Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Oct, 2017 11:57 PM
प्रदेश कांग्रेस में जल्द ही बड़ा बदलाव हो सकता है। गुरदासपुर से सांसद बनने के बाद अब सुनील जाखड़ अपना पूरा फोकस केंद्र की राजनीति में करने जा रहे हैं। ऐसे में ...
जालंधर(रविंदर शर्मा): प्रदेश कांग्रेस में जल्द ही बड़ा बदलाव हो सकता है। गुरदासपुर से सांसद बनने के बाद अब सुनील जाखड़ अपना पूरा फोकस केंद्र की राजनीति में करने जा रहे हैं। ऐसे में संभावना है कि आने वाले दिनों में सुनील जाखड़ को लोकसभा में कांग्रेस पार्टी डिप्टी लीडर नियुक्त कर सकती है। अगर ऐसा होता है तो पार्टी को पंजाब में नया पार्टी प्रधान बनाना होगा। पार्टी का इस बार जोर भी ङ्क्षहदू चेहरे पर ही रहेगा। हालांकि कई सिख नेता भी इस पद के लिए अपनी-अपनी दौड़ लगा रहे हैं।
गौर हो कि 2014 में पार्टी ने कई तरह के नए एक्सपैरिमैंट करते हुए कई दिग्गज नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा था। अम्बिका सोनी को जहां आनंदपुर साहिब से चुनाव लड़ाया गया था तो रवनीत बिट्टू को आनंदपुर साहिब से लाकर लुधियाना की जमीन पर चुनाव मैदान में उतारा था। तब प्रदेश प्रधान चल रहे प्रताप सिंह बाजवा को पार्टी ने गुरदासपुर से चुनाव लड़ाया था तो विधानसभा में विपक्ष के नेता सुनील जाखड़ को फिरोजपुर सीट से उतारा था तो अकाली-भाजपा को टक्कर देने के लिए कै. अमरेंद्र सिंह को पार्टी ने अमृतसर से चुनाव लड़ाया था। मगर इनमें से अधिकांश बड़े नेता चुनाव हार गए थे।
रवनीत बिट्टू जहां लुधियाना से चुनाव जीतने में सफल रहे थे तो कै. अमरेंद्र सिंह ने भाजपा के दिग्गज नेता अरुण जेतली को बड़े मार्जन से चुनाव हराया था। जेतली जैसे नेता पर जीत प्राप्त करने के बाद कैप्टन का कद पार्टी के भीतर काफी बढ़ गया था। यही परिणाम रहा कि पार्टी ने जहां मल्लिकाअर्जुन को लोकसभा में पार्टी का नेता चुना तो कैप्टन अमरेंद्र सिंह को लोकसभा में पार्टी का उपनेता बनाया गया। मगर कैप्टन की हाजिरी लोकसभा में न के बराबर रही और वह इस पद को बाखूबी निभा नहीं पाए। उनका मन केंद्र की राजनीति में कम तो प्रदेश की राजनीति में ज्यादा था। पार्टी ने उन्हें प्रदेश कांग्रेस प्रधान बनाया तो विधानसभा चुनाव से पहले कैप्टन ने लोकसभा में पार्टी के उपनेता पद से भी इस्तीफा दे दिया था। तब से यह पद खाली चल रहा है। सुनील जाखड़ ने गुरदासपुर में बड़ी जीत प्राप्त कर अपनी योग्यता को एक बार फिर जाहिर किया है।
बतौर विधानसभा में विपक्ष के नेता रहते हुए सुनील जाखड़ ने कई अहम मुद्दे उठाए थे और अकाली-भाजपा सरकार की नाक में दम कर रखा था। जाखड़ के इसी अनुभव को पार्टी अब लोकसभा में भुनाना चाहती है। डिप्टी नेता के खाली चल रहे ओहदे पर वह पार्टी अनुभवी जाखड़ को बिठा कर केंद्र की मोदी सरकार को कई मामलों में घेरने की योजना बना सकती है, क्योंकि जाखड़ को राहुल गांधी केंद्र की राजनीति में पसंद करना चाहते हैं तो ऐसे में उनका ध्यान अब प्रदेश की राजनीति में नहीं रहेगा।
इसीलिए पार्टी प्रदेश प्रधान के तौर पर अब किसी नए नेता की तलाश में है, क्योंकि प्रदेश में कैप्टन अमरेंद्र सिंह के तौर पर मुख्यमंत्री पद पर जाट सिख नेता है तो पार्टी ने प्रदेश प्रधान पद पर एक ङ्क्षहदू नेता को बिठाया था, ताकि हिंदू व सिख वोट बैंक दोनों पर अपनी पकड़ बनाई जा सके। जाखड़ के केंद्र की राजनीति में जाने के बाद पार्टी एक बार फिर से किसी दूसरे हिंदू नेता पर ही दांव खेल सकती है, क्योंकि पार्टी जल्द ही राहुल गांधी को राष्ट्रीय प्रधान बनाने जा रही है तो राहुल गांधी की ताजपोशी से पहले प्रदेश को नया प्रधान मिल सकता है। अब देखना होगा कि आने वाले समय में किस नेता की किस्मत का ताला खुलता है।