Edited By Sonia Goswami,Updated: 02 Jun, 2018 10:09 AM
अगर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सी.बी.एस.ई. के सुझाव पर अमल किया तो आने वाले दिनों में गणित को हौवा समझने वाले विद्यार्थियों को इसका विकल्प मिल सकता है
लुधियाना (विक्की): अगर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सी.बी.एस.ई. के सुझाव पर अमल किया तो आने वाले दिनों में गणित को हौवा समझने वाले विद्यार्थियों को इसका विकल्प मिल सकता है, क्योंकि सी.बी.एस.ई. ने गणित को लेकर एक ऐसी योजना तैयार की है, जिससे उक्त विषय 2 भागों में विभाजित हो जाएगा।
योजना के मुताबिक जिन विद्यार्थियों ने भविष्य में नॉन मैडीकल के क्षेत्र में जाना है, उनके लिए उस मुताबिक सिलेबस तैयार होगा, जिन विद्याॢथयों ने 11वीं से मैडीकल के क्षेत्र में जाना है, उनके लिए इसका अलग पाठ्यक्रम बनाया जाएगा। हालांकि इस संबंधी कोई आधिकारिक फैसला नहीं हुआ है, लेकिन बोर्ड ने गणित विषय को सरल बनाने एवं विद्यार्थियों के मन से इसका डर निकालने के लिए देशभर के स्कूल प्रिंसीपलों, अध्यापकों एवं शिक्षाविदों से सुझाव मांगे थे। फीडबैक में यह बात निकलकर सामने आई है कि इंजीनियरिंग या गणित से संबंधित क्षेत्र में भविष्य बनाने वाले स्टूडैंट्स को उसके अनुरूप ही 9वीं से गणित पढ़ाया जाए, ताकि स्टूडैंट्स इसमें परिपक्व हो सकें।
9वीं से 12वीं के लिए लागू होगी योजना
बोर्ड को जो सुझाव मिले हैं, उनमें यही बात निकलकर सामने आई है कि गणित को अगर स्टूडैंट्स के इंट्रस्ट मुताबिक तैयार कर दिया जाए तो निश्चित ही सकारात्मक परिणाम सामने आ सकते हैं। माना जा रहा है कि अगर सरकार ने इसकी सहमति दे दी तो 9वीं से 12वीं तक के विद्याॢथयों के लिए यह योजना लागू की जा सकती है।
ऐसे विभाजित होगा सिलेबस
जानकारों का कहना है कि सी.बी.एस.ई. का यह फैसला काफी अच्छा होगा, क्योंकि जिन स्टूडैंट्स ने 11वीं में मैडीकल स्ट्रीम पढऩा है, उन्हें गणित की अधिक जरूरत नहीं पड़ेगी, इसलिए उक्त स्टूडैंट्स के लिए 9वीं कक्षा से ही गणित का सरल पाठ्यक्रम तैयार किया जाए, जिसके आधार पर स्टूडैंट्स अपनी 10वीं की परीक्षा को पास करके आगे निकलें। वहीं जिन विद्यार्थियों ने नॉन मैडीकल के क्षेत्र में जाना है, उनके लिए उसी अनुरूप सिलेबस तैयार किया जाए, ताकि उन्हें जे.ई.ई. एग्जाम संबंधी जानकारी 9वीं कक्षा से ही मिलनी शुरू हो सके।
अगर सी.बी.एस.ई. का यह फैसला लागू होता है तो स्टूडैंट्स के लिए काफी राहत भरा होगा, क्योंकि जिन स्टूडैंट्स ने गणित विषय के आधार पर अपना भविष्य नहीं बनाना हो उन्हें 9वीं कक्षा से ही उसी अनुरूप गणित पढ़ाया जाएगा, जिसकी उन्हें जीवन में जरूरत होगी। वहीं जो स्टूडैंट्स गणित के क्षेत्र के अलावा नॉन मैडीकल फील्ड में आगे बढऩा चाहते हैं, उन्हें 9वीं कक्षा से ही इसकी तमाम बारीकियां समझाई जा सकती हैं, जो उन्हें 11वीं कक्षा से काम आने वाली हैं। ऐसे में दोनों तरह के स्टूडैंट्स को उक्त निर्णय से फायदा मिल सकता है। —प्रिं. डी.पी. गुलेरिया, बी.सी.एम. स्कूल चंडीगढ़ रोड।