Edited By Anjna,Updated: 25 May, 2018 10:52 AM
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व प्रधान प्रो. किरपाल सिंह बडूंगर ने श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से सिख सैंसर बोर्ड बनाए जाने के फैसले का स्वागत करते कहा कि सिख इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने वाली विवादित फिल्मों को लेकर बनाए गए सैंसर...
पटियाला (जोसन) : शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व प्रधान प्रो. किरपाल सिंह बडूंगर ने श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से सिख सैंसर बोर्ड बनाए जाने के फैसले का स्वागत करते कहा कि सिख इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने वाली विवादित फिल्मों को लेकर बनाए गए सैंसर बोर्ड का फैसला सराहनीय है। पूर्व प्रधान प्रो. बडूंगर ने कहा कि सिख सैंसर बोर्ड की स्थापना के साथ वाद-विवाद को सिखों के गंभीर मसलों और धार्मिक मसलों को सही ढंग के साथ तब ही पूरे किया जा सकता, जब शिरोमणि कमेटी द्वारा 2 सिख विद्वान नुमाइंदों को केंद्रीय सरकारी सैंसर बोर्ड में शामिल कर लिया जाए।
प्रो. बडूंगर ने कहा कि सिख इतिहास, सिख धर्म और गुरू साहिबान से संबंधित कई डाक्यूमैंटरी, फीचर और एनीमेशन फिल्मों को ले कर वाद-विवाद उत्पन्न हुए हैं, जिस के साथ सिख कौम और खालसा पंथ में काफी रोष पैदा हुआ है। पूर्व प्रधान ने कहा कि शिरोमणि कमेटी की काफी लंबे समय से यह मांग चली आ रही है कि 2 सिख विद्वानों को केंद्रीय सरकारी सैंसर बोर्ड में शामिल किया जाए। इस मांग को लेकर प्रस्ताव भी स्वीकृत हुआ था, परन्तु सिख विद्वानों को सैंसर बोर्ड में शामिल किए जाने की मांग वैसी की वैसी है।
प्रो. बडूंगर ने अपील करते कहा कि शिरोमणि कमेटी के प्रधान भाई गोबिन्द सिंह लौंगोवाल को चाहिए कि सिख इतिहास से छेड़छाड़ और गुरू साहिबान से संबंधित बनने वाली फिल्मों से उठते वाद-विवाद को पूरा करने के लिए गंभीरता के साथ शिरोमणि कमेटी द्वारा 2 सिख विद्वान केंद्रीय सैंसर बोर्ड में शामिल किए जाने के लिए पहलकदमी करनी चाहिए जिससे कि आने वाली चुनौतियों और उठते वाद-विवादों को नकेल डाली जा सके।