Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Oct, 2017 08:52 AM
ई.डी. जांच में खुलासा हुआ कि एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग द्वारा 1,56,76190 रुपए का वैट रिफंड 26 मार्च 2013 को जलधारा एक्सपोर्ट के अकाऊंट में ट्रांसफर किया गया।
जालंधर/लुधियाना (प्रीत/सेठी): ई.डी. जांच में खुलासा हुआ कि एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग द्वारा 1,56,76190 रुपए का वैट रिफंड 26 मार्च 2013 को जलधारा एक्सपोर्ट के अकाऊंट में ट्रांसफर किया गया। जैसे ही अकाऊंट में वैट रिफंड के पैसे आए तो रमन कुमार गर्ग ने सारी रकम अपनी पत्नी, पिता, आंटी के नाम पर बनी फर्मों में ट्रांसफर कर दी। ई.डी. सूत्रों के मुताबिक रमन गर्ग ने 26 मार्च को ही 49 लाख रुपए आर.टी.जी.एस. के जरिए चेतन एक्सपोर्ट के अकाऊंट में ट्रांसफर किए। चेतन एक्सपोर्ट की प्रोपराइटर रमन कुमार गर्ग की आंटी संगीता गर्ग है। 9.5 लाख रुपए आंचल एक्सपोर्ट लुधियाना के खाते में तथा 30 लाख रुपए टैक्सेयर सिस्टम के अकाऊंट में ट्रांसफर हुए। 26 मार्च को ही 30 लाख रुपए वैन इम्पैक्स के खाते में गए। वैन इम्पैक्स की प्रोपराइटर रमन कुमार गर्ग की माता सीमा गर्ग हैं। बाद में उक्त रकम कैश विद्ड्राल कर ली गई। इसके पश्चात 45 लाख रुपए कोहेनूर ट्रेडर्ज के अकाऊंट में ट्रांसफर हुए। कोहेनूर ट्रेडर्ज रमन कुमार गर्ग के कजन ब्रदर उमेश कुमार गर्ग की है। बाद में उक्त रकम कैश निकलवाई गई। फिर 32 लाख रुपए मैसर्ज एम.ए. एक्सपोर्ट के खाते में ट्रांसफर हुए जो कि रमन कुमार गर्ग की पत्नी सायरा उर्फ दीपिका गर्ग की फर्म है। इसके अतिरिक्त जलधारा एक्सपोर्ट की तरफ से 70,000 रुपए का एक चैक रमन कुमार गर्ग के पिता विनोद कुमार गर्ग के अकाऊंट में कैश हुआ।
कई बार हुए सम्मन, नहीं पेश हुआ गर्ग परिवार
ई.डी. सूत्रों ने बताया कि पिछले काफी समय से ई.डी. जांच अधिकारी द्वारा रमन कुमार गर्ग व उसके परिजनों को जांच में शामिल होने के लिए सम्मन जारी किए जा रहे थे लेकिन कोई भी जांच में शामिल नहीं हुआ। पता चला है कि अदालत में ई.डी. ने बताया है कि विनोद कुमार गर्ग को अक्तूबर 2014 से अक्तूबर 2016 तक 9 बार सम्मन, रमन कुमार गर्ग को 12 बार, उमेश गर्ग को 9 बार, सीमा गर्ग को 9 बार, संगीता गर्ग को 9 बार तथा सायरा उर्फ दीपिका गर्ग को 9 बार सम्मन भेजे गए लेकिन कोई भी जांच में शामिल नहीं हुआ।
राज्य के पूर्व मंत्री ने भी उठाया था मामला
2012-13 में जब यह जलधारा बोगस कांड पूरी चरम सीमा पर था तो राज्य के पूर्व मंत्री सतपाल गोसाईं ने इस घोटाले के साथ सबूत सहित अन्य कई मामलों से तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को अवगत करवाया था परंतु सरकार की ओर से इस केस को लेकर कोई विशेष दिलचस्पी नहीं दिखाई गई थी। यही कारण है कि इस मामले की जांच होते-होते 5 साल का समय व्यतीत हो चुका है। गोसाईं के अनुसार जलधारा यूनिट सहित आबकारी एवं कराधान विभाग में बोगस बिङ्क्षलग के मामलों को लेकर 12 हजार करोड़ का घोटाला हुआ है और यह सभी बातें तत्कालीन मुख्यमंत्री व आबकारी उच्चाधिकारियों को बताई गई थीं परंतु किसी ने इस केस में दिलचस्पी नहीं दिखाई। परिणामस्वरूप जिनकी मिलीभगत से यह घोटाला हुआ, वे आज भी विभाग में उच्च स्तर पर कार्य कर रहे हैं। गोसाईं ने कहा कि वैट रिफंड घोटाले में जितने दोषी बोगस बिङ्क्षलग करने वाले हैं, उतने ही अधिकारी भी हैं इसलिए राज्य की नई सरकार इस केस में शामिल सभी अधिकारियों को सजा दे, क्योंकि यह पैसा जनता का है और इसे प्रदेश के विकास पर लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह इस मामले को पुन: उठाएंगे।
रेड से पहले भाग जाता था रमन गर्ग
बार-बार सम्मन भेजे जाने पर जब रमन गर्ग ने इन्वैस्टीगेशन ज्वाइन नहीं की तो ई.डी. अधिकारियों ने करीब 2 सप्ताह पहले रमन के घर में तड़कसार सर्च की, लेकिन वह ई.डी. टीम पहुंचने से पहले ही खिसक गया। सूत्रों ने बताया कि ई.डी. अधिकारियों ने योजनाबद्ध ढंग से आज लुधियाना ई.डी. टीम की बजाय अन्य शहरों के अधिकारियों की विशेष टीम गठित की और रमन कुमार गर्ग काबू आ गया।
अधिकारी के पूर्व डिप्टी सी.एम. का सहपाठी होने पर मामला लटका
सूत्रों की मानें तो यह घोटाला जिस सहायक आबकारी एवं कराधान अधिकारी की अगुवाई में हुआ था, वह तत्कालीन अकाली सरकार के सीनियर मंत्री का सहपाठी था, जिसके चलते यह मामला लटकता रहा और उस अधिकारी को लुधियाना से किसी अन्य शहर में शिफ्ट कर दिया गया तथा कार्रवाई एकतरफा चलती रही। सूत्रों की मानें तो नामजद रमन गर्ग ने स्पष्ट तौर पर एफीडेविट देकर अधिकारी पर आरोप लगाया था कि इस घोटाले के लिए उसने पैसे लिए थे परंतु विभाग अपनी धुन में कार्रवाई करता रहा।
ऑडिटर ने संदेह पर विजीलैंस को सौंपी थी फाइलें
स्थानीय आबकारी एवं कराधान विभाग के जिला 1 और 3 द्वारा दिए गए वैट रिफंड की 41 फाइलें विजीलैंस के पास भी पड़ी हैं, जिन्हें ऑडिटर ने शक के आधार पर पर विजीलैंस को सौंपा था। गौरतलब है कि इनमें से 39 फाइलें जिले की हैं। जहां से जलधारा एक्सपोर्ट्स को बोगस रिफंड मिला था।
बोगस रिफंड वाले कई उद्यमी सकते में
ई.डी. की सख्त व बड़े स्तर पर की जा रही जांच से आबकारी एवं कराधान विभाग से अन्य बोगस रिफंड लेने वाले उद्यमी सकते में हैं। वे बार-बार इस मामले की जानकारी प्राप्त कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें इस बात का अहसास हो चुका है कि जलधारा एक्सपोर्ट्स के बाद जांच के लिए उन्हें भी बुलाया जा सकता है। ई.डी. प्रवक्ता के अनुसार यदि जलधारा एक्सपोर्ट्स पर यह मामला सिद्ध हो जाता है तो नामजद गर्ग बाप-बेटे को 7 साल तक की सजा हो सकती है।