चंडीगढ़ से आने वाली शराब ने बिगाड़ी पंजाब के ठेकों की सेल

Edited By Anjna,Updated: 01 Jun, 2018 12:33 PM

liquor coming from chandigarh sells contracts of punjab dealers

31 मार्च के बाद ठेकों की नीलामी को जहां पंजाब सरकार ने बेहतर पॉलिसी बताते हुए इसमें  रैवेन्यू में तरक्की का वायदा किया था वहीं शराब की कीमतों में भी कमी का आश्वासन दिया था। इसमें तर्क था कि शराब की कीमतों के घट जाने से शराब की तस्करी घट जाएगी और...

अमृतसर (इन्द्रजीत/ टीटू): 31 मार्च के बाद ठेकों की नीलामी को जहां पंजाब सरकार ने बेहतर पॉलिसी बताते हुए इसमें  रैवेन्यू में तरक्की का वायदा किया था वहीं शराब की कीमतों में भी कमी का आश्वासन दिया था। इसमें तर्क था कि शराब की कीमतों के घट जाने से शराब की तस्करी घट जाएगी और प्रदेश का लोकल रैवेन्यू आगे आ जाएगा, किन्तु इसके विपरीत पंजाब सरकार की नीति उस समय फेल दिखाई दे रही है, जब न तो शराब के रेट गिरे और न ही सरकारी रैवेन्यू बढऩे के कोई आसार दिखाई दे रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि चंडीगढ़ से आने वाली 2 नंबरी शराब ने ठेकेदारों का न तो केवल ग्राफ ही बिगाड़ा, बल्कि विभाग के लिए भी तस्करी को रोकने के लिए कई मुसीबतें खड़ी कर दी हैं। 

दो नंबर की शराब की आमद
31 मार्च से पूर्व पंजाब में शराब की कीमतों के मुकाबले अप्रैल के पहले सप्ताह में ही रेट दोगुने हो गए थे। इनमें मुख्य तौर पर रॉयल स्टेग, इम्पीरियल ब्ल्यू, बलैंडर प्राइड, मैकडॉवल, आर.सी. शामिल है, किन्तु दूसरी तरफ दो नंबर में शराब लाने वाले लोगों ने चंडीगढ़ से जिस शराब की ढुलाई की है, वह ब्रांड ही अलग है। इनमें ट्रिपल-नाइन, चक्क लो सहित एक दर्जन के करीब ऐसे ब्रांड है, जो लोगों के लिए नए है और कीमत कम हो जाने के कारण लोगों की समझ में नहीं आ रहे, जिससे इन्हें कम कीमत पर परोस कर पहले से चल रहे ब्रांड की सेल अपेक्षाकृत कम होने लगी है। 

32 प्रतिशत लोग ब्रांड देख कर पीते हैं शराब 
शराब के जानकार लोगों का कहना है कि 32 प्रतिशत लोग शराब ब्रांड देखकर पीते हैं, 16 प्रतिशत लोग ब्रांड के मिलते-जुलते स्टैंडर्ड की शराब को स्वीकार कर लेते हैं, जैसे रॉयल स्टेग पीने वाले न मिलने की सूरत में इम्प्रीयल ब्ल्यू, आर.सी., मकडॉवल आदि खरीद लेते है, जबकि 52 प्रतिशत लोग शराब का ब्रांड नहीं देखते। सिर्फ अंग्रेजी व देसी में ही अंतर देखा जाता है। बड़ी बात है कि चंडीगढ़ से आने वाली यह सस्ती शराब अंग्रेजी किस्म की है।

हालांकि विभागीय सूत्रों का यह भी कहना है कि शराब की तस्करी के कारण रैवेन्यू नहीं घटा और ठेकेदार अपना नियत किया गया कोटा उठा लेते है, किन्तु प्रोग्रैस नहीं मिल रही, क्योंकि इन दिनों में शराब से अधिक बीयर की सेल होती है, वहीं आने वाले समय में जब सितम्बर माह के बाद बीयर की सेल कम हो जाती है तो शराब के मामले में यदि चंडीगढ़ से आने वाली शराब का न रोका गया तो आम शराब की सेल 35 प्रतिशत घट जाएगी। 

पुलिस आ रही आड़े
विभागीय सूत्रों का कहना है कि शराब की तस्करी को रोकने के लिए पुलिस आड़े आ रही है। एक्साइज नियमों के मुताबिक यदि एक पेटी शराब अथवा इससे कुछ अधिक भी हो तो 1 लाख रुपए तक जुर्माना लेने का प्रावधान है, किन्तु जब पुलिस किसी शराब धारक को पकड़ लेती है तो उस पर 61/1/14 एक्साइज एक्ट के तहत पर्चा दर्ज कर दिया जाता है, जिसमें मौके पर जमानत हो जाती है और छूटने के बाद आरोपी वहीं काम करने लग पाता है, किन्तु एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग को जुर्माने की वसूली नहीं होती, जिसके कारण तस्करों को डर न होने के कारण शराब दूसरे प्रदेशों से आ रही है। 

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