किसान आंदोलन के हक में ढाल बनकर आगे आए खालसा पंथ : ज्ञानी हरप्रीत सिंह

Edited By Sunita Rajput,Updated: 16 Nov, 2020 11:00 AM

khalsa panth as shield for the rights of farmers

ज्ञानी हरप्रीत सिंह व ध्यान सिंह मंड ने कौम के नाम पर दिए अलग-अलग संदेश

अमृतसर(अनजान): कौम में पड़ी फूट के कारण जहां श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने बंदी छोड़ दिवस (दीवाली) का संदेश दर्शनी ड्योढ़ी से संगत के नाम पढ़ा, वहीं सरबत खालसा द्वारा स्थापित किए गए जत्थेदार भाई ध्यान सिंह मंड ने भी उनको श्री हरिमंदिर साहिब के अंदर दाखिल न होने देने पर घंटाघर के बाहर संगत के नाम संदेश जारी किया।

इनके अलावा शिरोमणि कमेटी प्रधान भाई गोबिन्द सिंह लौंगोवाल, तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह, तख्त श्री पटना साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रणजीत सिंह गौहर, दमदमी टकसाल के प्रमुख बाबा हरनाम सिंह खालसा, शिरोमणि बुड्ढा दल के प्रमुख बाबा बलबीर सिंह ने भी संगत को बधाई देते गुरमति विचार पेश किए। 

श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने अपने संदेश में कहा कि गुरु साहिबान ने मानवाधिकारों की रखवाली के लिए हर स्तर पर आवाज उठाई और जरूरत पड़ने पर अपनी शहादत भी दी। छठे पातशाह ने मीरी-पीरी की परंपरा अनुसार भक्ति के साथ-साथ शक्ति को भी विशेष अहमियत दी।

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उन्होंने कहा कि इतिहास में बाबा बंदा सिंह बहादुर ने भी किसानों को जमीनों का मालिकाना हक देने की बात कही है। लेकिन आज किसानों को उनकी जमीनों पर जागीरदारी पक्ष को मजबूत करने के लिए वर्तमान हुक्मरान यत्नशील हैं। उन्होंने खालसा पंथ को किसान आंदोलन के हक में ढाल बनकर आगे आने के लिए कहा। उन्होंने कोविड-19 के दौरान सिख कौम द्वारा निभाई सेवाओं की प्रशंसा की। इस मौके पर परम्परा अनुसार निहंग सिंह जत्थेबंदियां और सम्प्रदायों के प्रतिनिधियों को सिरोपे पहनाकर सम्मानित किया गया।

जत्थेदार ध्यान सिंह मंड को नहीं जाने दिया श्री हरिमंदिर साहिब के अंदर
सरबत खालसा द्वारा जत्थेदार भाई ध्यान सिंह मंड को श्री हरिमंदिर साहिब के अंदर जाने से रोके जाने पर उन्होंने घंटाघर के बाहर ही संगत के नाम संदेश जारी किया। अपने संदेश में उन्होंने कहा कि बंदी छोड़ दिवस वाले दिन मीरी-पीरी के मालिक श्री गुरु हरगोबिंद साहिब 52 राजाओं को ग्वालियर के किले से रिहा करवा कर लाए थे, परंतु आज वे खुद कई पक्षों से कैद भोग रहे हैं। जैसे श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की जगह-जगह बेअदबी हो रही है। 

शिरोमणि कमेटी जैसी जिम्मेदार संस्था के प्रबंध में से 328 पवित्र स्वरूपों का गायब होना शर्मनाक और निंदनीय कार्रवाई है। इन बेअदबियों को रोकने के लिए वे बेबस हुए हैं। ऐसी बेअदबियों के लिए जहां समय की सरकारें जिम्मेदार हैं, वहीं शिरोमणि कमेटी सहित उनकी सभी पंथक संस्थाओं का बिगड़ा प्रबंध भी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता। आज देश का अन्नदाता सरकारी जबर और कूटनीतियों का शिकार हो रहा है। उन्होंने रोष प्रकट करते कहा कि पुलिस प्रशासन और शिरोमणि कमेटी दोनों मिले हुए हैं इसीलिए न तो उन्हें श्री अकाल तख्त साहिब पर कौम के नाम संदेश पढ़ने दिया गया और न ही श्री हरिमंदिर साहिब के अंदर दर्शन करने दिए। उन्होंने कहा कि वे अंदर बैठे मसंदों, कैप्टन सरकार और प्रशासन को बताना चाहते हैं कि वे श्री गुरु तेग बहादुर साहिब के वारिस हैं। 

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