Bye-Bye-2018: सिखों के लिए यादगार रहा यह साल, 90 दिन में पूरा हुआ 70 साल का सपना

Edited By Vatika,Updated: 31 Dec, 2018 04:27 PM

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सिख समुदाय  के लिए करतारपुर गलियारे की आधारशिला रखा जाना 2018 का निर्णायक क्षण था, जो पाकिस्तान में सीमा पार स्थित पवित्र गुरुद्वारे तक पहुंच प्रदान करेगा। सिखों का 70 साल का लंबा इंतजार 90 दिन में पूरा हुआ। वहीं, करतारपुर साहिब को लेकर पंजाब के...

चंडीगढ़ः सिख समुदाय  के लिए करतारपुर कोरिडोर की आधारशिला रखा जाना 2018 का निर्णायक क्षण था, जो पाकिस्तान में सीमा पार स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब तक पहुंच प्रदान करेगा। 70 साल का इंतजार 90 दिन में पूरा हुआ। वहीं, करतारपुर साहिब को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह और उनके तेज तर्रार मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बीच के तनाव ने भी लोगों का ध्यान आर्किषत किया।।
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करतारपुर कॉरिडोर और नवजोत सिंह सिद्धू

 

क्रिकेटर से नेता बने पंजाब के कैबिनट मंत्री नवजोत सिद्धू को पाक प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान में पाकिस्तान के सेना प्रमुख क़मर जावेद बाजवा से गले मिलने पर काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। यहां तक ​​कि मुख्यमंत्री कैप्टन को भी यह रास नहीं आया। सिद्धू ने इस्लामाबाद में गले मिलने का बचाव करते हुए कहा कि जब बाजवा ने गुरदासपुर में डेरा बाबा नानक से करतारपुर साहिब तक गलियारा खोलने की योजना से अवगत कराया तो वह भावुक हो गए। करतारपुर साहिब पाकिस्तान में स्थित है। इसी जगह सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष बिताए थे। कुछ हफ्तों बाद सेना के पूर्व अधिकारी और मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह ने आधारशिला कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पाकिस्तानी निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया लेकिन अपने मुख्यमंत्री की सलाह को नजरअंदाज करते हुए सिद्धू वहां गए।
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अमृतसर ट्रेन हादसे ने सिद्धू परिवार को निशाना बनाने के लिए विपक्षी दलों को सामग्री मुहैया कराई। बाद में एक मजिस्ट्रेट जांच में रेलवे क्रॉसिंग के गेटमैन और दशहरा कार्यक्रम के आयोजकों को घटना के लिये जिम्मेदार ठहराया गया। जांच में सिद्धू की नेता-पत्नी नवजोत कौर सिद्धू को क्लीन चिट दी गई, जो उस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थीं। साल की शुरूआत में रोजगार की तलाश में इराक गए 28 लोगों के शव ताबूतों में रखकर स्वदेश लाए गए। उनके शव युद्ध-प्रभावित इराक में सामूहिक कब्र से निकाले गए। आईएस द्वारा अपहृत करने के बाद मार डाले गए दस अन्य लोग दूसरे राज्यों से थे। दो ग्रेनेड विस्फोटों ने सुरक्षा बलों में चिंता पैदा कर दी कि आईएसआई द्वारा सर्मिथत आतंकवादी राज्य में फिर से समस्या पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। इनमें से एक विस्फोट अमृतसर के निरंकारी भवन में हुआ जिसमें दो लोग मारे गए और एक अन्य जालंधर के मकसूदन थाने में हुआ।

 

अमृतसर रेल हादसे में जब घिर गए सिद्धू

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बेअदबी मामले और अकाली दल

 

अगस्त में, 2015 में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी की जांच के लिए गठित न्यायमूर्ति रणजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट से अकालियों को ऐसे समय में करारा झटका लगा जब वे विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद एकबार फिर से खुद को खड़ा करने की कोशिश कर रहे थे। 2015 में राज्य में शिअद-भाजपा गठबंधन की सरकार थी। इस रिपोर्ट में न केवल फरीदकोट के कोटकपुरा और बेहबल कलां में प्रदर्शनकारियों पर 'अकारण' बल का इस्तेमाल करने के लिए पुलिस को दोषी ठहराया, बल्कि यह भी कहा गया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को प्रस्तावित पुलिस कार्रवाई की जानकारी थी। पवित्र पुस्तक के पन्ने कथित रूप से फटे और बिखरे पाए जाने के बाद 2015 में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। बादल परिवार के खिलाफ कार्रवाई की मांग तेज होने के बीच विपक्षी शिअद को एक और झटका लगा जब वरिष्ठ नेता सुखदेव सिंह ढींडसा ने पार्टी पदों से इस्तीफा दे दिया। रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा, रतन सिंह अजनाला और सेवा सिंह सेखवां जैसे नेताओं ने भी बादल के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी। ‘बेअदबी’ मुद्दे को लेकर घिरे समूचे अकाली नेतृत्व ने दिसंबर में एक आश्चर्यजनक कदम उठाया। इसने अकाल तख्त से अतीत में अनजाने में की गई 'गलतियों' के लिए प्रायश्चित करने का निर्णय लिया।

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आम आदमी पार्टी हुई दोफाड़

 

पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता के पद से सुखपाल सिंह खैहरा को हटाने के बाद मुख्य विपक्षी आम आदमी पार्टी को भी बगावत का सामना करना पड़ा। विद्रोही विधायकों ने अपनी सार्वजनिक बैठकें कीं, वस्तुत: पार्टी को उनके खिलाफ कार्रवाई करने की चुनौती दी। सत्तारूढ़ कांग्रेस को भी कुछ मुश्किल भरे वक्त का सामना करना पड़ा। लगातार विपक्ष के हमले ने अवैध रूप से रेत-खनन के ठेके हासिल करने के आरोपी मंत्री राणा गुरजीत सिंह को इस्तीफा देने के लिये मजबूर कर दिया। अप्रैल में अमरिंदर सिंह सरकार में 9 नए कैबिनेट मंत्रियों को शामिल किया गया। अपनी अनदेखी से नाराज सुरजीत सिंह धीमान और संगत सिंह गिलकायिन सहित कुछ कांग्रेस विधायकों ने पार्टी पदों से इस्तीफा दे दिया। पंजाब पुलिस के शीर्ष अफसरों के बीच का मतभेद भी सामने आ गया। डी.जी.पी. रैंक के अधिकारी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने पंजाब के डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा और एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी पर मादक पदार्थों की तस्करी के मामले में एसएसपी की कथित भूमिका की जांच में रोड़ा अटकाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। साथ ही 2018 में वेतन कटौती को लेकर स्कूल के शिक्षक हड़ताल पर चले गए। शिअद ने पंजाब के स्कूलों में सिख इतिहास को कैसे पढ़ाया जाता है, इस पर आपत्ति जताई। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अमृतसर का दौरा किया।

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