राहुल गांधी के दरबार में गूंजा पंजाब में अवैध खनन और जोजो टैक्स वसूली का मुद्दा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Feb, 2018 11:27 AM

issue of illegal mining and jojo tax recovery in punjab

पंजाब में धड़ल्ले से चल रहे अवैध खनन और जोजो टैक्स का मुद्दा ऑल इंडिया कांग्रेस के प्रधान राहुल गांधी के दरबार में गूंजा है और इसी संदर्भ में हाईकमान ने पंजाब से संबंधित टीम राहुल से जुड़े नेताओं से इन विवादित मामलों का फीडबैक लिया है। पंजाब में...

जालंधर  (जतिन्द्र चोपड़ा): पंजाब में धड़ल्ले से चल रहे अवैध खनन और जोजो टैक्स का मुद्दा ऑल इंडिया कांग्रेस के प्रधान राहुल गांधी के दरबार में गूंजा है और इसी संदर्भ में हाईकमान ने पंजाब से संबंधित टीम राहुल से जुड़े नेताओं से इन विवादित मामलों का फीडबैक लिया है। पंजाब में अवैध खनन माफिया और गुंडा टैक्स की वसूली से कांग्रेस की हो रही फजीहत को लेकर कांग्रेस आलाकमान ने संजीदा रुख अख्तियार कर लिया है। टीम राहुल से जुड़े कांग्रेस के पुष्ट सूत्रों की मानें तो हाईकमान ने प्रदेश कांग्रेस से इन विवादित व अवैध कार्यों में शामिल विधायकों, उनके रिश्तेदारों व प्रदेश पदाधिकारियों की सूची दिल्ली तलब की है। 


इस घटनाक्रम से उन कांग्रेस विधायकों की परेशानियां बढऩा तय है जोकि लुधियाना नगर निगम के चुनावों के बाद संभावित पंजाब मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान मंत्री पद पाने का सपना संजोए बैठे हैं। अब सैंड माफिया व गुंडा टैक्स से संबंधों के कारण उनका पत्ता कटना यकीनी माना जा रहा है। इसके अलावा विधानसभा चुनाव हारे नेता, टिकट न मिलने वाले दावेदारों की फौज व प्रदेश कांग्रेस के अनेकों पदाधिकारी अपनी एडजस्टमैंट को लेकर विभिन्न सरकारी विभागों की चेयरमैनियों को पाने की लालसा रखे हुए हैं परंतु नेताओं की इस फौज में से काले कारोबार से संबंधित नेताओं पर भी हाईकमान के भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टोलरैंस का चाबुक पडऩा तय है। 


 

विवादित मामलों से जनता में टूटने लगा कै. अमरेन्द्र का तिलिस्म
2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान कैप्टन अमरेन्द्र सिंह का जादू प्रदेश की जनता के सिर चढ़कर बोला था जिसके चलते कांग्रेस ने 77 सीटें जीत कर प्रदेश की सत्ता पर अपना कब्जा जमाया था। बादल सरकार के 10 वर्षों के कार्यकाल के दौरान प्रदेश में व्याप्त भष्टाचार, नशों, गुंडाराज व अन्य मामलों से परेशान हो चुकी जनता ने अकाली दल व भाजपा से विपक्षी दल की भूमिका तक को छीन लिया था। कै. अमरेन्द्र सिंह की सरकार को अभी एक साल भी नहीं हुआ कि कांग्रेस के खुद के दामन पर लैंड-सैंड माफिया, गुंडाराज फैलाने के दाग लग गए हैं। पहले पूर्व कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह और अब वित्त मंत्री मनप्रीत बादल के साले पर लगे आरोपों के बाद जनता के बीच कै. अमरेन्द्र सिंह के स्वच्छ व भ्रष्टाचार रहित शासन देने का तिलिस्म टूटने लगा है। 

 

गुंडा टैक्स से अवैध खनन कारोबार में संलिप्त कांग्रेसियों की पहली बनी सूची में होगा भारी इजाफा
मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह ने सख्त स्टैंड लेते हुए खनन विभाग से उन नेताओं के नाम मांगे थे जिनके खनन माफिया के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर संबंध हैं। सूत्रों की मानें तो उक्त सूची में करीब 2 दर्जन विधायकों के नाम शामिल हैं जबकि चुनाव हारने वाले नेताओं और कांग्रेस पदाधिकारियों की भी लिस्ट खासी लंबी है परंतु अब गुंडा टैक्स वसूली का मामला सुर्खियों में आने के बाद नई बनने वाली लिस्ट में नामों का खासा इजाफा होना तय है। इस सूची के दिल्ली दरबार जाने के बाद इसमें शामिल नेताओं के भविष्य के राजनीतिक करियर पर सवालिया निशान लगना भी तय है। 

 

कै. अमरेन्द्र की कार्यशैली से भी स्थिति हुई आऊट ऑफ कंट्रोल
अवैध खनन माफिया व गुंडा टैक्स वसूली से कोसों दूर कांग्रेस नेताओं का मानना है कि कैप्टन अमरेन्द्र की कार्यशैली के कारण भी स्थिति आऊट ऑफ कंट्रोल हुई है। उक्त नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री की कांग्रेस विधायकों व कार्यकत्र्ताओं से लगातार बनी दूरी के कारण उन कांग्रेस नेताओं के हौसले बुलंद हुए हैं जोकि अकाली-भाजपा नेताओं की भांति इन अवैध कारोबारों के जरिए अपनी निजी रोटियां सेंकना चाहते थे और यही नेता अब कांग्रेस की हो रही बदनामी का कारण बन गए हैं। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि कै. अमरेन्द्र सिंह अपने राजसी व अपनी चिर-परिचित अंदाज में अपने चंद दरबारियों से घिरे हुए हैं। यही दूरी मुख्य वजह है कि कै. अमरेन्द्र के कानों तक वही बात पहुंचती है जिसे उनके दरबारी उन तक पहुंचाना चाहते हैं। 


विधायकों व कार्यकत्र्ताओं से कोई मेल-मिलाप न होने के चलते प्रदेश की ग्राऊंड रियाल्टी मुख्यमंत्री तक नहीं पहुंच पा रही है परंतु अब अवैध माफिया व जोजो टैक्स के सुर्खियां बनने और हाईकमान द्वारा इसका संज्ञान लेने से कांग्रेस के कर्मठ व मेहनती नेताओं में खासी खुशी पाई जा रही है और वे चाहते हैं कि धन-बल के दम पर पार्टी की साख पर बट्टा लगाने वाले नेताओं के खिलाफ कड़ी अनुशासनिक कार्रवाई की जाए।  

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