शहीद मनिंद्र सिंह को पैतृक गांव में दी गई अंतिम विदाई,बनना चहता था बड़ा अधिकारी

Edited By swetha,Updated: 16 Feb, 2019 03:20 PM

पुलवामा में सी.आर.पी.एफ. के काफिले पर हुए आंतकी हमले में दीनानगर शहीद हुए 31 वर्षीय जवान मनिंद्र सिंह को राजकीय सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव में अंतिम विदाई दी गई। शहीद को श्रद्धाजंलि देने के लिए कैबिनेट मंत्री अरूणा चौधरी तथा अन्य उच्चाधिकारी...

गुरदासपुरः पुलवामा में सी.आर.पी.एफ. के काफिले पर हुए आंतकी हमले में दीनानगर शहीद हुए 31 वर्षीय जवान मनिंद्र सिंह को राजकीय सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव में अंतिम विदाई दी गई। शहीद को श्रद्धाजंलि देने के लिए कैबिनेट मंत्री अरूणा चौधरी तथा अन्य उच्चाधिकारी पहुंचे। अंतिम विदाई में शामिल लोगों ने पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए केंद्र सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग की। 

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बड़ा अधिकारी बनने की इच्छा ले हमेशा की नींद सो गया मनिंद्र

मनिंदर सिंह न सिर्फ बहादूर शूरवीर था, बल्कि वह शिक्षा में अव्वल रहने वाला ऐसा होनहार विद्यार्थी भी था, जो बी.टैक की शिक्षा करने के बाद एक वर्दीधारी बड़ा अफसर बनकर देश की सेवा करने की चाहत रखता था। मनिंदर सिंह की लियाकत और अधिकारी बनने की इच्छा का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उसने नौकरी मिलने के बाद अभी तक इस कारण शादी नहीं करवाई थी कि वह और मेहनत करके बड़ा अधिकारी बन सकें। मगर कुदरत को कुछ और ही मंजूर थी। जिस कारण वह अपनी सभी इच्छाएं पूरी करने और देश की सेवा करने से पहले ही हमेशा की नींद सो गया।  

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परिवार का लाडला था मनिंदर 
31 वर्षीय की भर जवानी में शहीद हुआ मनिंदर सिंह आर्य नगर दीनानगर का निवासी था। जिसके पिता सतपाल अत्तरी कुछ समय पहले ही पंजाब रोडवेज में बतौर ट्रैफिक मैनेजर सेवा निवृत्त हुए है और उनकी माता राज कुमारी का 2010 के दौरान निधन हो गया था। माता की मौत के बाद मनिंदर का अपने पिता के साथ गहरा लगाव था। इसके साथ ही मनिदर की तीनों बहनें भी उसे जान से अधिक प्रेम करती थी। मनिंदर का छोटा भाई भी असाम में सी.आर.पी.एफ में तैनात है, जो अभी भाई को अंतिम विदायगी देने के लिए नहीं पहुंच सका। 


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कुछ महीनों में ही पी गया शहादत का जाम
शिक्षा मुकम्मल करने के बाद मनिंदर अभी पिछले वर्ष ही सी.आर.पी.एफ की 75 बटालियन में भर्ती हुआ था। जिसने कुछ ही महीनों की सेवा के दौरान ही देश की सेवा करते हुए शहादत को गले लगा लिया है। उसकी शहादत पर गहरा दुख में डूबे उसके पिता और बहनों का विलाप देखना और सहन करना भले ही असंभव प्रतीत होता है, मगर यह परिवार आज भी बुलंद हौंसले से केंद्र सरकार से अपने बेटे की शहादत का बदला लेने के लिए मांग कर रहा है। उसके पिता ने कहा कि कल तक सब कुछ ठीक था, मगर अब उन्हें यह समझ नहीं आ रहा कि यह सब क्यों और कैसे हो गया।

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