Edited By Vatika,Updated: 09 May, 2020 10:55 AM
पंजाब में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह सरकार द्वारा आज मंत्री परिषद की बैठक में राज्य की आबकारी नीति में कोरोना वायरस महामारी के चलते संशोधन करने के दि
जालन्धर(धवन): पंजाब में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह सरकार द्वारा आज मंत्री परिषद की बैठक में राज्य की आबकारी नीति में कोरोना वायरस महामारी के चलते संशोधन करने के दिए गए संकेतों के बाद शराब ठेकेदारोंने कहा कि सरकार को सबसे पहले बीयर का कोटा घटना देना चाहिए क्योंकि बीयर की खप्त का समय समाधि की तरफ बढ़ रहा है।
इसी तरह से अहाता फीस में कमी की जानी चाहिए क्योंकि कर्फ्यू लॉकडाऊन के कारण लोग अपने घरों में ही हैं तथा वह घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में ठेकों के साथ लगते आहातों को चलाने में मुश्किलें आएंगी। उन्होंने सरकार को सुझाव भेजा कि मौजूदा हालात में शराब के ठेकों को दोपहर 1 बजे से रात 9 बजे तक चलने की छूट दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि स्टाफ की कमी के चलते होम डिलीवरी में कई प्रकार को मुश्किलें पैदा हो रही हैं इसलिए आबकारी विभाग को चाहिए कि वह शराब के ठेकेदारों के साथ तालमेल करते हुए उनके अनुभवों का फायदा उठाए तथा राज्य में आबकारी व्यापार को पटरी पर लाने के प्रबंध किए जाएं। शराब ठेकेदारों ने कहा कि जब उन्होंने शराब के ठेके लिए थे तो उस समय महामारी का प्रकोप नहीं था। कोरोना वायरस आते ही शराब की बिक्री बंद हो गई क्योंकि राराष्ट्रीय लॉकडाऊन/कर्फ्यू को लागू कर दिया गया था। इसलिए बेहतर यही होगा कि जहां एक तरफ सराकर को उसका राजस्व मिलता रहे वहीं पर दूसरी ओर शराब ठेकेदारों के हितों की रक्षा भी होती रहे।
कोरोना वायरस के चलते शराब की 70 प्रतिशत बिक्री प्रभावित होने की आशंका
राज्य के शराब टेकेदारों ने आज सरकार को सुझाव भेजे है कि कोरोना वायरस संकट के चलते चाहे सरकार शराब के ठेकों को होम डिलीवरी की अनुमति दे रही है परन्तु इसके बावजूद शराब का कारोबार 70 प्रतिशत तक प्रभावित होने की आशंका है। ठेकेदारों ने बताया कि राज्य में कर्फ्यू, लॉकडाऊन के कारण शरब के ठेके बद रहे। ठेकेदारों को पहले उम्मीद थी कि शराब का कारेबार 30 प्रतिशत तक प्रभावित होगा परन्तु अब मौजूदा परिस्थितियों में उन्हें यह लग रहा है कि आने वाले दिन में भी शराब का कारोबार कोरोना वायरस के दुष्प्रभाव के नीचे बुरी तरह से आगे वाला है। ठेकेदारों ने बताया कि वास्तव में सरकार को चाहिए कि वह अब शराब के बेटे के अनुसार लाइसेंस फीस वसूले। उन्होंने आबकारी विभाग से कहा कि वह कोटा सिस्टम लागू कर दे या फिर शराब ठेकेदारों के साथ बैठ कर नई नीति बनाई जाए जिससे ठेकेदारों व शरब इंडस्ट्री को बचाने में मदद मिल सके।