Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Jul, 2017 10:13 AM
सितम्बर 2014 में गुडग़ांव से लापता प्रवासी बच्चा थाना लाम्बड़ा की पुलिस के सहयोग से अपने मां-बाप तक पहुंच गया। बच्चे को थाना लाम्बड़ा एरिया में बसे एक गुज्जर ने अपने पास रखा हुआ था जो उससे काम करवाता था। डी.एस.पी. करतारपुर सर्वजीत सिंह राय ने बताया...
जालंधर (प्रीत) : सितम्बर 2014 में गुडग़ांव से लापता प्रवासी बच्चा थाना लाम्बड़ा की पुलिस के सहयोग से अपने मां-बाप तक पहुंच गया। बच्चे को थाना लाम्बड़ा एरिया में बसे एक गुज्जर ने अपने पास रखा हुआ था जो उससे काम करवाता था। डी.एस.पी. करतारपुर सर्वजीत सिंह राय ने बताया कि प्रवासी दम्पति फिरोज व उसकी पत्नी धनाती खतानू वासी शहिखंद, जिला बौद्धिहारी ने थाना लाम्बड़ा के एस.एच.ओ. पुष्प बाली को सूचना दी कि उनका बेटा दिलजान उर्फ बिट्टू सितम्बर 2014 में गुडग़ांव से लापता हो गया था।
इस संबंधी गुडग़ांव के थाना सैक्टर 5 में धारा 363, 346 आई.पी.सी. अधीन केस भी दर्ज है। दम्पति ने पुलिस को बताया कि अब उन्हें पता चला है कि उनके बेटे बिट्टू को एक गुज्जर ने अपने डेरे में जब्री रखा हुआ है। सूचना मिलने पर पुलिस टीम ने जांच शुरू की और आज डेरे पर रेड करके दिलजान उर्फ बिट्टू को बरामद कर लिया और गुज्जर बाबू पुत्र यूसुफ अली को गिरफ्तार कर लिया।
वह करतारपुर के धार्मिक स्थल पर दिलजान को अकेले पाकर उसे बहला-फुसलाकर अपने साथ गांव पुआरा में डेरे पर ले आया और उससे काम करवाने लगा। दिलजान ने पुलिस को बताया कि वह सितम्बर 2014 में परिवार से बिछुड़ गया था। वह दिल्ली से 29 अगस्त 2014 को बस के जरिए अम्बाला पहुंचा और फिर सीधा करतारपुर आ गया। एक रात गुरुद्वारा साहिब में रुका और लंगर खाया। गुरुद्वारा साहिब से ही उसे बाबू पुत्र यूसुफ अली अपने साथ मोटरसाइकिल पर गांव पुआरा में अपने डेरे पर ले गया। दिलजान ने बताया कि गुज्जर उससे रोजाना सुबह-शाम मवेशियों का गोबर उठवाता और सफाई करवाता था।
पुलिस जांच में यह तथ्य सामने आया कि गुज्जर बाबू ने सभी को बच्चे के बारे में बताया था कि उसने दिलजान को तनख्वाह पर रखा हुआ है और तनख्वाह दिलजान के माता-पिता को गांव भेजता है। डी.एस.पी. राय ने बताया कि आरोपी बाबू के खिलाफ केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया गया है क्योंकि उसने बच्चे को अवैध तौर पर अपने साथ रखा हुआ था। अगर बच्चा उसे मिला था तो उसने न तो इस बारे पुलिस को सूचित किया और ही बच्चे के परिजनों तक पहुंचने का प्रयास किया। बच्चे की बरामदगी संबंधी गुडग़ांव पुलिस को सूचित कर दिया गया है।
बेटे को गले लगाने के लिए एक-दूसरे से छीनने लगे माता-पिता
3 साल पहले बिछुड़े जिगर के टुकड़े दिलजान की झलक पाते ही मां-बाप भावुक हो गए। दोनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। दोनों बेटे को गले लगाने के लिए एक-दूसरे से छीन रहे थे। होते भी क्यों न? बेशक, गुडग़ांव पुलिस व रिश्तेदार तक दिलजान के मिलने की आस खो चुके थे, लेकिन फिरोज व धनाती खतानू को यकीन था कि एक न एक दिन दिलजान मिलेगा जरूर। बेटे से मिल कर रोते हुए फिरोज ने बताया कि दिलजान उसके 3 बच्चों में से बड़ा है।
उसे यकीन था कि वह दिलजान को ढूंढ निकालेंगे, हालांकि पुलिस ने केस दर्ज कर अपनी औपचारिकता ही पूरी की लेकिन उन्होंने अपनी तरफ से दिलजान के पोस्टर छपवाकर उसका पता बताने वाले के लिए 21,000 तक ईनाम रखा था। फिरोज ने बताया कि दिलजान को ढूंढने के लिए उन्होंने गुडग़ांव, दिल्ली सहित कई राज्यों की खाक छानी। इसी चक्कर में घूमते हुए उनका बेहद खर्च हुआ व गांव में स्थित जमीन का टुकड़ा तक बिक गया, लेकिन अब दिलजान मिल गया है, इसलिए उन्हें कोई रंज नहीं कि उनकी जमीन बिक गई। जिस प्रकार फिरोज अपने बेटे को पाकर खुश था, दिलजान की भी खुशी का ठिकाना नहीं था।
सब्जी बेचते हुए देखा भांजा और पहचान लिया
दिलजान के परिवार से जुदा तथा मिलने की स्टोरी फिल्मी ही है। अगस्त 2014 में दिलजान घर से लापता हो गया था। उसके परिजनों ने केस दर्ज करवाया लेकिन दिलजान का कुछ पता नहीं चला। परिजन बच्चे के मिलने की आस लगभग छोड़ चुके थे। इसी बीच दिलजान का मामा अरमान मोहम्मद, जो बस्ती दानिशमंदां में रहता था और गली-मोहल्लों में जाकर सब्जी बेचता था, करीब 15 दिन पहले एक दिन सब्जी बेचते हुए अरमान मोहम्मद गुज्जर बाबू के डेरे की तरफ चला गया।
उसने बच्चे को काम करते देखा तो उसे पहचान लिया कि वह दिलजान है। अरमान मोहम्मद ने तुरंत बच्चे से बात की और गुज्जर बाबू से बच्चे के बारे में पूछा लेकिन बाबू ने अरमान को डरा-धमका कर भगा दिया। अरमान ने घर आकर अपनी बहन व जीजा को बताया और वे जालंधर पुलिस के पास गए।