लुधियाना के बुड्ढे नाले में रोजाना गिराया जा रहा 550 मीट्रिक टन गोबर

Edited By Ram Maheshwari,Updated: 06 Aug, 2018 12:01 PM

ludhiana budha nala

डेयरियों से निकलने वाला मवेशियों का गोबर बेशक खाद के रूप में इस्तेमाल करने के लिए सबसे बेहतर माना जाता है, लेकिन बुड्ढे नाले में जाते ही ये लोगों के लिए जहर बन रहा है। लुधियाना के हंबड़ा रोड (हैबोवाल) और ताजपुर रोड पर करीब 550 डेयरियां हैं जिनमें...

लुधियाना(नितिन धीमान): डेयरियों से निकलने वाला मवेशियों का गोबर बेशक खाद के रूप में इस्तेमाल करने के लिए सबसे बेहतर माना जाता है, लेकिन बुड्ढे नाले में जाते ही ये लोगों के लिए जहर बन रहा है। लुधियाना के हंबड़ा रोड (हैबोवाल) और ताजपुर रोड पर करीब 550 डेयरियां हैं जिनमें लगभग 25000 गाय-भैंसें हैं। इनमें से रोजाना 550 मीट्रिक टन गोबर निकलता है जो बिना ट्रीट किए अवैध सीवरेज के जरिए बुड्ढे नाले में गिराया जा रहा है जो उसे जाम कर रहा है। 

इससे पानी का बी.ओ.डी. स्तर बायो कैमीकल आक्सीजन डिमांड जो 200 के करीब होना चाहिए वह 800 से 900 तक पहुंच रहा है। जिस कारण लोगों के लिए सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। गोबर युक्त पानी पीने वाले पानी में मिक्स हो रहा है। हैबोवाल डेयरी काम्पलैक्स में 700 के करीब परिवार हैं जो गोबर से फैलने वाली बीमारियों के कारण नर्क की जिंदगी जी रहे हैं। इसके अलावा आसपास के एरिया के भी हजारों लोगों के लिए रहना दूभर बना हुआ है। डेयरी मालिकों ने छोटे-छोटे नाले खोदकर उनमें सीवरेज डाले हुए हैं जिनका मुंह सीधा बुड्ढे नाले में जाकर खुलता है। कहीं-कहीं सीवरेज बीच में टूटे हुए हैं जिनके बरसात के दिनों में ओवरफ्लो होने से डेयरी काम्पलैक्स में रहने वालें लोगों के घरों में घुस जाता है।

वहां के रहने वाले लोग ‘पंजाब केसरी’ की टीम के सामने तो आए लेकिन खुलकर बोलने को तैयार इसलिए नहीं हुए क्योंकि डेयरी मालिकों की दहशत वहां काफी है। वजह डेयरी काम्पलैक्स पर अधिकतर राजनीतिक लोगों का प्रभाव है। डेयरी मालिकों के दिल में भी रहम नहीं है कि उन्होंने छोटे-छोटे बच्चों की जान खतरे में डाली हुई है। उन्हें सिर्फ दूध से होने वाली अपनी कमाई तक मतलब है। ऐसे ही हालात ताजपुर डेयरी काम्पलैक्स के भी हैं जो सीधा गोबर युक्त पानी बुड्ढे नाले में डाल रहे हैं। 
मेयर बलकार की खुद की है डेयरी

मौजूदा कांग्रेस सरकार के मेयर बलकार सिंह संधू की खुद की डेयरी हैबोवाल डेयरी काम्पलैक्स में है। इतने जिम्मेदार इंसान खुद लोगों को बीमारी देने में शामिल हैं तो लोग किस पर भरोसा करें। आज तक डेयरी काम्पलैक्स के लिए कोई पुख्ता योजना बनवाने के लिए भी कदम नहीं उठाया गया। हालांकि यहां के कई धाकड़ छवि वाले पार्षद भी रहे हैं। उनमें भी दम नहीं था कि डेयरी काम्पलैक्स को कहीं शिफ्ट करवा दें।

गोबर कैसे बुड्ढे नाले को कर रहा है जाम

हैबोवाल व ताजपुर रोड की डेयरियां रोजाना मल-मूत्र को साफ  करने के लिए हजारों लीटर पानी का इस्तेमाल करती हैं। पानी के बहाव से गोबर को अवैध सीवरेज के जरिए बुड्ढïे नाले तक पहुंचाया जा रहा है। जहां जाकर गोबर स्लज के रूप में नीचे बैठ जाता है और पानी के बहाव को रोक देता है, जिससे प्रतिदिन बुड्ढïे नाले के जाम होने की कवायद बढ़ती जा रही है। निगम भी इसकी सफाई करवाने के लिए फेल हो चुका है।

फैल रही हैं ये बीमारियां

पशुओं के माहिर डाक्टरों का मानना है कि जहां पशुओं को कम जगह मिलती है वहां मेसटाइडिस जैसी बीमारी फैलती है। जिससे दूध कम हो जाता है और इंजैक्शन लगाकर दूध निकाला जाता है। जो पशुओं के लिए तो हानिकारक है ही साथ ही इंसानों के लिए भी यह खतरनाक है। वजह इंजैक्शन एंटीबायोटिक होते हैं। इसके अतिरिक्त हैबोवाल व ताजपुर रोड पर जो डेयरी काम्पलैक्स बने हैं वहां पशुओं के लिए काफी कम जगह है जिस कारण अधिकतर समय पशुओं को खड़े रहना पड़ता है। इस वजह से पशुओं को लंगड़ापन भी आ जाता है और गलघोटू बीमारियां भी पैदा होती हैं।

 गैस्ट्रो के माहिर डाक्टरों के मुताबिक इंसानों को पशुओं या उनके मल-मूत्र से जोनोसिस जैसी बीमारियां फैलती हैं। यह एक बीमारियों का ग्रुप है, जिनमें एमपरेक्स एक प्रमुख बीमारी है। जिससे चमड़ी रोग और मुंह के रास्ते बदबू अंदर जाती रहे तो दस्त और उल्टियां होती हैं। हालांकि इस बीमारी के हिंदुस्तान में बहुत कम मरीज हैं लेकिन 24 घंटे पशुओं के मल-मूत्र या उनके बीच रहने वाले हमेशा गैस्ट्रो से संबंधित बीमारी की चपेट में रहते हैं। उन्हें पेट की इंफैक्शन अक्सर होती है। जिनमें दस्त, उल्टी आम बात है और यह सिलसिला जानलेवा भी साबित हो सकता है। वजह जब इंसान को कुछ खाया-पीया ही हजम नहीं होगा तो वह धीरे-धीरे कमजोर होता जाएगा।  जहां तक गोबर द्वारा बुड्ढा नाला जाम हो रहा है उससे मक्खी-मच्छर की वजह से डेंगू तेजी से फैलता है और यह सीजन डेंगू-मलेरिया का है। 
प्रदूषण के खिलाफ इस तरह जुड़ें मुहिम सेपंजाब केसरी द्वारा प्रदूषण के खिलाफ शुरू की गई मुहिम से सैंकड़ों लोग जुड़ रहे हैं।  

सरकार ने अब तक क्या किया

पंजाब सरकार की पंजाब एनर्जी डिवैल्पमैंट एजैंसी (पेडा) ने हैबोवाल डेयरी काम्पलैक्स में पावर प्लांट लगाया है। पेडा के मैनेजर कुलबीर संधू ने बताया कि प्लांट में रोजाना करीब 170 मीट्रिक टन गोबर आता है। जिससे करीब 16 हजार यूनिट बिजली पैदा होती है। इसे किचलू नगर में पावरकॉम के सब-स्टेशन को 3.49 रुपए के हिसाब से प्रति यूनिट बेची जाता है। यानी की कुल 550 में से 170 मीट्रिक टन गोबर का सही इस्तेमाल होता है। बाकी का 380 मीट्रिक टन बुड्ढे नाले को जाम कर रहा है। इसे रोकने के लिए अभी तक कोई योजना नहीं है। यहां तक कि पेडा के पास भी प्लांट की क्षमता बढ़ाने की कोई योजना नहीं है। 

मैं मानता हूं कि हैबोवाल डेयरी काम्पलैक्स में सीवरेज कार्पोरेशन का नहीं है। लेकिन अब इस समस्या से निजात पाने के लिए पंजाब सरकार से गुहार लगाई गई है कि हंबड़ा रोड पर ही 300 एकड़ के पास जगह है वहां डेयरियों को शिफ्ट कर दिया जाए। मैं यह भी मानता हूं कि गोबर की वजह से बीमारियां भी फैल रही हैं और बुड्ढा नाला भी जाम हो रहा है। लेकिन अब बुड्ढे नाले को साफ  करने के लिए युद्ध स्तर पर काम शुरू हो गया है।—बलकार सिंह संधू, मेयर, लुधियाना

प्रदूषण के खिलाफ इस तरह जुड़ें मुहिम से
पंजाब केसरी द्वारा प्रदूषण के खिलाफ शुरू की गई मुहिम से सैंकड़ों लोग जुड़ रहे हैं। इस मुहिम से जुडऩे व सुझाव देने के लिए support@punjabkesari.net.in पर सम्पर्क करें। 

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