Edited By Vatika,Updated: 28 Jun, 2019 09:31 AM
सैंट्रल जेल की सिक्योरिटी को लेकर समय समय पर जेल प्रशासन की तरफ से किए जाने वाले दावों के बाद अधिकारियों के उस समय होश उड़ गए, जब जेल में हुए सारे हादसे की कैदियों और हवालातियों की तरफ से वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाली गई।
लुधियाना(ऋषि): सैंट्रल जेल की सिक्योरिटी को लेकर समय समय पर जेल प्रशासन की तरफ से किए जाने वाले दावों के बाद अधिकारियों के उस समय होश उड़ गए, जब जेल में हुए सारे हादसे की कैदियों और हवालातियों की तरफ से वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाली गई। दूसरे शब्दों में इसे जेल प्रशासन के मुंह पर तमाचा कहा जा सकता है। देर शाम तक जेल के अंदर की प्रत्येक गतिविधि हर किसी के मोबाइल फोन में पहुंच गई, जबकि जेल प्रशासन हर समय जेल में परिंदा भी पर न मार सकने के दावे करता रहा है।
जेल में युवाओं के हाथों में दिखे हथियार
जेल से जो वीडियो बनाकर बाहर भेजी जा रही थीं उनमें युवाओं को हाथों में हथियार देखे जा सकते थे जो समय-समय पर जेल प्रशासन की तरफ से की जाने वाली औचक चैकिंग का सच बया कर रही थी। सूत्रों के अनुसार जेल में बंद कैदियों की तरफ से चम्मच को चाकू और नलके की हत्थी को दातर के रूप में तैयार किया जाता है जिसे बड़े गैंगस्टर हर समय अपने पास रखते हैं और उसका प्रयोग नए कैदियों व हवालातियों को डराने के लिए करते हैं।
पकड़े जा चुके फोनों की डिटेल सामने ला सकती है पुलिस अफसरों के नाम
अगर जेल प्रशासन केवल अब तक जेल में पकड़े जा चुके मोबाइल फोन व जेल के पास लगे टावर के अंतर्गत चल रहे फोनों लोकेशन डिटेल निकलवाकर निष्पक्षता से जांच करे तो कई पुलिस अफसरों के नाम सामने आ सकते हैं जो हर समय जेल में सजा काट रहे नशा तस्करों और गैंगस्टरों के संपर्क में है। आज तक ज्यादा मात्रा में नशा पकड़े न जाने का एक बड़ा कारण यह भी है कि जेल में बैठे नशा तस्कर और गैंगस्टर खुद ही अवैध कारोबार करने वाले छोटे मगरम4छों को पकड़वा देते हैं। इससे पुलिस भी वाहवाही लूट लेती है और बड़े मगरम‘छों का काम भी चलता रहा है।
जहर खाने से हुई सन्नी सूद की मौत : जेल सुपरिंटैंडैंट
लुधियाना (स्याल): केन्द्रीय जेल के सुपरिंटैंडैंट शमशेर सिंह बोपाराय का कहना है कि डाक्टर की रिपोर्ट के अनुसार हवालाती सन्नी सूद ने 26 जून को कोर्ट जहरीली वस्तु खा ली जिसके चलते रात आठ बजे एमरजैंसी गार्द लगाकर उसे सिविल अस्पताल भेजा गया। वहां से रजिन्द्रा अस्पताल भेज दिया जहां उसकी मौत हो गई। प्रात: 9.30 बजे गैंगस्टर वार्ड में किसी बंदी की वीडियो कांफ्रैंसिंग से पेशी होनी थी। वहां तैनात पंजाब पुलिस व जेल गार्द ने बैरक में से बंदी को निकालकर वहां लाना था। कर्मचारी के साथ हाथापाई शुरू हो गई व कैदियों ने सैंट्रल अहाता, बी.के.यू., रिसैप्शन ब्लाक के बंदियों को इकट्ठा कर कहने लगे हमारा भाई सन्नी सूद मार दिया है। उपद्रवियों पर मामला दर्ज करने हेतु पुलिस को लिखकर भेज दिया
गया है।
जेल से ही चल रहा नशे, फिरौती और गैंगस्टरों का कारोबार
समय-समय पर पुलिस की तरफ से ऐसे कई नशा तस्करों को पकड़ा जा चुका है जिनके सरगना जेल में बैठकर अपने कारोबार को चला रहे थे। इतना ही नहीं, कई मामलों में जेलों में बैठे गैंगस्टरों द्वारा फिरौती मांगने के मामले भी सामने आ चुके हैं, इसके बावजूद सैंट्रल जेल में आज तक कभी भी भारी संख्या में मोबाइल फोन नहीं पकड़े जा सके जो जेल पुलिस के साथ कैदियों और हवालातियों की सैटिंग का प्रमाण है। अगर जेल प्रशासन की तरफ से वास्तव में सख्ती बरती जा रही होती तो शायद आज जेल के अंदर से सैंकड़ों वीडियो बना बाहर आने की बात सामने न आती। सूत्रों के अनुसार कई पुलिस अफसरों ने जेल में सजा काट रहे बड़े नशा तस्करों के साथ सैटिंग कर रखी है जो उन्हें जेल में बैठे ही छोटे नशा तस्करों की जानकारी मुहैया करवाते है। उन्हें मोबाइल की सुविधा पुलिस ने खुद ही दी हुई है।
15 हजार रुपए में 30 दिन करें मोबाइल यूज
सूत्रों के अनुसार सैंट्रल जेल में मोबाइल फोन चलाने वाले प्रत्येक व्यक्ति की तरफ से 15 हजार रुपए महीना दिया जाता है, इसकी एवज में उसे मोबाइल यूज करने व दोस्तों रिश्तेदारों वे वी.वी.आई.पी. तरीके से मुलाकात करने की सुविधा दी जाती थी। बुधवार को जेल में चले मोबाइल फोनों ने इस बात की पुष्टि कर दी। सूत्रों को अनुसार इसी कारण बड़े स्तर पर जेल में नशे का कारोबार चलता है।
6 माह में 60 मोबाइल बरामद, 19 एफ.आई.आर. दर्ज
वहीं जेल प्रशासन के आंकड़ों की बात करें तो पता चला है कि वर्ष 2019 के पहले 6 महीनों में पुलिस की तरफ से जेल से मोबाइल बरामद होने पर सिर्फ 19 एफ.आई.आर. दर्ज की गई हैं। पुलिस के अनुसार &0 लोगों को पकड़ा जा चुका है जिनके पास से 60 मोबाइल फोन बरामद हुए हैं।
मोबाइल चलाने वालों को पकड़ सकती है पुलिस
अगर पुलिस बुधवार को जेल में बेखौफ होकर मोबाइल फोन चलाने वालों को पकडऩा चाहे तो पूरे दिन का डम्प उठवा सकती है। उसमें स्पष्ट हो जाएगा कि जेल के अंदर वीडियो बनाकर बाहर जिन जिन नंबरों पर भेजी गई है। उनके साथ कैदियों और हवालातियों का क्या सम्पर्क है और यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि कितने समय से जेल में उनकी तरफ से मोबाइल फोन प्रयोग किए जा रहे थे।
2 घंटे के लिए बंद हुए जेल में मोबाइल
सूत्रों के अनुसार बुधवार को जेल वीडियो बनाने के बाद सभी ने अपने मोबाइल फोन बंद कर दिए। लगभग 2 घंटे तक नंबर बंद आ रहे थे लेकिन फिर से मोबाइल फोन चल पड़े और पुलिस को गालियां निकालने की वीडियो बनाकर बाहर भेजते रहे।