Edited By Naresh Kumar,Updated: 10 Feb, 2019 09:26 AM
आजादी के बाद से कांग्रेस का गढ़ रही जालंधर लोकसभा सीट पर इस लोकसभा चुनाव के लिए किस्मत आजमाने हेतु कांग्रेस की तरफ से उम्मीदवारों की कतार लग गई है।अकाली दल को इस सीट पर किसी ऐसे चेहरे की दरकार है जो पिछले 15 साल से जालंधर में चल रहे पार्टी के सूखे...
जालंधर(नरेश कुमार):आजादी के बाद से कांग्रेस का गढ़ रही जालंधर लोकसभा सीट पर इस लोकसभा चुनाव के लिए किस्मत आजमाने हेतु कांग्रेस की तरफ से उम्मीदवारों की कतार लग गई है।अकाली दल को इस सीट पर किसी ऐसे चेहरे की दरकार है जो पिछले 15 साल से जालंधर में चल रहे पार्टी के सूखे को सावन में बदल सके।
जालंधर (वैस्ट) से इन नेताओं ने ठोका दावा
कांग्रेस की तरफ से पार्टी के मौजूदा सांसद चौधरी संतोख सिंह के अलावा जालंधर (वैस्ट) हलके से विधायक सुशील रिंकू, पूर्व सांसद मोहिंद्र सिंह के.पी. और सरवण सिंह फिल्लौर के साथ-साथ महिला कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष किट्टू ग्रेवाल, पार्षद पवन कुमार, अमरीक बरगाड़ी ने भी दावा ठोका है। दूसरी तरफ अकाली दल की तरफ से कोई भी दलित नेता इस सीट पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार नजर नहीं आ रहा। पार्टी जालंधर सीट के तहत आने वाली विधानसभा सीटों में से किसी एक विधायक को चुनाव लड़वाने की योजना बना रही है लेकिन पार्टी का कोई भी विधायक जोखिम नहीं लेना चाहता।
अकाली दल में इन नामों पर है चर्चा
अकाली दल की योजना आदमपुर से विधायक पवन कुमार टीनू के अलावा फिल्लौर से विधायक बलदेव खैहरा, बंगा के विधायक सुखविंद्र सिंह को मैदान में उतारने की थी लेकिन फिलहाल तीनों में से किसी विधायक ने चुनाव लडने के लिए सहमति नहीं दी है। उनके अलावा विधानसभा के पूर्व स्पीकर चरणजीत सिंह अटवाल और उनके पुत्र इंद्र इकबाल अटवाल के अलावा पूर्व मंत्री सोहन सिंह ठंडल का नाम भी चर्चा में है। अकाली दल ने 2004 में इस सीट पर पूर्व प्रधानमंत्री आई.के. गुजराल के बेटे नरेश गुजराल को मैदान में उतारा था और उनके बाद 2009 में सूफी गायक हंस राज हंस और 2014 में दलित नेता पवन कुमार टीनू पार्टी के उम्मीदवार थे लेकिन ये तीनों उम्मीदवार चुनाव हार गए।
विधानसभा चुनाव में मजबूत हुई कांग्रेस
जालंधर सीट पर 2014 से कांग्रेस का सांसद है, इसके बावजूद 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने इस सीट के तहत आती शहरी सीटों पर मजबूती हासिल की है। कांग्रेस विधानसभा चुनाव के दौरान जालंधर (वैस्ट), जालंधर (सैंट्रल), जालंधर (कैंट) और करतारपुर की सीटों पर विजयी रही जबकि अकाली दल ने फिल्लौर, नकोदर, शाहकोट और आदमपुर की सीटों पर कब्जा किया। कांग्रेस को इस लोकसभा सीट के तहत आती 9 विधानसभा सीटों पर 4,38,324 वोट हासिल हुए जबकि अकाली दल को 3,66,169 वोट हासिल हुए हैं। इस बीच आम आदमी पार्टी की स्थिति जालंधर में कमजोर हुई है। आम आदमी पार्टी को 2017 में 2014 के मुकाबले 14,347 मतों का नुक्सान हुआ। पार्टी को लोकसभा चुनाव में 2,54,121 मत हासिल हुए थे जो 2017 में कम होकर 2,39,774 मत रह गए।
13 बार जीत चुकी है कांग्रेस
इस सीट पर आजादी के बाद से ही कांग्रेस का प्रभाव रहा है और कांग्रेस ने इस सीट पर 13 बार जीत दर्ज की है जबकि 2 बार अकाली दल और 2 बार जनता दल का उम्मीदवार इस सीट पर विजयी रहा है।
वर्ष |
विजेता |
पार्टी |
1952 |
अमरनाथ |
कांग्रेस |
1957 |
स्वर्ण सिंह |
कांग्रेस |
1962 |
स्वर्ण सिंह |
कांग्रेस |
1967 |
स्वर्ण सिंह |
कांग्रेस |
1971 |
स्वर्ण सिंह |
कांग्रेस |
1977 |
इकबाल सिंह ढिल्लों |
शिअद |
1980 |
रजिंद्र सिंह स्पैरो |
कांग्रेस |
1985 |
रजिंद्र सिंह स्पैरो |
कांग्रेस |
1989 |
आई.के. गुजराल |
जनता दल |
1992 |
यश |
कांग्रेस |
1993 |
(उपचुनाव)उमराव सिंह |
कांग्रेस |
1996 |
दरबारा सिंह |
अकाली दल |
1998 |
आई.के. गुजराल |
जनता दल |
1999 |
बलबीर सिंह |
कांग्रेस |
2004 |
राणा गुरजीत सिंह |
कांग्रेस |
2009 |
मोहिंद्र सिंह के.पी. |
कांग्रेस |
2014 |
चौधरी संतोख सिंह |
कांग्रेस |