मार्कफैड के डिफाल्टर मिलरों के पास फंसे 485 करोड़

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Sep, 2017 10:42 PM

markfeds 485 million stranded near defiler mills

केंद्रीय खाद्यान्न भंडार के लिए एफ.सी.आई. की नोडल एजैंसी के रूप में धान खरीद व चावल की सप्लाई करने वाले.....

चंडीगढ़(शर्मा): केंद्रीय खाद्यान्न भंडार के लिए एफ.सी.आई. की नोडल एजैंसी के रूप में धान खरीद व चावल की सप्लाई करने वाले पंजाब सरकार के उपक्रम मार्कफैड के लगभग 485 करोड़ रुपए फंस गए हैं। इसके अलावा इस राशि पर ब्याज व अन्य चार्जिस अलग से हैं। 

पिछले कुछ वर्षों के दौरान उपलब्ध करवाए गए धान की मिलिंग के पश्चात एफ.सी.आई. को निर्धारित मात्रा में चावल सप्लाई न करने या फिर धान-चावल को खुर्द-बुर्द करने के चलते मार्कफैड के 433 मिलर डिफाल्टर घोषित हो चुके हैं। इन्हीं डिफाल्टर मिलरों से मार्कफैड को यह राशि रिकवर करनी है। सैंकड़ों मामले अदालत या लिक्वीडेटर के पास फैसले के लिए लंबित होने के चलते मार्कफैड उक्त राशि की रिकवरी नहीं कर पाई है। 

इसी के चलते पंजाब सरकार ने हाल ही में विभिन्न खाद्यान्न खरीद एजैंसियों से संबंधित डिफाल्टर मिलरों को अपने मामले समाप्त करने के लिए वन टाइम सैटलमैंट को मंजूरी दी है। मार्कफैड के चेयरमैन अमरजीत सिंह समरा ने इस योजना का स्वागत करते हुए डिफाल्टर मिलरों से इस योजना का लाभ उठाने के लिए आगे आने की अपील की है। समरा ने कहा है कि डिफाल्टर मिलरों द्वारा अपने विवाद सुलझाए जाने के पश्चात न सिर्फ सरकार को आवश्यक राजस्व प्राप्त होगा बल्कि डिफाल्टर मिलर भी आगामी खरीफ सीजन के दौरान पुन: मिलिंग के लिए योग्य पात्र बन सकेंगे। परिणामस्वरूप राज्य में धान मिलिंग की क्षमता में वृद्धि होने के चलते खरीद एजैंसी के ट्रांसपोर्टेशन के खर्चे में भी कमी आएगी साथ ही रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। 

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