2 वर्ष बाद भी शुरू नहीं हो पाया जगराओं पुल के अनसेफ हिस्से का पुनर्निमाण

Edited By swetha,Updated: 22 Jul, 2018 01:50 PM

jagraon bridge

पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने खुलासा किया कि अमरीका-मैक्सिको की सीमा पर हजारों भारतीय युवाओं को हिरासत में रखा गया है, जिनमें बड़ी संख्या पंजाबियों की है। वह वहां के हालातों से ङ्क्षचतित हैं।

लुधियाना(हितेश): जगराओं पुल के भारत नगर चौक की तरफ जाने वाले हिस्से को अनसेफ हिस्से को दोबारा बनाने का काम 2 वर्ष बीतने के बाद भी शुरू नहीं हो पाया है। यह लोहे का पुल 130 वर्ष पहले बनाया गया था और यह अपनी लाइफ 3 दशक पहले ही पूरी कर चुका है। इस दौरान वर्ष 2000 के आसपास एक बार रिपेयर भी करवाई जा चुकी है लेकिन रेलवे ने जुलाई 2016 में पुल को अनसेफ डिक्लेयर करके वहां पहले हैवी और फिर लाइट व्हीकल के गुजरने पर रोक लगा दी।

जहां तक इस पुल को दोबारा बनाने का सवाल है उसकी रिपेयर या पुनॢनर्माण करने बारे फैसला लेने में ही रेलवे ने काफी समय खराब कर दिया और फिर पुल को दोबारा बनाने पर आने वाली लागत का बोझ उठाने को लेकर पेंच फंसा रहा। जब निगम ने लागत का बोझ उठाने की हामी भरी तो रेलवे ने डिजाइन व एस्टीमेट फाइनल करने में भी काफी समय लगा दिया।

इतने देर में पंजाब में सरकार बदल गई और कांग्रेस ने पुल पर खर्च करने के लिए रिजर्व किए गए हलका वाइस विकास कार्यों के पैसे खर्च करने पर रोक लगा दी, जबकि रेलवे ने पहले सारा पैसा एडवांस में जमा होने पर ही टैंडर लगाने की शर्त लगा दी, जिसे लेकर समाजसेवी संगठनों द्वारा विरोध जताने पर सरकार ने 1 वर्ष बाद जाकर 24.30 करोड़ रुपए जारी कर दिए।यह पैसा मिलने के बाद रेलवे ने नए सिरे से डिजाइन व एस्टीमेट बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी और टैंडर लगाकर वर्क ऑर्डर जारी करने में कई माह निकल गए। यह काम पूरा होने के बाद कम्पनी ने पहले किनारे पर हुए कब्जे हटाने की शर्त रख दी, जो कारवाई पूरी होने के 2 माह बाद भी अब तक पुल को तोडऩे का काम पूरा नहीं हो पाया है।

ट्रैफिक जाम से लोग बेहाल
इस पुल के बंद होने की वजह से लोगों को ट्रैफिक जाम की समस्या का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि रेलवे स्टेशन रोड, विश्वकर्मा चौक, फील्डगंज साइड से आने वाले वाहनों को भारत नगर चौक या सिविल लाइंस साइड जाने के लिए सिर्फ जगराओं पुल का ही रास्ता था। जिस हिस्से को अनसेफ डिक्लेयर करने के बाद भी उस पर पहले दोपहिया वाहनों को रास्ता दिया गया था लेकिन पुल को तोडऩे काम शुरू होने के बाद से दोनों तरफ का हैवी व लाइट ट्रैफिक एक ही साइड से चलाया जा रहा है। इस दौर में सिविल लाइंस या भारत नगर चौक साइड जाने के लिए लक्कड़ ब्रिज या दमोरिया पुल का रास्ता बचता है जहां पहले ही काफी जाम लगा रहता है। इसी तरह विश्वकर्मा चौक साइड का जो ट्रैफिक भारत नगर चौक जाने के लिए गिल रोड का रास्ता अपनाता था, उसकी दिक्कतों में फ्लाईओवर बंद रहने के दौरान इजाफा हो गया था।

देरी से जुड़े पहलुओं पर एक नजर
* डिजाइन व एस्टीमेट बनाने में निकल चुका है काफी समय।
* सरकार द्वारा पैसा रिलीज करने में भी हुई देरी।
* 60 दिन में पूरा होना चाहिए था पुराने पुल को तोडऩे का काम।
* नीचे से गुजर रही ट्रेनों के लिए ब्लॉक न मिलने कारण हो रही देरी।

अभी ये काम होने बाकी

* कब्जे हटाने के बाद साइट पर पड़ा मलबा क्लीयर करना।
* पुल की चौड़ाई बढ़ाने के लिए किनारों को तोडऩा।
* रेलवे ने कही लोहे के गार्डर वर्कशॉप से तैयार करके लाने की बात।
* नए सिरे से पिल्लरों का निर्माण।
* गार्डर फिक्स करने के बाद डाली जाएगी स्लैब।
* नगर निगम ने करना है बैरीयर व अप्रोच रोड का निर्माण।

कब्जे हटाने के बाद अब मलबा उठाने पर फंसा पेंच
जगराओं पुल के अनसेफ हिस्से को दोबारा बनाने के टैंडर हासिल करने वाली कम्पनी ने काम शुरू करने से पहले यह कहकर पुल के किनारे पर हुए कब्जे हटाने की शर्त लगा दी थी कि उसे पुल तोडऩे का मलबा व मैटीरियल ले जाने के लिए जगह की जरूरत है। हालांकि यह कब्जे रेलवे की जगह पर हुए थे लेकिन उन्हें हटाने की जिम्मेदारी निगम को मिल गई। जिस पर निगम ने कब्जे हटाने के बदले में लोगों को फ्लैटों में शिफ्ट करने की पेशकश की तो लोगों ने विरोध करने समेत कोर्ट का रुख कर लिया।
इससे निर्माण शुरू करने में हो रही देरी के मद्देनजर कब्जे हटाने के लिए सख्त रवैया अपनाया गया। यह कार्रवाई पूरी होने के करीब 2 माह बाद तक साइट से मलबा नहीं हटाया गया, क्योंकि नगर निगम व रेलवे द्वारा इस काम के लिए एक-दूसरे के पाले में गेंद डाली जा रही है। इसके तहत नगर निगम ने कब्जे हटाकर साइट रेलवे को हैंड ओवर करने के लिए पत्र लिख दिया है और रेलवे द्वारा अभी भी निगम द्वारा मलबा हटाने का इंतजार करते हुए निर्माण शुरू नहीं किया जा रहा है। 

क्या दिसम्बर तक पूरा हो जाएगा निर्माण
वैसे तो जब रेलवे ने जगराओं पुल को अनसेफ डिक्लेयर करके बंद किया था तो 1 वर्ष के भीतर दोबारा बनाने का शैड्यूल जारी किया गया था, जबकि अब 2 वर्ष से ज्यादा का समय बीत चुका है। इससे पहले पिछले साल जब रेलवे ने पुल के निर्माण के लिए वर्क ऑर्डर जारी किया था तो दिसम्बर 2018 तक निर्माण पूरा होने का दावा किया था। मगर अब सिर्फ 5 माह बाकी रह गए हैं और अभी पुल को तोडऩे का काम ही पूरा नहीं हो पाया है। इसके बावजूद अधिकारी पता नहीं किस आधार पर तय डैडलाइन के भीतर पुल का निर्माण पूरा होने का दावा कर रहे हैं।

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