राज्य में अपने सैंटर चले नहीं केंद्रीय सैंटरों में भी डाला पंगा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Dec, 2017 04:42 PM

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प्रदेश को नशा मुक्त करने के नारों के बीच सरकारी नीतियों में त्रुटियां होने के कारण सरकार का प्रदेश को नशा मुक्त बनाने का सपना अभी भी अधूरा है और नशा मुक्ति केंद्रों की हालत काफी खराब है। राज्य सरकार द्वारा बनाई लाइसैंस प्रणाली व नए नियमों के कारण...

लुधियाना(सहगल): प्रदेश को नशा मुक्त करने के नारों के बीच सरकारी नीतियों में त्रुटियां होने के कारण सरकार का प्रदेश को नशा मुक्त बनाने का सपना अभी भी अधूरा है और नशा मुक्ति केंद्रों की हालत काफी खराब है। राज्य सरकार द्वारा बनाई लाइसैंस प्रणाली व नए नियमों के कारण उसके अपने बनाए नशा मुक्ति व पुनर्वास केंद्र चलने तो दूर केंद्रीय सामाजिक सुरक्षा मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे नि:शुल्क नशा मुक्ति केंद्रों पर भी काफी बुरा असर पड़ा है। हर जिले के नशा मुक्ति केंद्रों में मरीजों की संख्या में काफी कमी आई है। सरकार द्वारा बनाई नीतियों की वजह से निजी नशा मुक्ति केंद्रों को बढ़ावा दिया गया परंतु कामयाबी नहीं मिली। सरकार के अपने मॉडल नशा मुक्ति केंद्र संस्थानों व स्टाफ की कमी के कारण खस्ता हालत में पहुंच गए। उदाहरण के तौर पर जिला लुधियाना से नवम्बर के दूसरे सप्ताह स्वास्थ्य निदेशक को भेजी रिपोर्ट में 21 नशा मुक्ति केंद्रों की जांच रिपोर्ट भेजी गई, यह रिपोर्ट डिप्टी मैडीकल कमिश्नर तथा सिविल अस्पताल के मनोचिकित्सक द्वारा तैयार की गई थी। इस रिपोर्ट में बताया गया कि जिले में चल रहे 13 निजी नशा मुक्ति केंद्रों में एक भी मरीज भर्ती नहीं पाया गया। इसके अलावा खन्ना में चल रहे केंद्रों में मरीज भर्ती थे, जबकि 4 सरकारी केंद्रों में 15 मरीज भर्ती थे।


नशा सामाजिक बुराई या मानसिक रोग नहीं
विशेषज्ञ इंद्रजीत ढींगरा का कहना है कि नशा सामाजिक बुराई या मानसिक रोग नहीं है, पर इसे मानसिक रोग के तौर पर प्रमोट कर इसका व्यवसायीकरण किया जा रहा है। नशा मुक्ति केंद्रों में एक दवा छुड़ाकर दूसरी नशे की दवा दी जा रही है। अब नशा छोडऩे के प्रति जागरूकता अभियान समाप्त हो गए हैं। बंद हो चुके सैंटरोंमें लुधियाना के 2, संगरूर व नवांशहर का एक-एक सैंटर शामिल है। रा’य में नशा मुक्ति की लहर चलाने के लिए लाइसैंस प्रणाली व इंस्पैक्टरी रा’य खत्म करना जरूरी है।


कितने मरीज हुए स्वस्थ, सरकार के पास नहीं आंकड़े
पंजाब सरकार द्वारा नशा मुक्ति व पुनर्वास केंद्रों जिनमें अमृतसर, बरनाला, बङ्क्षठडा, फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब, फाजिल्का, फिरोजपुर, गुरदासपुर, होशियारपुर, जालंधर, कपूरथला, लुधियाना, मानसा, मोगा, मुक्तसर, पटियाला, संगरूर, एस.ए.एस. नगर, एस.बी.एस. नगर व तरनतारन में 50-50 बिस्तरों के ड्रग्स रिहैबलीटेशन सैंटर यानी नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र खोले गए हैं, पर इन केंद्रों में अब तक कितने मरीज ठीक होकर गए इसके आंकड़े सरकार के पास भी उपलब्ध नहीं हैं।

सेहत मंत्री भूले अपना वायदा
पंजाब सरकार के सेहत मंत्री ने कुछ समय पहले पंजाब केसरी से बातचीत दौरान कहा था कि रा’य में नशा मुक्ति का काम युद्ध स्तर पर शुरू होगा। अभी सिविल सर्जनों को नशा मुक्ति केंद्रों का दौरा कर रोज रिपोर्ट देने को कहा है। सेहत मंत्री ब्रह्म महिन्द्रा ने कहा था कि उन्हें पता है कि कहीं डाक्टर तो कहीं स्टाफ नहीं है। अब ऐसा नहीं होगा डाक्टर, स्टाफ व दवाइयों की कमी पूरी की जाएगी। लगता है कि सेहत मंत्री को अपना वायदा याद नहीं रहा, जबकि रा’य में नशाखोरी पर काफी कुछ किया जाना बाकी है।

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