जालंधर कमिश्ररेट व रूरल पुलिस कर रही एफआईआर में जाति का जिक्र

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Jul, 2018 08:35 PM

jalandhar commissioner and rural police referring to caste in fir

जात-पात को बढ़ावा न देने के लिए डीजीपी द्वारा जारी किए आदेशों को जालंधर कमिश्ररेट व रूरल पुलिस इगनोर कर रही है। कमिश्ररेट पुलिस की तो किसी एफआईआर में जाति लिखी हुई है लेकिन रूरल पुलिस की हर एफआईआर में जाति का जिक्र है। सभी एफआईआर ऑनलाइन है, लेकिन...

जालंधर(वरुण): जात-पात को बढ़ावा न देने के लिए डीजीपी द्वारा जारी किए आदेशों को जालंधर कमिश्ररेट व रूरल पुलिस इगनोर कर रही है। कमिश्ररेट पुलिस की तो किसी एफआईआर में जाति लिखी हुई है लेकिन रूरल पुलिस की हर एफआईआर में जाति का जिक्र है। सभी एफआईआर ऑनलाइन है, लेकिन इसके बावजूद अधिकारियों की इस पर नजर ही नहीं गई। 

जात पात मिलाने की उठती हैं आवाजें: देशभर में जात-पात जैसी समाजिक बुराई को खत्म करने के लिए आवाजें उठती रही हैं लेकिन इसे पुरी तरह से खत्म करने के लिए सरकारें व प्रशासन फेल साबित हुआ। इसी सामाजिक बुराई को खत्म करने के लिए डीजीपी सुरेश अरोड़ा ने आदेश जारी किए थे कि पंजाब पुलिस किसी भी एफआईआर में अपराधियों से लेकर शिकायकर्ता की जाति नहीं पुछेगी और न ही जाति एफआईआर में लिखी जाएगी। जालंधर कमिश्रर में कई ऐसी एफआरआई है जो इन आदेशों के लागू होने के बाद ऑनलाइन की गई व उसमें जाति का जिक्र है। 

सभी एफआईआर में जाति का जिक्र: थाना डिवीजन नंबर 6 में एफआईआर नंबर 80 (2018) इसका सबूत है कि किस तरह कमिश्ररेट पुलिस ने डीजीपी के आदेशों को इगनोर किया। हालांकि बहुत सारी ऐसी भी एफआईआर है जिसमें जाति का जिक्र नहीं। बात अगर जालंधर रूरल पुलिस की करें तो रूरल पुलिस की सभी एफआईआर में जाति लिखी गई है। रूरल पुलिस के अधीन आने वाले सभी थानों की एफआईआर में जाति का जिक्र किया गया है। इतना ही नहीं रूरल पुलिस द्वारा मीडिया को जारी किए जाने वाले प्रैस नोट पर भी जाति लिखी जाती है। रूरल व कमिश्ररेट पुलिस की इस नजरअंदाजी बारे उच्च अधिकारी भी बेखबर है। सारी एफआईआर ऑनलाइन है लेकिन फिर भी अधिकारियों की इस पर नजर नहीं गई।

रूरल व कमिश्ररेट पुलिस की वैबसाइड अपडेट नहीं: कमिश्रनेट पुलिस व रूरल पुलिस की वैबसाइट भी अपडेट नहीं है। काफी दिन बीत जाने के बाद भी वैबसाइट में एफआईआर अपडेट नहीं की जा रही। हालांकि वैबसाइट शुरू होने पर कहा गया था कि एफआईआर दर्ज होने के 24 घंटे के अंदर उसे ऑनलाइन कर दिया जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं। इसके अलावा पुुलिस अधिकारियों की लिस्ट को भी अपडेट नहीं किया गया। अभी भी एसीपी माडल टाऊन समीर ही लिखें गए हैं जबकि उन्हें ट्रांसफर हुए कई दिन हो गए। कुछ समय पहले थानों के बदले गए एसएचओ लिस्ट जरूर अपडेट है। 


 

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