पंजाब में रेत-बजरी खनन की पर्यावरण मंजूरी मिलने में देरी, माफिया अवैध खनन कर पूरी कर रहा डिमांड

Edited By swetha,Updated: 15 Feb, 2020 11:29 AM

mining in punjab

1926.29 हैक्टेयर एरिया चिह्नित

चंडीगढ़ (अश्वनी): पंजाब में खनन माफिया बेकाबू होता जा रहा है। वैध तरीके से रेत-बजरी खनन की पर्यावरण मंजूरी मिलने में हो रही देरी के कारण खनन माफिया ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने की होड़ में है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि होशियारपुर में ही 1 जनवरी, 2019 से अब तक अवैध खनन के करीब 70 मामले सामने आ चुके हैं। पूरे प्रदेश में आंकड़ा 250 से पार पहुंच गया है। उधर, पर्यावरण मंजूरी की बात करें तो खनन विभाग 196 माइनिंग साइट्स में से अब तक केवल 34 माइङ्क्षनग साइट्स को पर्यावरण मंजूरी मिलने का दावा कर रहा है। अभी तक दस्तावेजी तौर पर केवल 13 माइनिंग साइट्स को ही मंजूरी मिली है जबकि 21 के दस्तावेज अभी भी ठेकेदार को सौंपे नहीं गए हैं। इसका नतीजा है कि पंजाब में रेत-बजरी की डिमांड खनन माफिया के जरिए पूरी हो रही है। 


हैरत की बात यह भी है कि खनन के लिए प्रस्तावित जगह का अभी तक माइनिंग प्लान तक तैयार नहीं हो पाया है। उस पर विभाग ने जिन जगहों को खनन के लिए प्रस्तावित किया था, वहां कुछ जगह पर भूमि मालिकों ने ही खनन की अनुमति देने से इन्कार कर दिया है। इसमें सबसे ताजा तरीन मामला पीर इसमिल खनन क्षेत्र का सामने आया है, जहां क्षेत्र के भूमि मालिक ने सीधे तौर पर खनन को मंजूरी देने से इन्कार कर दिया है। यही वजह है कि विभाग को कई जगह माइङ्क्षनग प्लान तैयार करने में खूब मशक्कत करनी पड़ रही है। जानकारी मुताबिक अब तक केवल 39 माइङ्क्षनग प्लान ही तैयार किए जा सके हैं।

1926.29 हैक्टेयर एरिया चिह्नित
पंजाब सरकार ने खनन के लिए करीब 1926.29 हैक्टेयर एरिया चिन्हित किया है। खनन विभाग के अधिकारियों ने सर्वे रिपोर्ट में बताया कि कुल खनन क्षेत्र में करीब 1582.68 हैक्टेयर एरिया नदियों की तलहटी का है। इसमें करीब 383 लाख मीट्रिक टन मैटीरियल उपलब्ध है जिसमें राज्य सरकार 333 लाख मीट्रिक टन रेत-बजरी को ऑक्शन कर सकती है। रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने पूरे राज्य को खनन समूहों में विभाजित कर ई-ऑक्शन की थी। जुलाई में 6 खनन समूहों में करीब 190 माइनिंग साइट्स की ऑक्शन हुई जबकि सितम्बर, 2019 में मोहाली कलस्टर के अधीन 6 माइङ्क्षनग साइट्स को नीलाम किया गया था। इसके बावजूद 4 माह बाद भी अब तक केवल 13 माइनिंग साइट्स के दस्तावेज ही ठेकेदारों को वैध माइङ्क्षनग के लिए ट्रांसफर किए जा सके हैं जो कुल चिन्हित क्षेत्र में होने वाले खनन का बेहद मामूली हिस्सा है। 

40 माइनिंग साइट्स को निशानदेही का इंतजार
प्रदेशभर में 40 माइनिंग साइट्स ऐसी भी हैं जहां अभी तक निशानदेही ही नहीं हो पाई है। केंद्र सरकार द्वारा 2016 में जारी दीर्घकालिक रेत खनन प्रबंधन दिशा-निर्देश में साफ तौर पर कहा गया है कि खनन से पहले चिन्हित क्षेत्र की निशानदेही अनिवार्य है। इसके बिना खनन की गतिविधि पर्यावरण कानून का उल्लंघन होगी। 
इसी कड़ी में अभी तक कई जिलों की डिस्ट्रिक्ट सर्वे रिपोर्ट को अपडेट करने का काम भी अधर में लटका हुआ है।

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