Coronavirus: स्पोर्ट्स शूज में प्रयुक्त होने वाले जालीदार कपड़े से बन रहे मास्क

Edited By Sunita sarangal,Updated: 22 Mar, 2020 10:13 AM

mask made of mesh fabric used in sports shoes

लोकल लैवल पर हो रहा धंधा परंतु है गंदा

जालंधर(खुराना): इन दिनों कोरोना वायरस ने देश-विदेश में 10 हजार से ज्यादा लोगों को जहां मौत के मुंह में धकेल दिया है, वहीं लाखों लोग इस वायरस से प्रभावित होकर जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। एक ओर जहां ऐसे वातावरण में इंसानियत के दृश्य देखने को मिल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इसकी आड़ में लोगों को लूटने और ठगने का सिलसिला भी जोर-शोर से जारी है। 

गौरतलब है कि कोरोना वायरस के चलते सैनिटाइजर तथा मुंह पर बांधने वाले मास्क की बिक्री में बेतहाशा वृद्धि हुई है जिसका अनुचित लाभ उठाते हुए कई कारोबारियों ने लोकल लैवल पर घटिया तरीके से मास्क बनाने का धंधा शुरू कर दिया है। कोरोना जैसी बीमारी के वायरस से निपटने हेतु विशेषज्ञ डाक्टर विशेष परिस्थितियों में विशेष मानकों वाले मास्क प्रयुक्त करने की सलाह देते हैं परंतु वह सही सलाह लोगों तक पहुंचे, इससे पहले ही सोशल मीडिया के माध्यम से तरह-तरह की फेक न्यूज व गलत सलाहें लोगों तक पहुंच रही हैं।

मास्क की बिक्री में एकाएक आई तेजी के चलते इन दिनों शहर में उस जालीदार कपड़े से मास्क बनने शुरू हो गए हैं जो स्पोर्ट्स शूज बनाने के काम में आता है। इस जालीदार कपड़े को मैश फैब्रिक के तौर पर जाना जाता है, जो करीब 200 रुपए प्रति मीटर में भी उपलब्ध है। एक मीटर मैश फैब्रिक से दर्जनों मास्क तैयार हो जाते हैं क्योंकि उसकी दूसरी साइड भी डेढ़ मीटर चौड़ी होती है।

3 रुपए प्रति मास्क सिलाई का चल रहा रेट
वैसे तो मास्क के निर्माण में मशीनी लागत काफी कम है परंतु इन दिनों शहर में हाथ की सिलाई से मैश फैब्रिक के जो मास्क बन रहे हैं, की सिलाई 3 रुपए प्रति मास्क चार्ज की जा रही है। कुल मिलाकर कपड़े और सिलाई का कुल दाम 10 से 12 रुपए में पड़ता है और होलसेल में ही इसे 18-20 रुपए में बेचा जा रहा है। रिटेल में तो इसकी कीमत 50 या इसके पार भी जा रही है।

ऐसे हुआ लोकल बने मास्क का खुलासा
लोकल लैवल पर बूटों में काम काम आने वाले मैश फैब्रिक से बन रहे मास्क का खुलासा उस समय हुआ जब जालंधर नगर निगम के एक डाक्टर ने एक व्यक्ति को अलग तरह का मास्क लगाए देखा। जब उससे दूसरा मास्क लेकर उसे सूंघा गया तो उसमें चमड़े की बदबू आई। जब ज्यादा जानकारी जुटाई गई तो उस व्यक्ति ने बताया कि यह मास्क बूट निर्माण में काम आने वाले कपड़े से बना है, जिसकी 3 रुपए सिलाई देकर इसे बनवाया गया है। गौरतलब है कि ऐसे घटिया मास्क कोरोना वायरस के प्रभाव को तो आधा प्रतिशत भी नहीं रोक पाएंगे बल्कि मुंह की चमड़ी के लिए नुक्सानदायक अवश्य साबित हो सकते हैं।

फ्री में मास्क बांट रहे लोग
एक ओर जहां चहुं ओर फैली आपदा के दृष्टिगत कई लोग दूसरों को लूटने में लगे हुए हैं, वहीं इंसानियत दिखाते हुए कई लोगों ने आमजनों के बीच मास्क बांटने का सिलसिला भी शुरू कर रखा है। स्थानीय गोपाल नगर क्षेत्र में समाज सेविका नीलम गोगी ने कई लोगों को सर्जिकल मास्क फ्री में बांटे ताकि कोरोना वायरस से उनका बचाव हो सके।

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