूं। आप शायद मेरे बारे में यह नहीं जानते होंगे, क्योंकि खालिस्ताान एक विचार है। खालिस्तान एक जीता-जागता, सांस लेता आंदोलन है।’’ पोस्ट में उसने यह भी लिखा कि वह 1984 में छह वर्ष का था। 3 जून, 2020 को उसने जरनैल सिंह भिंडरांवाले की एक फोटो पोस्ट की और साथ में लिखा, ‘‘गुलामी से आजादी तभी मिलती है जब कोई यह समझना और महसूस करना शुरू करता है कि वह एक गुलाम की जिंदगी की अपेक्षा मौत पसंद करेगा।’’ अपने फेसबुक पेज पर धालीवाल ने कनाडा की न्यू डैमोक्रेटिक पार्टी (एन.डी.पी.) के सदस्य जगमीत सिंह धालीवाल के साथ तस्वीरें पोस्ट की हैं। जगमीत का सम्बन्ध पंजाब के बरनाला जिले का गांव टिकरीवाल से है। उनके गांव में संपर्क करने पर कोई जवाब नहीं मिला। पंजाब के किसान संगठनों ने भी इस बात से इन्कार किया कि उन्होंने मो धालीवाल के बारे में कभी सुना है।

क्या है टूलकिट और क्या किया ग्रेटा थनबर्ग ने 
ग्रेटा थनबर्ग ने ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा था, ‘‘अगर आप किसानों की मदद करना चाहते हैं तो आप इस टूलकिट (दस्तावेज) की मदद ले सकते हैं।’’ दिल्ली पुलिस ने इसे ‘लोगों में विद्रोह पैदा करने वाला दस्तावेज’ बताते हुए इसे जांच के दायरे में ले लिया है और टूलकिट को लिखने वालों की तलाश शुरू कर दी है। पुलिस ने इसे लिखने वालों के खिलाफ धारा-124ए, 153ए, 153, 120बी के तहत केस दर्ज किया है। हालांकि दिल्ली पुलिस की दर्ज की गई प्राथमिकी में किसी का नाम शामिल नहीं है। टूलकिट दशकों से प्रचलन में, सोशल मीडिया के माध्यम ने टूलकिट को पिछले कई वर्षों में अधिक दर्शनीय बना दिया है। जैसा कि दुनियाभर के शहरों ने विभिन्न समूहों द्वारा इस मार्च और सड़क प्रदर्शनों के रूप में देखा है, टूलकिट में विरोध के संदर्भ में पठन सामग्री, समाचार लेखों के ङ्क्षलक और विरोध के तरीकों को सोशल मीडिया पर शामिल किया गया है।

प्रदर्शनकारियों के लिए टूलकिट का संदर्भ 2011 के ऑक्युपाई वॉल स्ट्रीट विरोधों और 2019 हांगकांग विरोध प्रदर्शनों के साथ-साथ दुनियाभर में जलवायु विरोध पर रिपोर्टों में दिखाई दिया। हांगकांग विरोध प्रदर्शन के दौरान, टूलकिट ने प्रतिभागियों को मास्क पहनने और हैलमेट पहनने की सलाह दी ताकि वे पहचाने न जा सकें। भारत में, नए नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान टूलकिट सामने आए और हाल ही में दिल्ली की सीमाओं पर और उत्तर भारत में अन्य स्थानों पर किसानों द्वारा जारी विरोध प्रदर्शन। सी.ए.ए. के विरोध के दौरान, एक टूलकिट ने सुझाव दिया कि ट्विटर पर कौन से हैशटैग का उपयोग करना है, कहां विरोध प्रदर्शन करना है और पुलिस द्वारा हिरासत की प्रत्याशा में क्या करना है। इस बारे में एक गाइड, व्हाट्सएप और सोशल पर व्यक्तिगत संदेशों के माध्यम से सांझा किया गया।  दिल्ली पुलिस के स्पैशल कमिश्नर प्रवीर रंजन का कहना है, ‘‘हाल ही में लगभग 300 सोशल मीडिया हैंडल पाए गए हैं, जिनका इस्तेमाल घृणित और निंदनीय कंटैंट फैलाने के लिए किया जा रहा है। कुछ वैस्टर्न इंटरैस्ट ऑर्गेनाइजेशन द्वारा इनका इस्तेमाल किया जा रहा है, जो किसान आंदोलन के नाम पर भारत सरकार के खिलाफ गलत प्रचार कर रहे हैं।’’

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