Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Feb, 2018 11:04 AM
लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई, 2019 में होने वाले हैं लेकिन अटकलें लगाई जा रही हैं कि इन चुनावों को पहले भी कराया जा सकता है। ऐसा इस संबंध में भाजपा द्वारा की जा रही तैयारी को देख कर कहा जा रहा है। जानकारों के अनुसार सत्ताधारी भाजपा को पता है कि 2014...
जालंधर(पाहवा): लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई, 2019 में होने वाले हैं लेकिन अटकलें लगाई जा रही हैं कि इन चुनावों को पहले भी कराया जा सकता है। ऐसा इस संबंध में भाजपा द्वारा की जा रही तैयारी को देख कर कहा जा रहा है। जानकारों के अनुसार सत्ताधारी भाजपा को पता है कि 2014 लोकसभा चुनाव जैसा प्रदर्शन दोहरा पाना बेहद मुश्किल है। साथ ही इस साल के अंत में होने वाले राज्यों के विधानसभा चुनावों में अगर भाजपा को झटका लगता है तो इसका असर लोकसभा चुनाव पर दिख सकता है। भाजपा अपने साढ़े तीन सालों में कई वादों पर खरी नहीं उतर सकी है। खासकर किसानों और रोजगार के मुद्दे पर लोगों में गहरा असंतोष है और बढ़ते समय के साथ यह गुस्सा और गहराता जा रहा है। ऐसे में चुनाव पहले ही हो जाएं तो यह भाजपा के लिए फायदे का सौदा होगा। समय के साथ-साथ असंतोष बढ़ता ही जाएगा।
विपक्षी पार्टियों के लिए घातक
चुनाव अगर समय से पहले होते हैं तो ये विरोधी पार्टियों के लिए झटका साबित होगा। जैसे कि संभावना जताई जा रही है कि अगले 5-6 महीनों में चुनाव हो सकते हैं तो इस स्थिति में सत्ताधारी पार्टी हर लिहाज से विपक्षी पार्टी से ’यादा मजबूत दिख रही है। वहीं अगर इसे 2019 के लिए टाला गया तो कांग्रेस के लिए गठबंधन और नए सांझेदार बनाने का पूरा वक्त होगा।
इन घटनाओं से लगाया जा सकता है अनुमान
हाल की घटनाओं को गौर से देखा जाए तो केंद्र सरकार की समय से पहले चुनाव करवाने की मंशा साफ दिख रही है। पी.एम. नरेंद्र मोदी के बैक टू बैक इंटरव्यू को देखा जाए तो बीते साढ़े तीन वर्ष के कार्यकाल में मोदी किसी इंटरव्यू में नजर नहीं आए हैं। अब अचानक 2 दिनों में उन्होंने 2 इंटरव्यू दे डाले। इतना ही नहीं दावोस से लेकर आसियान तक मोदी सरकार के बड़े मंत्री अपनी सरकार का पक्ष पुरजोर तरीके से रखते नजर आ रहे हैं। इन संकेतों के अलावा हाल ही में रिपब्लिक टी.वी. ने सी-वोटर के साथ मिलकर एक सर्वे कराया जिसमें राजग को 335 सीटें मिलती दिखाई गईं। इस सर्वे का भी यही इशारा है कि चुनाव अभी ही करा लेने चाहिएं।
बजट में होगी तोहफों की बरसात
वैसे कुछ माहिर इस बजट की टाइमिंग को भी चुनाव से जोड़ कर देख रहे हैं। उनका मानना है कि 1 फरवरी को पेश होने जा रहे रेल बजट में हर वर्ग को पी.एम. मोदी का तोहफा मिल सकता है। एक अनुमान के मुताबिक लोगों के दिमाग में राजनीतिक और आर्खथिक बरें 90 दिनों तक बनी रहती हैं, ऐसे में अगर बजट से लोगों को ‘फील गुड’ होता है तो चुनाव में इसे अ‘छी तरह से भुनाया जा सकता है। हाल ही में मोदी ने भी अपने इंटरव्यू में चुनावों को एक साथ कराने की बात की थी। ऐसे में अप्रैल, 2018 के बाद आम चुनाव होते हैं तो इसी के साथ कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु जैसे रा’यों के चुनाव भी हो सकते हैं।