Edited By Vatika,Updated: 19 Mar, 2019 09:36 AM
लोकसभा चुनाव के दौरान गठबंधन की सम्भावनाएं खत्म होने के बाद पंजाब में ‘आप’ का सारा दारोमदार भगवंत मान पर टिका है। यहां बताना उचित होगा कि देश की राजनीति में नए विकल्प के रूप में एंट्री करने वाली आप ने दिल्ली में सरकार बनाने के बाद लोकसभा चुनाव के...
लुधियाना(हितेश): लोकसभा चुनाव के दौरान गठबंधन की सम्भावनाएं खत्म होने के बाद पंजाब में ‘आप’ का सारा दारोमदार भगवंत मान पर टिका है। यहां बताना उचित होगा कि देश की राजनीति में नए विकल्प के रूप में एंट्री करने वाली आप ने दिल्ली में सरकार बनाने के बाद लोकसभा चुनाव के दौरान सिर्फ पंजाब में 4 सीटों पर जीत दर्ज करके खाता खोला था।
मगर इस माहौल को कायम रखने में आप नाकाम साबित हुई है, जिसके तहत जीतने के कुछ देर बाद 2 सांसदों धर्मवीर गांधी व हरिन्द्र सिंह खालसा ने पार्टी से किनारा कर लिया। इसी तरह विधानसभा चुनाव से पहले कन्वीनर सु‘चा सिंह छोटेपुर ने अलग फ्रंट बना लिया और विधानसभा चुनाव के बाद सुखपाल खैहरा ने आप का साथ छोड़ दिया है।उक्त हालातों के मद्देनजर लोकसभा चुनाव के दौरान पंजाब में अपना वजूद कायम रखने के लिए आप द्वारा अब दूसरी प के साथ गठबंधन करने के लिए कवायद जारी है।
मगर कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने पहले ही हाईकमान को पंजाब में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करने के लिए साफ इंकार कर दिया था और वह आज भी अपने स्टैंड पर कायम है। इसके मद्देनजर आप ने नए बन रहे डैमोक्रटिक फ्रंट पर डोरे डाले लेकिन खैहरा की मौजूदगी की वजह से बात नहीं बनी और आप के पुराने साथी धर्मवीर गांधी व सिमरजीत सिंह बैंस भी इस फ्रंट में शामिल हैं। इसके बाद आप ने शिअद टकसाली की तरफ हाथ बढ़ाया लेकिन आनंदपुर साहिब सीट पर पहले से ही उम्मीदवार की घोषणा होने की वजह से समझौता नहीं हो पाया है। इस तरह पंजाब में आप अकेली रह गई है और अगर मौजूदा सांसदों या उम्मीदवारों की तरफ नजर डाली जाए तो भगवंत मान को छोड़कर कोई मजबूत चेहरा देखने को नहीं मिल रहा है।