Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Mar, 2018 10:08 AM
जालंधर से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ब्यास पिंड है जहां 5500 साल पुराना कुंड है। कहते है कि महर्षि वेद व्यास महाराज ने यहां बैठकर चारों वेदों की रचना की थी। इतिहासकारों के मुताबिक उनके नाम पर ही ''ब्यास पिंड'' बसा है | 100 वर्ग फीट में फैले...
जालंधरः जालंधर से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ब्यास पिंड है जहां 5500 साल पुराना कुंड है। कहते है कि महर्षि वेद व्यास महाराज ने यहां बैठकर चारों वेदों की रचना की थी। इतिहासकारों के मुताबिक उनके नाम पर ही 'ब्यास पिंड' बसा है। 100 वर्ग फीट में फैले धार्मिक स्थल के प्रधान रत्न चंद ऋषि ने बताया कि ब्यास दरिया भी यहीं से गुजरती थी। महर्षि दरिया के किनारे पीपल के पेड़ के नीचे ही वेदों की रचना करते थे। कहते हैं कि ब्यास दरिया का नाम पहले 'बिपासा' था उस समय दरिया यहीं से गुजरती थी। इसलिए उसे ऋषि महाराज के नाम से ही ब्यास दरिया पुकारा जाने लगा था। मान्यता है कि भक्त जब आश्रम में आते थे तो वह दरिया का बहाव देखकर डरते थे। भक्तों ने ऋषि जी से कहा कि वह यहां कैसे आएं। इस पर ऋषि जी ने कहा आप आओ रास्ता खुद बन जाएगा। उसके बाद से ही दरिया का रास्ता बदलता गया।
महर्षि वेद व्यास महाराज जी के इस पुराने कुंड का नवीनीकरण का कार्य चल रहा है। रत्न चंद ऋषि ने बताया कि 15 वर्ष तक चले जमीन के केस का मामला अब उनके हक में आया है। मंदिर का चार मंजिला निर्माण किया जाएगा और अब हर मंजिल को एक-एक युग का नाम देकर सभी वेद और ग्रन्थ एक स्थान पर लाए जाएंगे। वहीं गांव के लोग घर में होने वाले शुभ कार्य महर्षि के इस पवित्र कुंड पर माथा टेकने से ही शुरू करते है। बताया जाता है की पांडव और महायोद्धा महापुरुष महर्षि वेद व्यास जी के पास आकर आशीर्वाद लेते थे।