Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Sep, 2017 12:01 AM
पंजाब ने केन्द्र सरकार को पत्र भेजकर उत्तर भारत का पहला ऑटो श्रेडिंग प्लांट (कबाड़ बनाने वाला) मंडी गोबिन्दगढ़...
जालंधर(धवन): पंजाब ने केन्द्र सरकार को पत्र भेजकर उत्तर भारत का पहला ऑटो श्रेडिंग प्लांट (कबाड़ बनाने वाला) मंडी गोबिन्दगढ़ में लगाने के लिए पत्र लिखा है। राज्य में मंडी गोबिन्दगढ़ में इंडस्ट्री की हालत काफी खस्ता चली आ रही है।
सरकारी हलकों से पता चला है कि उद्योग विभाग ने इस संबंध में केन्द्र को भेजे प्रस्ताव में कहा है कि ऑटो शै्रडिंग प्लांट मंडी गोबिन्दगढ़ में लगने से समूचे क्षेत्र में उद्योगों को उत्साहित करने में मदद मिलेगी। इस प्रस्तावित प्लांट में पुरानी कारों के मलबे को कबाड़ के रूप में परिवर्तित किया जाएगा ताकि उसके लोहे की रीसाइकलिंग हो सके। अधिकारियों ने बताया कि मंडी गोबिन्दगढ़ में स्टील कलस्टर में इस समय 500 यूनिट काम कर रहे हैं तथा उनमें प्रयोग होने वाला कच्चा माल स्क्रैप के रूप में विदेशों से आयात किया जाता है। अगर इस स्थान पर श्रेडिंग प्लांट लग जाता है तो मंडी गोबिन्दगढ़ में स्टील व लोहे की मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी। राज्य सरकार मंडी गोबिन्दगढ़ में औद्योगिक इकाइयों को पुनर्जीवित करने में लगी हुई है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 10-12 वर्षों के दौरान मंडी गोबिन्दगढ़ में ही अकेले 1500 यूनिट बंद हो गए। पंजाब में 2007 से 2013 के मध्य 18770 औद्योगिक यूनिट बंद हुए। पंजाब के तीन जोनों मालवा, माझा तथा दोआबा में से अकेले माझा तथा दोआबा में 75 प्रतिशत औद्योगिक इकाइयां पिछले कुछ वर्षों में बंद हुई। बताया जाता है कि केन्द्र द्वारा श्रेडिंग प्लांट को लगाने बारे इसलिए भी दिलचस्पी दिखाई जा रही है, क्योंकि अमरीका में भी आर्थिक मंदी के दौर में वाहनों की बिक्री को बढ़ाने के लिए पुराने वाहनों को कबाड़ के रूप में परिवर्तित किया गया था। अगर पंजाब में ऑटो शै्रङ्क्षडग प्लांट लगता है तो पुराने वाहनों को कबाड़ के रूप में परिवर्तित किया जाएगा, जिससे नए वाहनों की बिक्री को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
मंडी गोबिन्दगढ़ में इंडस्ट्रियल कलस्टर को रोजाना 8000 टन स्क्रैप की जरूरत पड़ती है, जोकि आयातित किया जाता है। यह स्क्रैप मुम्बई बंदरगाह की मार्फत से भारत पहुंचता है। सरकार का मानना है कि श्रेडिंग प्लांट लगने से लोग अपने पुराने वाहनों को त्यागना शुरू कर देंगे। अभी तक उत्तर भारत में कोई बड़ा श्रेडिंग प्लांट नहीं लगा हुआ है जिस कारण लोग पुराने वाहनों का प्रयोग भी लगातार करते आ रहे हैं।