खतरे के कगार पर महानगर!

Edited By Updated: 29 Oct, 2016 12:10 PM

metropolis on the brink of danger

महानगर की जनसंख्या लगातार तेजी से बढ़ रही है। शहरीकरण के कारण आसपास के कस्बों व अन्य राज्यों से लोग महानगर में आकर अपना निवास बनाने में लगे हुए हैं।

जालंधर (धवन): महानगर की जनसंख्या लगातार तेजी से बढ़ रही है। शहरीकरण के कारण आसपास के कस्बों व अन्य राज्यों से लोग महानगर में आकर अपना निवास बनाने में लगे हुए हैं। शहरीकरण बढऩे से गगनचुम्बी इमारतें भी बन रही हैं परंतु उस तर्ज पर फायर ब्रिगेड विभाग को पंजाब सरकार ने अपग्रेड नहीं किया है। 


औसतन 50,000 की आबादी के पीछे एक फायर ब्रिगेड गाड़ी का होना अनिवार्य है। एक गाड़ी में 4 फायरमैन तथा एक ड्राइवर व एक लीडिंग फायरमैन होता है परन्तु अगर जालंधर की बात की जाए तो ऐसा प्रतीत होता है कि महानगर खतरे के कगार पर खड़ा है। भगवान भरोसे ही लोग जीवन जी रहे हैं। फायर ब्रिगेड विभाग की अगर चर्चा की जाए तो उसके पास न तो पर्याप्त कर्मचारी हैं, न ही पर्याप्त उपकरण हैं और न ही बेहतर गाडिय़ां, जो गाडिय़ां इस समय उपलब्ध हैं, वे भी कंडम हो चुकी हैं। अगर शहर में कोई बड़ा अग्निकांड हो जाए तो आग पर काबू पाना ही मुश्किल हो जाएगा। वैसे भी अगर किसी फैक्टरी में मौजूदा परिस्थिति में आग लगती है तो फायर ब्रिगेड विभाग को अन्य शहरों व सेना से फायर ब्रिगेड की गाडिय़ों को मंगवाना पड़ता है। 


फैक्टरी की आग पर काबू पाने में ही कई बार 10-10 घंटे लग जाते हैं। राज्य सरकार मूकदर्शक बनी बैठी है। लोकल बाडी विभाग अपनी जिम्मेदारी भूल बैठे हैं। अगर प्राकृतिक आपदा के कारण कभी नुक्सान हो जाए तो फायर ब्रिगेड विभाग से किसी प्रकार की राहत की उम्मीद नहीं की जा सकती। वैसे भी जालंधर 4  सिसमिक जोन पर है जोकि अत्यंत संवेदनशील माना जाता है। फायर ब्रिगेड विभाग इस समय शक्तिविहीन दिखाई देता है। उसके पास न तो अच्छी पाइपें और न ही हाइड्रोलिक लिफ्ट है। तीसरी मंजिल पर आग लगने पर उसके पास बेहतर सीढिय़ां भी नहीं हैं। बताया जाता है कि इस समय फायर ब्रिगेड विभाग के पास केवल 5 गाडिय़ां हैं परंतु उनमें भी आग पर काबू पाने वाला सामान मौजूद नहीं है। जालंधर में एक भी हाइड्रोलिक लिफ्ट नहीं है। फायर कर्मचारियों के पास न तो मास्क हैं और न ही अन्य उपकरण । फायरमैन्स का भी मानना है कि 1960 के दशक के बाद रिटायर कर्मचारियों के स्थान पर नए कर्मचारियों की भर्ती ही नहीं हुई। विशेषज्ञों का मानना है कि जालंधर जिले के लिए कम से कम अलग-अलग स्थानों पर फायर स्टेशन स्थापित होने चाहिएं तथा उन सभी में पूरा स्टाफ होना चाहिए।

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