Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Oct, 2017 09:38 AM
जी हां! शहर की हवा में अब दम घुटने लगा है। शनिवार देर शाम जालंधर की एयर क्वालिटी दिल्ली से भी दोगुना बदतर हो गई। दिल्ली में शनिवार शाम एयर क्वालिटी इंडैक्स 346 पर रहा तो जालंधर में यह शनिवार शाम 433 दर्ज किया गया। हवा में प्रदूषण फैलाने वाले पी.एम....
जालंधर(स.ह.): जी हां! शहर की हवा में अब दम घुटने लगा है। शनिवार देर शाम जालंधर की एयर क्वालिटी दिल्ली से भी दोगुना बदतर हो गई। दिल्ली में शनिवार शाम एयर क्वालिटी इंडैक्स 346 पर रहा तो जालंधर में यह शनिवार शाम 433 दर्ज किया गया। हवा में प्रदूषण फैलाने वाले पी.एम. 2.5 का स्तर 433 पर पहुंचना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। हवा में प्रदूषण के चलते शाम को आसमान धुंधला हो गया और चांद भी धुंधला नजर आया।
क्यों बढ़ा प्रदूषण
शहर के आसपास के इलाकों में लगातार पराली जलाए जाने की घटनाओं के कारण हवा में प्रदूषित कणों में वृद्धि हो रही है। इसके अलावा शहर में लगातार बढ़ रहे पुराने वाहनों पर कोई नियंत्रण नहीं है जिससे हवा जहरीली हो रही है। इस प्रदूषण में सबसे ज्यादा योगदान पुराने ऑटो रिक्शा का है। मिलावटी ईंधन से चल रहे ये ऑटो रिक्शा शहर की हवा में जहर घोल रहे हैं। इसके अलावा इंडस्ट्री की वजह से भी लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है। मौसम भी इस समय शहर का साथ नहीं दे रहा है। हवा की गति काफी कम हो गई है। तापमान में गिरावट भी आ रही है जिसकी वजह से प्रदूषण के कण ऊपर फैल नहीं पा रहे हैं और जमीनी सतह पर ही जमा हैं जिस कारण परेशानी हो रही है।
बीमारियों का खतरा
ऐसी हवा में सांस लेने में तकलीफ , गले में खराश, त्वचा की समस्या के अलावा अस्थमा के मरीजों के लिए यह काफी घातक है। ऐसी हवा में सांस लेने से फेफड़ों के कैंसर जैसी घातक बीमारी का भी खतरा है। गर्भवती महिलाओं और गर्भ में पल रहे बच्चों के लिए भी यह खतरनाक है क्योंकि इससे जहरीली हवा गर्भ में पल रहे बच्चे तक भी पहुंचती है।
देश में प्रदूषित हवा से 11 लाख मौतें
ग्लोबल सर्वे की स्टडी के मुताबिक 2015 में देश में प्रदूषित हवा के कारण 11 लाख लोगों की मौत हुई है। अमरीका की एक संस्था द्वारा जारी इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में 1990 के मुकाबले हवा के प्रदूषण से मौतों की संख्या दोगुनी हो गई है। हालांकि इस मामले में चीन की स्थिति सुधरी है। दुनिया भर में प्रदूषित हवा के चलते होने वाली मौतों में से पचास फीसदी मौतें इन 2 विकासशील देशों में हो रही हैं। स्टडी में दावा किया गया है कि दुनिया की 92 फीसदी आबादी सेहत के लिए खतरनाक हवा वाले इलाकों में रह रही है।