एक बेटी की भ्रूणहत्या के खिलाफ जंग, दूसरी रोशन कर रही जिले का नाम

Edited By Updated: 04 Apr, 2017 01:03 PM

junk against a daughter  s feticide

आज कन्याओं को हर जगह पूजा जाएगा। शक्ति के इस रूप को निहारने के लिए हर कोई इनके पैर छुएगा और इन्हें हलवा-पूरी का सेवन करवा कर अपने नवरात्रों के व्रत का उद्यापन करेगा। पर सवाल यह उठता है कि क्यों साल में सिर्फ 2 बार ही कन्या पूजन होता है।

मोगा (पवन ग्रोवर): आज कन्याओं को हर जगह पूजा जाएगा। शक्ति के इस रूप को निहारने के लिए हर कोई इनके पैर छुएगा और इन्हें हलवा-पूरी का सेवन करवा कर अपने नवरात्रों के व्रत का उद्यापन करेगा। पर सवाल यह उठता है कि क्यों साल में सिर्फ 2 बार ही कन्या पूजन होता है। कोई भी शुभ कार्य हो तो कन्याओं को पूजा जाता है। क्यों न कन्या पूजन के इन दिनों सभी यह मिल कर यह प्रण करें कि नारी शक्ति जिसे मां के नवरात्रों में इतना सम्मान दिया जाता है, उन्हें हर दिन इतना सम्मान दिया जाए ताकि इन बेटियों को पुरुष प्रधान समाज में आगे बढऩे का मौका मिले। आज कन्या पूजन पर हम आपको मिलवा रहे हैं शहर की ऐसी बेटियों से जिन्होंने अपने बलबूते पर अपनी प्रतिभा से शहर व जिले का नाम रोशन किया है। 

हर क्षेत्र में महिलाएं आगे तो भ्रूणहत्या के खिलाफ पीछे क्यों : नवप्रीत 
शिक्षा के साथ अन्य क्रियाओं में अग्रणी भूमिका निभाने वाली नवप्रीत कौर ने जहां स्काऊटिंग (देखभाल) के क्षेत्र में नैशनल स्तर पर प्राप्तियां की हैं, वहीं उसने समय-समय पर कन्या भ्रूण हत्या के विरुद्ध लोगों को एकजुट किया है। दशमेश पब्लिक सीनियर सैकेंडरी स्कूल बिलासपुर से शिक्षा हासिल कर चुकी तथा अब नर्सिंग की शिक्षा ले रही नवप्रीत कौर का कहना है कि असली प्रेरणा उसको बिलासपुर स्कूल के स्टाफ से मिली, जिससे प्रेरित होकर उसने भ्रूण हत्या के विरुद्ध संदेश दिया। लोकनृत्य गिद्दे की टीम के कैप्टन की जिम्मेदारी निभाने वाली यह छात्रा लोक गीत, कविता, भाषण सहित हर सभ्याचारक सरगर्मी में अपनी सफलता का लोहा मनवा चुकी है। चेतन नारी के बैनर तले अनेक स्थानों पर कोरियोग्राफी कर लोगों को एकजुट करने वाली नवप्रीत का कहना है कि आज लड़कियां हर क्षेत्र में लड़कों से आगे हैं, लेकिन फर्क इतना है कि लड़कियों को अपने मन की बात तथा अन्य कलाकृतियों को लोक कचहरी में पेश करना चाहिए, ताकि आज के युग की नारी हर क्षेत्र में आगे बढ़ सके। 

अपने पिता से मिली प्रेरणा : सनमप्रीत
मोगा जिले के गांव पत्तों हीरा सिंह को अगर बैडमिंटन की नर्सरी कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। गांव पत्तों हीरा सिंह स्थित अंग्रेजों के समय बने सैकेंडरी स्कूल में बैडमिंटन खेल कर अनेक लड़कियों व लड़कों ने राष्ट्रीय खेलों में शमूलियत कर मील पत्थर स्थापित किए हैं। 12 बार स्टेट में जीत चुकी नौवीं कक्षा की छात्रा सनमप्रीत सोनिया का जन्म 31 अगस्त, 2002 को राष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी निर्मल सिंह व अध्यापिका अमरजीत कौर के गृह गांव पत्तों हीरा सिंह जिला मोगा में हुआ। सनमप्रीत कौर में अपने पिता को खेलते तथा रोजाना खिलाडिय़ों को बैडमिंटन की प्रैक्टिस करवाते देख कर बैडमिंटन खेलने का जज्बा पैदा हुआ। घर में पड़े अनेक मैडल व सम्मान चिन्ह उसके प्रेरणास्रोत बने। सोनिया की खेल प्राप्तियों का जिक्र करें तो उसने पंजाब स्कूल गेम्ज अंडर-14 (2014) में स्टेट में दूसरा तथा पंजाब स्कूल गेम्ज अंडर-15 में स्टेट में तीसरा स्थान पाया।

ओपन अंडर-13 में स्टेट में सिल्वर मैडल लेकर राष्ट्रीय खेलों में भाग लिया। उसने अंडर-15 तथा अंडर-17 के डबल गेम में फिरोजपुर की सवरीत के साथ स्टेट में दूसरा स्थान हासिल किया। पढ़ाई दौरान रॉयल कान्वैंट स्कूल निहाल सिंह वाला में बढिय़ा प्रदर्शन करने के बाद सोनिया ने कलेर इंटरनैशनल स्कूल समाध भाई में दाखिला लिया। अर्जुन की तरह उसकी आंख शटल (चिड़ी) को देखती है। उसका बढिय़ा खेल दर्शकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनता है। डबल व सिंगल में सनमप्रीत सोनिया पंजाब स्तर के टूर्नामैंट मुकाबलों में अपनी छोटी उम्र में बड़े जौहर दिखा चुकी है। बैडमिंटन माहिरों का कहना है कि सनमप्रीत की खेल कला में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कला के गुण हैं। रोजाना सुबह गांव के सैकेंडरी स्कूल में बने बैडमिंटन ग्राऊंड में सनमप्रीत सोनिया प्रैक्टिस करती है।

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