अंग्रेजों ने भूल सुधार के लिए मृतकों के परिजनों को दिया था 50 से लेकर 1.20 लाख तक का मुआवजा

Edited By Vatika,Updated: 13 Apr, 2019 11:45 AM

jallianwala bagh massacre

जलियांवाला बाग में निहत्थे सैकड़ों हिन्दुस्तानियों को मौत के घाट उतारने वाले जनरल डायर की कायराना हरकत की पूरे विश्व में आलोचना हुई और अपनी भूल सुधार करने के लिए तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर दफ्तर की तरफ से मृतकों के वारिसों को 50 रुपए से लेकर 1.20 लाख...

अमृतसर (नीरज): जलियांवाला बाग में निहत्थे सैकड़ों हिन्दुस्तानियों को मौत के घाट उतारने वाले जनरल डायर की कायराना हरकत की पूरे विश्व में आलोचना हुई और अपनी भूल सुधार करने के लिए तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर दफ्तर की तरफ से मृतकों के वारिसों को 50 रुपए से लेकर 1.20 लाख रुपए तक का मुआवजा भी दिया गया था जो आज भी डिप्टी कमिश्नर अमृतसर के दफ्तरी रिकार्ड में मौजूद है। हालांकि उस समय दहशत का दूसरा नाम डी.सी. दफ्तर ही था और आपराधिक सजाएं देने का काम किला गोबिन्दगढ़ में किया जाता था। तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर अमृतसर माइल्स इरविंग (24 फरवरी से लेकर 5 अगस्त 1919) को जनरल डायर की योजना व उसकी तरफ से किए गए हत्याकांड का भी पूरा ज्ञान था। 

PunjabKesari

किला गोबिन्दगढ़ से निकली थी जनरल डायर की फौज
महाराजा रणजीत सिंह को हराने के बाद ब्रिटिश सरकार ने जब पंजाब पर कब्जा कर लिया तो उसके बाद किला गोबिन्दगढ़ में ब्रिटिश सेना को तैनात कर दिया गया। जिस समय जलियांवाला बाग कांड हुआ तो उस समय जनरल डायर के पास गुरखा रैजिमैंट थी जिसको आदेश मिलते ही उसने किला गोबिन्दगढ़ से जलियांवाला बाग की तरफ कूच करवा दिया गया। इन्हीं ब्रिटिश सैनिकों ने 1650 के लगभग गोलियां चलाईं और तब तक गोलियां चलाते रहे जब तक गोलियां खत्म नहीं हो गईं। आतंक मचाने के लिए जनरल डायर अपने साथ 2 तोपें भी लेकर आया था लेकिन जलियांवाला बाग की संकरी गलियां होने के कारण तोपें वहां तक नहीं पहुंच सकीं। आज यही किला गोबिन्दगढ़ पर्यटन स्थल बन चुका है जिसको पंजाब सरकार के टूरिज्म विभाग की तरफ से प्रमोट किया जा रहा है।
PunjabKesari
डी.सी. दफ्तर से जारी किए जाते थे खतरनाक आदेश
अंग्रेजों के राज में डिप्टी कमिश्नर दफ्तर से ही खतरनाक आदेश जारी किए जाते थे। मौजूदा समय में अंग्रेजों के जमाने के डिप्टी कमिश्नर दफ्तर का जीर्णोधार किया जा रहा है क्योंकि 7 वर्ष पहले डिप्टी कमिश्नर रवि भगत के कार्यकाल के दौरान डी.सी. दफ्तर की इमारत को भयंकर आग लग गई थी जिसमें सारी इमारत जल गई थी। आज अंग्रेजों के जमाने के डी.सी. दफ्तर को विरासती इमारत के रूप में प्रमोट किया जा रहा है और डी.सी. की अदालत जो आगजनी की चपेट में आकर जल गई थी उसको देखकर कोई यकीन ही नहीं कर सकता है कि कभी इसी अदालत में बड़े-बड़े आदेश जारी किए जाते थे जिनकी पर न तो कोई अपील होती थी और न ही कोई दलील सुनी जाती थी। हृदय प्रौजैक्ट के तहत डी.सी. दफ्तर की इमारत को फिर से पुनर्जीवित किया जा रहा है। डी.सी. के बैठने के लिए फिलहाल जिला परिषद दफ्तर का प्रयोग किया जा रहा है और मिनी सचिवालय का निर्माण भी किया जा रहा है जिसमें डी.सी. दफ्तर के अलावा अन्य सरकारी विभागों के भी दफ्तर बनाए जा रहे हैं।

 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!