Edited By swetha,Updated: 03 Sep, 2018 04:11 PM
एल.पी.जी.के साथ शवों का संस्कार करने वाली 2 मशीनें अलग-अलग शमशानघाटों में 6 साल पहले स्थापित की गई थीं। पर इन मशीनों के प्रति लोगों का रुझान देखने को नहीं मिल रहा है। यह मशीनें दुर्ग्याणा मंदिर और गुरुद्वारा शहीदा के पास स्थित शमशानघाट में स्थापित...
अमृतसर: एल.पी.जी.के साथ शवों का संस्कार करने वाली 2 मशीनें अलग-अलग शमशानघाटों में 6 साल पहले स्थापित की गई थीं। पर इन मशीनों के प्रति लोगों का रुझान देखने को नहीं मिल रहा है। यह मशीनें दुर्ग्याणा मंदिर और गुरुद्वारा शहीदा के पास स्थित शमशानघाट में स्थापित की गई थीं। यह मशीनें एल.पी.जी. से चलतीं हैं और कुछ घंटों में ही बिना प्रदूषण के शव का संस्कार करती हैं। लकड़ी के साथ संस्कार करने पर लगभग 1200 से 1400 तक की लकड़ी की खरीद करनी पड़ती है। संस्कार करने में लगभग 6घंटे का समय लग जाता है।
इन मशीनों को इसलिए स्थापित किया गया था ताकि लकड़ी का प्रयोग कम हो सके। लोगों की पुरानी सोच के कारण इन मशीनों को समाज की अभी तक मंजूरी नहीं मिल सकी है।इस संबंधी दुर्ग्याणा मंदिर समिति के प्रबंधक मुरारी लाल बत्रा ने बताया कि लोग पुरातन ढंग के साथ संस्कार करन को प्राथमिकता देते हैं। इन मशीनों के साथ संस्कार करने के लिए मुफ्त सेवाएं भी मुहैया की गई थीं परन्तु लोगों की तरफ से इसको स्वीकृत नहीं किया गया।