पूर्व कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत कांग्रेस से देंगे इस्तीफा?

Edited By Anjna,Updated: 22 Apr, 2018 09:41 AM

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दोआबा से कांग्रेस के दिग्गज नेता व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के खासमखास होने के बावजूद पूर्व कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह को मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल नहीं किया गया जिससे खफा राणा गुरजीत सिंह कांग्रेस से इस्तीफा दे सकते हैं, यह एक बड़ा...

जालंधर (चोपड़ा): दोआबा से कांग्रेस के दिग्गज नेता व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के खासमखास होने के बावजूद पूर्व कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह को मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल नहीं किया गया जिससे खफा राणा गुरजीत सिंह कांग्रेस से इस्तीफा दे सकते हैं, यह एक बड़ा प्रश्र कांग्रेस खेमे में हलचल मचाए हुए है। राणा गुरजीत के करीबी सूत्रों की मानें तो वही एक ऐसे कांग्रेस नेता हैं जिन्होंने विपक्ष में रहते हुए कै. अमरेन्द्र व प्रदेश कांग्रेस के लिए सबसे ज्यादा फंडिंग की। राणा ने 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान अमृतसर लोकसभा सीट के चुनाव प्रचार की कमान संभाली और कै. अमरेन्द्र सिंह को बड़े अंतर से जीत दिलवाई। इस चुनाव में कै. अमरेन्द्र और मौजूदा वित्त मंत्री अरुण जेतली के मध्य कड़ा मुकाबला था।

कै. अमरेन्द्र से निकटता के कारण ही वह हमेशा विपक्षी दलों के निशाने पर रहे। पंजाब में कैप्टन अमरेन्द्र के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद राणा गुरजीत को कैबिनेट मंत्री बनाकर बिजली और सिंचाई विभाग सौंपा गया था परंतु माइनिंग की ई-ऑक्शन में पंजाब कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह की कम्पनी के मुलाजिमों द्वारा रेत खदानों का ठेका हासिल करने के मामले पर मचे बवाल व विपक्ष द्वारा राणा के इस्तीफे को लेकर बढ़े दबाव को लेकर मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह ने पूरे मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग गठित करके रिटायर्ड जस्टिस जे.एस. नारंग को इस मामले की जांच सौंपी। जबकि राणा गुरजीत सिंह ने अपनी कम्पनी राणा शूगर लिमिटेड का रेत की नीलामी से कोई भी संबंध होने से इंकार किया और स्पष्ट तौर पर कहा कि उनकी कम्पनी का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर रेत खदानों के व्यापार से कोई संबंध नहीं है, परंतु राहुल गांधी के दबाव पर राणा गुरजीत सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

सूत्रों की मानें तो कै. अमरेन्द्र ने उन्हें विश्वास दिलाया था कि जस्टिस नारंग की जांच में अगर उन्हें निर्दोष साबित किया जाता है तो वह मंत्रिमंडल विस्तार दौरान पुन: उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल कर लेंगे। चूंकि जस्टिस नारंग ने अपनी जांच रिपोर्ट में राणा गुरजीत को क्लीन चिट दे दी थी और उन्हें पुन: मंत्री बनानेे को लेकर राजनीतिक गलियारों में खासी चर्चाएं भी थीं लेकिन कै. अमरेन्द्र द्वारा राहुल की सहमति से बनाए गए 9 नए मंत्रियों की सूची में राणा का नाम नदारद था।

अब राजनीतिक समीकरण ऐसे हैं कि कैप्टन मंत्रिमंडल में कोई विस्तार संभव नहीं है जिसके चलते राणा का भविष्य में भी मंत्री बन पाना संभव नहीं है। सूत्रों की मानें तो इस सारे घटनाक्रम से राणा गुस्से से पूरी तरह से लबालब हैं। उनके एक बेहद करीबी साथी ने बताया कि फिलहाल राणा हजूर साहिब की यात्रा पर गए हुए हैं और वापस आते ही उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे देना है। इस संदर्भ में जब राणा गुरजीत से संपर्क करके उनका पक्ष जानना चाहा तो उनका मोबाइल स्विच ऑफ मिला।  

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