Edited By Vatika,Updated: 19 Apr, 2019 08:17 AM
मई के अंतिम सप्ताह में लोकसभा चुनाव प्रक्रिया पूरी होते ही पंजाब के बिजली उपभोक्ताओं को दरों में बढ़ौतरी का करंट लगने वाला है। चुनाव प्रक्रिया पूरी होने पर राज्य सरकार पर मतदाताओं को रिझाने के लिए बिजली दरों में कमी लाने या यथावत रखने का दबाव नहीं...
चंडीगढ़(शर्मा): मई के अंतिम सप्ताह में लोकसभा चुनाव प्रक्रिया पूरी होते ही पंजाब के बिजली उपभोक्ताओं को दरों में बढ़ौतरी का करंट लगने वाला है। चुनाव प्रक्रिया पूरी होने पर राज्य सरकार पर मतदाताओं को रिझाने के लिए बिजली दरों में कमी लाने या यथावत रखने का दबाव नहीं होगा।
हालांकि इलैक्ट्रिसिटी एक्ट के अनुसार रैगुलेटरी कमीशन को वित्त वर्ष शुरू होने से पहले अर्थात 31 मार्च तक अगले वित्त वर्ष के लिए दरें निर्धारित करनी होती है लेकिन पंजाब के मामले में यह अभी तक नहीं हुआ। कभी सरकार द्वारा समय पर बिजली सबसिडी राशि की रैगुलेटरी कमीशन को दी जाने वाली सहमति में देरी की जाती है तो कभी पावरकॉम ने समय पर टैरिफ पटीशन दायर नहीं की। हालांकि रैगुलेटरी कमीशन ने पिछले वर्ष से राज्य में मल्टी ईयर टैरिफ प्रणाली लागू की थी, जिससे यह उम्मीद की गई थी कि वर्ष चालू वित्त वर्ष के लिए बिजली की दरें वित्त वर्ष शुरू होने से पहले घोषित कर दी जाएंगी।
कमीशन ने इसकी तैयारी भी कर ली थी तथा पावरकॉम द्वारा दायर पटीशन पर जन सुनवाई सत्रों का आयोजन कर संबंधित पक्षों से आपत्तियां व सुझाव आमंत्रित करने व इन पर पावरकॉम का पक्ष जानने की प्रक्रिया 1 मार्च तक पूरी कर ली थी, लेकिन इससे पहले की कमीशन की प्रक्रिया पूरी होती और सरकार द्वारा पावरकॉम को दी जाने वाली सबसिडी राशि की सरकार की ओर से कमीशन को सहमति मिलती लोकसभा चुनाव को लेकर आदर्श चुनाव आचार संहित लागू हो गई। पावरकॉम ने अपनी पटीशन में वर्ष 2019-20 दौरान 35159.36 करोड़ की जरूरत दर्शाई है लेकिन वर्ष के दौरान 653.76 करोड़ की गैर-टैरिफ आय व 33726.50 करोड़ की वर्तमान टैरिफ से आय के बाद वर्ष के दौरान राजस्व गैप 779.10 करोड़ का रह जाएगा, लेकिन पावरकॉम ने पुराने वर्षों के राजस्व गैप को मिलाकर कुल 12118.55 करोड़ की भरपाई के लिए दरें संशोधित करने की मांग की है।