पंजाब के रास्ते डा. मनमोहन सिंह को राज्यसभा भेजने की तैयारी में कांग्रेस

Edited By swetha,Updated: 15 Jan, 2019 08:35 AM

manmohan singh

पंजाब ही एक ऐसा राज्य है जहां कांग्रेस दो तिहाई बहुमत के साथ सत्ता में है। पंजाब की सियासत में जहां शिरोमणि अकाली दल अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है, वहीं आम आदमी पार्टी का ग्राफ भी डगमगा गया है। ऐसे में आने वाले लोकसभा चुनावों में पंजाब...

जालंधर(रविंदर): पंजाब ही एक ऐसा राज्य है जहां कांग्रेस दो तिहाई बहुमत के साथ सत्ता में है। पंजाब की सियासत में जहां शिरोमणि अकाली दल अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है, वहीं आम आदमी पार्टी का ग्राफ भी डगमगा गया है। ऐसे में आने वाले लोकसभा चुनावों में पंजाब कांग्रेस के लिए तुरूप का पत्ता साबित हो सकता है। बस पार्टी को डर है तो 1984 सिख दंगों को लेकर पार्टी के सीनियर नेता सज्जन कुमार को दोषी ठहराने के मामले का।

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84 के फैसले के चलते हाईकमान को सिख वोट बैंक हाथ से जाने का डर

हाईकमान को डर है कि कांग्रेसी नेता पर आरोप साबित होने के बाद कहीं सिख वोट बैंक पार्टी के हाथों से छिटक न जाए, ऐसे में कांग्रेस हाईकमान ने इसकी काट निकालने के लिए डा. मनमोहन सिंह का चेहरा आगे करने की रणनीति बनाई है। इस रणनीति के तहत कांग्रेस पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह को इस बार पंजाब से राज्यसभा भेजने की तैयारी कर रही है। मौजूदा समय में वह  असम से राज्य सभा सदस्य हैं।

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अंबिका सोनी छोडेंगी अपनी सीट

जून 2019 में उनकी टर्म खत्म होने जा रही है। सोनिया गांधी चाहती हैं कि डा. मनमोहन सिंह को फिर से राज्यसभा में भेजा जाए ताकि उनके अनुभव का पार्टी भविष्य में भी फायदा उठा सके। मौजूद समय की बात करें तो असम में कांग्रेस के पास विधायकों की इतनी संख्या नहीं है कि डा. मनमोहन सिंह को दोबारा वहां से राज्यसभा भेजा जाए। पार्टी पंजाब के रास्ते राज्यसभा भेजने की तैयारी में जुट गई है ताकि सिख वोट बैंक को दोबारा अपने पाले में डाला जा सके। फिलहाल पंजाब से राज्यसभा कोटा पूरा हो चुका है। अगले 3 साल तक यहां से राज्यसभा की कोई सीट खाली नहीं हो रही है, ऐसे में पंजाब से राज्यसभा सांसद अंबिका सोनी अपनी सीट डा. मनमोहन सिंह के लिए छोडने जा रही है। 

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2014 में सोनी चंदूमाजरा से हार गई थी लोकसभा चुनाव

ज्ञात रहे कि 2014 लोकसभा चुनाव अंबिका सोनी श्री आनंदपुर साहिब से अकाली दल के प्रेम सिंह चंदूमाजरा से हार गई थीं। लोकसभा चुनाव में हार के बाद उनको राज्यसभा के रास्ते संसद में पहुंचने के लिए पूरा जोर लगा दिया था।  इसमें वह कामयाब भी रही थीं। राज्यसभा में जाने के बाद से ही अंबिका सोनी ने श्री आनंदपुर साहिब सीट पर अपनी सक्रियता बिल्कुल खत्म कर दी थी।  वह यहां से दोबारा 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छुक नहीं है।  मगर वह अपनी राज्य सभा सीट इस शर्त पर छोडऩे के लिए तैयार हैं कि इस बार श्री आनंदपुर साहिब से उनके बेटे अनूप सोनी को लोकसभा टिकट दी जाए। 

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कांग्रेस के  पास है जीत की प्रबल संभावना

वहीं, अनूप सोनी के लिए दिक्कत यह है कि उनका इस सीट पर ज्यादा आधार नहीं है और उनका ज्यादा समय दिल्ली में ही गुजरता है। अंबिका सोनी को इस बात का अहसास है कि मौजूदा समय में जहां अकाली दल की राजनीति पंजाब में पूरी तरह से बिगड़ी हुई है, वहीं आम आदमी पार्टी भी बिखरी हुई है, ऐसे में इस सीट से कांग्रेस की जीत की संभावना प्रबल है। उक्त लोकसभा सीट के अंतर्गत 9 विधानसभा हलके आते हैं। 2017 में इनमें से 5 सीटों पर कांग्रेस को जीत प्राप्त हुई थी, जबकि आम आदमी पार्टी ने 3 और अकाली दल ने मात्र एक सीट जीती थी। 

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दूसरी तरफ पार्टी की जीत की प्रबल संभावना को देखते हुए अनूप सोनी के अलावा यहां से पहले ही सीनियर नेता मनीष तिवारी, जयवीर शेरगिल, सी.एम. के पॉलीटिकल सैक्रेटरी संदीप संधू, बीरइंद्र सिंह ढिल्लों और प्रदेश यूथ कांग्रेस प्रधान अमरप्रीत सिंह लाली गोटियां फिट करने में लगे हुए हैं। अगर डा. मनमोहन सिंह के लिए अंबिका सोनी अपनी राज्यसभा की सीट पंजाब से कुर्बान करती है तो पार्टी के लिए यह मजबूरी बन जाएगा कि वह उनके बेटे अनूप सोनी को श्री आनंदपुर साहिब की सीट से लड़ाएं। अगर ऐसा होता है तो इस सीट पर पिछले कई सालों से नजरें गड़ाए कई सीनियर नेताओं के अरमान आंसुओं में बह जाएंगे। 

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