Edited By Vaneet,Updated: 13 Nov, 2018 09:13 PM
पिछले कुछ दिनों से सिखों की धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान का चुनाव बड़ी पहेली बना हुआ था। इस पहेली...
जालंधर (जसबीर वाटां वाली): पिछले कुछ दिनों से सिखों की धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान का चुनाव बड़ी पहेली बना हुआ था। इस पहेली का हल आज उस समय हुआ, जब शिरोमणि कमेटी के 170 चुने हुए और 15 मनोनीत सदस्यों ने एक बार फिर से गोबिन्द सिंह लोंगोवाल के नाम पर मुहर लगा दी। लोंगोवाल के प्रभाव के कारण उनका नाम पहले ही चर्चा में था और यह भी कहा जा रहा था कि गोबिन्द सिंह सुखबीर बादल के खासम-खास हैं। कहा जा रहा था कि उनका दोबारा प्रधान बनाया जाना तय था। इस पद के चुनाव के बारे में अक्सर यह भी कहा जाता है कि प्रधान का चुनाव हमेशा ही ‘अकाली दल के गुप्त लिफाफे’ के द्वारा होता है।
भाई गोबिन्द सिंह लोंगोवाल के बीते कार्यकाल पर नजर डालें तो अभी तक उनके साथ जुड़ा कोई भी विवादित मामला सामने नहीं आया है। यह भी कहा जाता है कि उन्होंने अपनी ड्यूटी ईमानदारी और पार्टी की मर्जी के मुताबिक बड़ी जिम्मेदारी के साथ निभाई है। इसके अलावा लोंगोवाल ने गुरुद्वारों के द्वारा धर्म प्रचार का संदेश भी दिया। साथ ही साथ, उन्होंने जाति पर आधारित अलग-अलग श्मशान घाटों को एक करने का महत्वपूर्ण आदेश भी जारी किया, जिसकी सभी ने प्रशंसा की। उनकी तरफ से बुजुर्गों को तख्त सहबानों की यात्रा करवाने जैसे खास कामों को अमल में लाने को सराहा गया। इस सबके चलते ही लोंगोवाल के नाम पर दोबारा मुहर लगनी संभव हुई।
यदि गोबिन्द सिंह लोंगोवाल की नियुक्ति को राजनीतिक नजरिए से देखा जाए तो इस नियुक्ति का सीधा फायदा अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल को होगा। इसका मुख्य कारण गोबिन्द सिंह लोंगोवाल का विवादों से दूर होने के साथ-साथ उनकी छवि का साफ होना भी है। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कभी भी कोई विवादित बयानबाजी नहीं की। लोंगोवाल के बार में यह भी कहा जाता है कि वह सुखबीर के लिए ‘यसमैन’ की तरह हैं।
यदि पिछले समय के दौरान अकाली दल की हुई दुर्गति को देखें तो इस बुरे दौर में गोबिन्द सिंह लोगोंवाल उनके लिए बड़ा सहारा बनकर सामने आ सकते हैं। जिक्र योग्य है कि बेअदबी की घटनाएं घटने के बाद बादल परिवार लगातार सवालों के घेरे में है और कई सिख जत्थेबंदियां उनको धार्मिक और कानूनी सजा दिलाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। ऐसे हालात में सुखबीर बादल की नइया प्रधान पार लगा सकते हैं। इसमें में भी कोई शक नही है कि गोबिन्द सिंह लोंगोवाल सुखबीर बादल के लिए मिश्री की डली साबित होंगे।