गंगा जल व गौ-सेवा के नारे पर सत्ता में आई हिमाचल सरकार अपने उद्देश्य से भटकी

Edited By Anjna,Updated: 22 Jun, 2018 08:47 AM

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गौ सेवा को शास्त्रों में सबसे पवित्र सेवा माना गया है। हिमाचल प्रदेश की सरकार भी गंगा जल और गौ-सेवा के नारे के साथ सत्ता में आई थी, मगर शायद सत्ता में आने के बाद हिमाचल की सरकार अपने मूल उद्देश्य से ही भटक चुकी है। आज भी हिमाचल में गौ-धन के लिए कुछ...

जालंधर (रविंदर, अमित): गौ सेवा को शास्त्रों में सबसे पवित्र सेवा माना गया है। हिमाचल प्रदेश की सरकार भी गंगा जल और गौ-सेवा के नारे के साथ सत्ता में आई थी, मगर शायद सत्ता में आने के बाद हिमाचल की सरकार अपने मूल उद्देश्य से ही भटक चुकी है। आज भी हिमाचल में गौ-धन के लिए कुछ भी उपयुक्त नहीं है। न तो गौ धन संभाल के लिए उपयुक्त स्थान है, न गौ धन के लिए पानी का कोई साधन है।

इतना ही नहीं बिना किसी कमर्शियल गतिविधियों के सेवा करने के बावजूद गौशाला में सरकार को टैक्स तक देना पड़ रहा है। हिमाचल के गांव अंबोआ तहसील अम्ब जिला ऊना में स्थित पंडित हरि चन्द शाह जी दरबार में बनी गौशाला को गौ-धन के लिए बाजार से खरीद कर पानी पिलाना पड़ रहा है। बाबा राकेश शाह जी द्वारा 2009 में गौशाला की शुरूआत की गई थी जिसका बाद में 2011 को रजिस्ट्रेशन भी करवाया गया था। मौजूदा समय में गौ, बैल, बछड़े, बछडिय़ों आदि को मिलाकर कुल 151 गौ-धन को गौशाला में संभाला जा रहा है। गौशाला में अधिकतर गौ-धन वह है जो सड़कों पर घायल अवस्था में पड़े होते हैं। इनको बाबा राकेश शाह और दरबार के अन्य भक्त गौशाला में लाकर उनका उचित उपचार करते हैं। गौशाला के अंदर केवल 50 गौधन को रखने की जगह है, मगर निरन्तर बढ़ रही संख्या को देखते हुए बाबा राकेश शाह द्वारा आस-पास के लोगों से उधार जगह मांग कर वहां पशुओं को बांध कर रखा जा रहा है, ताकि सड़कों पर मरने की जगह सही उपचार करके उनको नया जीवन दिया जा सके।

गौशाला के पास पानी का कोई प्रबंध नहीं है। पानी को खरीद कर टैंकरों से गौशाला तक लाया जाता है। बाबा राकेश शाह जी हर रोज सुबह 5 बजे पैदल यात्रा करके आस-पास के इलाकों में घर-घर जाकर वहां गौशाला के लिए चारा, रोटी, बूरा, सब्जियों के छिलके व अन्य सामग्री दान मांग कर लाते हैं, ताकि गौशाला के पशुओं को खिलाया जा सके। 

इसके साथ ही गांव वालों को इस बात के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है कि वे हर रोज केवल 5 रुपए अपनी तरफ से गौ-धन के लिए निकालें, ताकि गौशाला में सभी गऊओं की सेवा सही तरीके से की जा सके। गौशाला की न तो जिला ऊना का प्रशासन मदद कर रहा है और न ही हिमाचल प्रदेश की सरकार सहायता दे रही है। इस वजह से बेहद कम साधनों के साथ गौशाला के प्रबंध करने के लिए मजबूर हैं। 

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