Edited By Vatika,Updated: 17 May, 2019 10:23 AM
लोकसभा चुनावों के 7वें और अंतिम चरण में पंजाब में 19 मई को होने जा रहे चुनावों के तहत प्रत्याशी के पास खुले चुनाव प्रचार के लिए सिर्फ कुछ घंटों का समय रह जाने से न सिर्फ प्रत्याशियों के दिलों की धकडऩें तेज हो चुकी हैं, बल्कि इस अंतिम दौर में वोटरों...
गुरदासपुर (हरमनप्रीत): लोकसभा चुनावों के 7वें और अंतिम चरण में पंजाब में 19 मई को होने जा रहे चुनावों के तहत प्रत्याशी के पास खुले चुनाव प्रचार के लिए सिर्फ कुछ घंटों का समय रह जाने से न सिर्फ प्रत्याशियों के दिलों की धकडऩें तेज हो चुकी हैं, बल्कि इस अंतिम दौर में वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करने के यत्न भी शिखर पर पहुंच गए हैं।
इसके चलते चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के अलावा उनके समर्थकों और पारिवारिक सदस्यों ने भी अधिक से अधिक चुनावी बैठकें करने की कोशिश की। गौरतलब है कि चुनाव आयोग की हिदायतों के अनुसार प्रत्याशी के पास खुले चुनाव प्रचार के लिए सिर्फ शुक्रवार शाम 5 बजे तक का समय ही है। इसके बाद कोई भी प्रत्याशी सार्वजनिक रैली या बैठक करके स्पीकर के माध्यम से चुनाव प्रचार नहीं कर सकेगा। इस कारण अपनी चुनाव मुहिम को अंतिम समर्थन देने के लिए प्रत्येक प्रत्याशी यह कोशिश कर रहा है कि उसके पक्ष में पार्टी का कोई न कोई स्टार प्रचारक लोगों को संबोधन करने के लिए आए और राजनीतिक पार्टियों की भी यही कोशिश नजर आ रही है कि कमजोर स्थिति में गुजर रहे प्रत्याशियों की स्थिति को मजबूत किया जा सके।
चुनाव आयोग भी हुआ चौकस
पोलिंग का समय निकट आने से यहां प्रत्याशियों की सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं चुनाव आयोग ने भी चौकसी बढ़ा दी है, ताकि किसी भी गांव, शहर या कस्बे में किसी भी तरह से वोटरों को लालच देने, डराने और धमकाने की कार्रवाई सफल न हो सके। इसके चलते विभिन्न स्थानों पर तैनात फलाइंग स्क्वायड टीमों और अद्र्ध-सैनिक बलों की रात के समय चौकसी बढ़ा दी गई है।
बाहरी प्रत्याशियों के लिए पैदा होगी परेशानी
17 मई की शाम को 5 बजे के बाद किसी भी क्षेत्र में किसी बाहरी जिले का कोई भी राजनीतिक समर्थक नहीं ठहर सकेगा, जिससे बाहरी क्षेत्रों में जाकर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के लिए परेशानी पैदा होनी संभाविक है। क्योंकि इन प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करने और उनके लिए उचित प्रबंध करने के लिए अधिकतर नेता बाहरी क्षेत्रों व जिलों में से ही आए हुए हैं। कल शाम 5 बजे के बाद उनके अधिकतर समर्थकों व साथियों के क्षेत्र छोड़ जाने से कोई काम प्रभावित न हों।
कांटेदार टक्कर वाले क्षेत्रों में मिन्नतों का दौर
चुनाव प्रचार शिखर पर पहुंचने पर जिन क्षेत्रों में उम्मीदवारों में कांटेदार व रोमांचिक मुकाबला नजर आ रहा है, उन्हीं क्षेत्रों में संबंधिच विधायकों और हलका इंचार्जों की सांस फूली हुई नजर आ रही है। विशेष कर सत्ताधारी विधायक तो कैप्टन की सख्ती से और भी सरगर्म और परेशान नजर आ रहा हैं, जिनकी ओर से हरसंभव अपने क्षेत्र जिताने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया जा रहा है।दूसरी तरफ अकाली दल और भाजपा से संबंधित इंचार्ज भी इन चुनावों को पार्टी की वापसी की नींव मानते हुए हरसंभव अपनी कारगुजारी में सुधार लाने की दौड़ में दिखाई दे रहे हैं, ताकि बड़ी लीड लेकर अगले समय में अपनी जीत की नींव बना सकें। इसी तरह निचले स्तर पर हालात यह नजर आ रहे है कि जो सत्ताधारी नेता कुछ दिन पहले तक किसी की प्रवाह नहीं कर रहे थे, वह अब रूठों को मनाने और लालचियों को भरमाने की हर कोशिश में लगे दिखाई दे रहे हैं।