Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Jul, 2017 10:29 AM
पंजाब की इंडस्ट्री इस समय पूरी तरह से प्रवासी मजदूरों पर निर्भर होकर रह गई है। जब भी बिहार व उत्तर प्रदेश से प्रवासी मजदूरों का प्रवाह कम होता है
जालंधर(धवन): पंजाब की इंडस्ट्री इस समय पूरी तरह से प्रवासी मजदूरों पर निर्भर होकर रह गई है। जब भी बिहार व उत्तर प्रदेश से प्रवासी मजदूरों का प्रवाह कम होता है तो इंडस्ट्री को अपना कामकाज चलाने के लाले पड़ जाते हैं। इसका एक कारण यह भी है कि मात्र 10 प्रतिशत पंजाबी लेबर ही इंडस्ट्री में इस समय काम कर रही है। शेष 90 प्रतिशत नौजवान या तो विदेशों की तरफ दौड़ रहे हैं या फिर उनका झुकाव नशों व अन्य कामों की तरफ हो गया है।
इंडस्ट्री के सामने इस समय भारी संकट पैदा हो गया है। इंडस्ट्री के जानकारों की मानें तो हैंडटूल व श्रम आधारित अन्य इंडस्ट्री में इस समय लेबर की भारी कमी चल रही है। पंजाबी लेबर उन्हें मिल नहीं रही है। पहले तो पंजाबी ड्राइविंग के काम में लग जाते थे परन्तु अब पंजाबी ड्राइवर भी विदेशों में जाकर काम करने को पहल दे रहे हैं। पंजाब में ड्राइविंग के काम में अब प्रवासी श्रमिक ही आगे आ रहे हैं जोकि समूची पंजाब की इंडस्ट्री के लिए एक चिन्ताजनक पहलू है। भविष्य में कभी भी घरेलू इंडस्ट्री के सामने एक गंभीर श्रम संकट पैदा होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
इंडस्ट्री से जुड़े उद्यमी भी इसे लेकर चिन्ताग्रस्त हैं परन्तु वह कुछ कर पाने में असमर्थ हैं। जी.एस.टी. लगने के बाद तो इंडस्ट्री की हालत और भी खराब हो गई है। माना जा रहा है कि जी.एस.टी. लागू होने के बाद उत्पादन कार्यों में कमी दर्ज की गई है। कहा जा रहा है कि उत्पादन में कमी के कारण अब लेबर की कम मांग इंडस्ट्री की तरफ से आ रही है। जब तक इंडस्ट्री में सुधार के लक्षण दिखाई नहीं देते तब तक लेबर की मांग में बढ़ौतरी नहीं होगी।