Edited By swetha,Updated: 30 May, 2018 03:53 PM
ट्रांसपोर्टर के एकाधिकार को समाप्त करने के लिए पंजाब सरकार द्वारा जारी की गई नई परिवाहन नीति को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। उल्लेखनीय है कि इस साल फरवरी में पंजाब सरकार ने 12,500 स्टेज कैरिज परमिट रद्द करने का ट्रांसपोर्टरों को...
चंडीगढ़ःट्रांसपोर्टस के एकाधिकार को समाप्त करने के लिए पंजाब सरकार द्वारा जारी की गई नई परिवहन नीति को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। उल्लेखनीय है कि इस साल फरवरी में पंजाब सरकार ने 12,500 स्टेज कैरिज परमिट रद्द करने का ट्रांसपोर्टरों को नोटिस जारी किया था ,जिसे कोर्ट ने रद्द कर दिया है। इस फैसले से निजी ट्रांसपोर्टर में खुशी की लहर पाई जा रही। इसके साथ ही 200 लाइसेंसधारकों जिन्होंने गैरकानूनी तरीके से 24 कि.मी. से अधिक का परमिट बढ़ाया हुआ है। वह भी अपना कारोबार पहले की तरह जारी रख सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि नई परिवहन नीति के तहत पंजाब सरकार ने उक्त कदम निजी ट्रासपोर्टरों के एकाधिकार को रोकने के लिए कदम उठाया था। इस संबंध में परिवहन विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि वह इस मामले में पंजाब एडवोकेट जनरल को लिखेंगे। अब वही बताएंगे कि कोर्ट के आदेश पर क्या कदम उठाया जाए। उन्हें उन ट्रांसपोर्टरों पर कार्रवाई करने के आदेश दिए गए थे जो यात्रियों की संख्या के अनुसार रूट बढ़ाते या कम करते हैं। सोमवार को आए कोर्ट के आदेश ने राज्य परिवहन विभाग को मुश्किल में डाल दिया है।
अधिकारियों ने बताया कि निजी ट्रांसपोर्टस के भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कांग्रेस सरकार ने एक नई परिवहन नीति की घोषणा की थी। अधिकांश निजी ट्रांसपोर्टर अधिक यात्रियों को ले जाने के चक्कर में अपने मार्गों को बदलते हैं। उदाहरण के लिए एक निजी ट्रांसपोर्टर की बस चंडीगढ़-समराला मार्ग सेजाने की बजाए चंडीगढ़-कोहरा-समराला मार्ग से होकर जाती है। वह उस मार्गों को चुनते हैं, यहां यात्रियों की संख्या अधिक होती है। वहीं लुधियाना-जलंधर मार्ग पर हर 2 मिनट में एक निजी बस चलती है। पर वह यात्रियों की संख्या कम होने पर इसे रद्द भी कर सकता है।
दिलचस्प बात यह है कि नई परिवहन नीति अधिसूचित होने पर प्रभावशाली निजी ट्रांसपोर्टरों को पहले भी लाभ दिए गए थे। वहीं राष्ट्रीय राजमार्गों पर राज्य परिवहन उपक्रमों (एस.टी.यू.) के मार्ग परमिट का हिस्सा 75 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक, राज्य राजमार्गों और जिला सड़कों के मामले में शेयर 60 प्रतिशत से घटाकर 40 प्रतिशत कर दिया गया था। चूंकि राज्य में कई सड़कों को अब राष्ट्रीय राजमार्गों के रूप में वर्गीकृत किया गया है, इसलिए एस.टी.यू. का हिस्सा वही रहेगा।