आतंकवाद से लड़ाई जारी, लोगों का मिल रहा पूरा सहयोग : डी.जी.पी. गुप्ता

Edited By swetha,Updated: 29 Jun, 2019 12:10 PM

interview with dgp dinkar gupta

:अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटा होने के कारण पंजाब को कई मोर्चों पर लड़ना पड़ता है। इस लड़ाई में अहम कड़ी के तौर पर पंजाब पुलिस भूमिका निभाती है। पंजाब पुलिस का इतिहास कई कुर्बानियों से भरा है।

चंडीगढ़(रमनजीत सिंह):अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटा होने के कारण पंजाब को कई मोर्चों पर लड़ना पड़ता है। इस लड़ाई में अहम कड़ी के तौर पर पंजाब पुलिस भूमिका निभाती है। पंजाब पुलिस का इतिहास कई कुर्बानियों से भरा है। शायद यह देश के अन्य राज्यों की पुलिस से कहीं अधिक है। पंजाब एकमात्र ऐसा राज्य कहा जाता है, जिसने आतंकवाद के साथ लड़ाई लड़ी और जीत भी हासिल की। लोगों का ही सहयोग है जिसके दम पर अभी भी पंजाब पुलिस लगातार आतंकवाद की सिर उठाने वाली कोशिशों को कुचलने में कामयाब रहती है।इसका श्रेय भी पंजाब पुलिस को दिया जाता है, लेकिन एक चीज है जिस पर लगातार कोशिश के बाद भी जीत हासिल नहीं हो पाई है और वो है पंजाब पुलिस की डराने वाली छवि। हालांकि अधिकारी दावा करते हैं कि आतंकवाद का खात्मा लोगों के सहयोग से ही संभव हुआ था लेकिन इसके बावजूद पुलिस की छवि ऐसी ही बनी हुई है कि हर कोई पुलिस की मौजूदगी से सुरक्षित महसूस करने के बजाय डर महसूस करता है। डी.जी.पी. दिनकर गुप्ता ने पंजाब पुलिस की छवि बदलने को खुद के लिए चैलेंज के तौर पर लिया है और इसके लिए काम कर रहे हैं। पंजाब केसरी ने कई मुद्दों पर डी.जी.पी. दिनकर गुप्ता से बात की। 
 
प्र. पंजाब पुलिस की मौजूदगी लोगों को सुरक्षा के बजाय सहम क्यों महसूस कराती है? यह छवि कब और कैसे बदलेगी?
उ. पंजाब पुलिस की इस छवि को बदलना है। पंजाब पुलिस समय के साथ काफी बदली भी है। नई टैक्नोलॉजी के साथ कामकाज में भी काफी बदलाव आया है। नैचुरल है कि बिहेवियर पर असर पड़ता है। मेरे लिए पंजाब पुलिस की ट्रेनिंग एंड कैपेसिटी बिल्डिंग भी चैलेंज है और इस पर काम शुरू किया है। मुलाजिमों के ‘बिहेवियर विद सिटीजन’ में भी इम्प्रूवमैंट हुई है लेकिन हम जानते हैं कि अभी रास्ता लंबा है। पुलिस की छवि के कई कारण हैंलेकिन ट्रेनिंग और मोटीवेशन से फर्क आएगा। पिछले 8-9 वर्ष दौरान भर्ती में पढ़े-लिखे युवा आए हैं। उससे काफी हद तक बिहेवियर में चेंज आया है। इसे और बढ़ाया जाना है ताकि इसे वैस्टर्न पुलिसिंग के साथ खड़ा किया जा सके। पुलिस का काम स्ट्रैस वाला है। मुलाजिमों की लिविंग कंडीशंस में इम्प्रूवमैंट, वर्किंग कंडीशंस दुरुस्त करने के साथ ही वीकली ऑफ पर भी काम किया जा रहा है, ताकि स्ट्रैस फ्री समय दिया जा सके। सी.एम. साहब से ‘बड़ा खाना’ जैसे समारोहों के जरिए मिलने का सिलसिला शुरू करने जा रहे हैं ताकि उनसे सीधा संवाद कर समस्याएं सुनी जा सकें। उम्मीद है कि कुछ ही महीनों में जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे और आने वाले समय में पुलिस की पुरानी छवि बदलकर ‘मित्र पुलिस’ वाली छवि बनेगी।  

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प्र. वूमैन एंड चाइल्ड सेफ्टी के मामले में क्या चुनौतियां हैं। छोटी बच्चियों से रेप के मामले बढ़ रहे हैं, कोई एक्शन प्लान? 
उ. यह अहम मुद्दा है वूमैन व चाइल्ड सेफ्टी। मैं निजी तौर पर भी वूमैन सेफ्टी के लिए ङ्क्षचतित रहता हूं। इसके लिए कमिटेड हूं। चाहता हूं कि ऐसा सुरक्षित माहौल बनाया जाए जिसमें महिलाएं सुरक्षित महसूस करें। चीफ जस्टिस से बात कर फास्ट ट्रैक अदालतों की भी कोशिश की जा रही है। पंजाब पुलिस द्वारा वूमैन हैल्पलाइन के लिए 181 और 112 या डायल 100 जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।

प्र. सोशल मीडिया पर चर्चा रही है कि ताजा विदेश यात्रा के दौरान आपको भी नारेबाजी का सामना करना पड़ा?
उ. नहीं, इसमें कोई सच्चाई नहीं। सोशल मीडिया पर झूठा प्रचार किया गया। मई के आखिरी दिनों में विदेश जरूर गया था, 29 मई को अपनी मंजिल पर पहुंच गया था। सोशल मीडिया पर जो प्रचार किया गया, उसकी सच्चाई यह है कि मैं 1 जून को लंदन में नहीं था, बल्कि मैं 1 जून को यू.के. में ही नहीं था और इस बार की ट्रैवल के दौरान मेरे पास ब्रिटिश वीजा तक नहीं था लेकिन फिर भी कुछ लोगों की ओर से सोशल मीडिया पर झूठ फैलाया गया। इस झूठ से ही पता चल सकता है कि सोशल मीडिया पर ‘2020’ को लेकर प्रचार करने वालों को लोगों की कितनी सपोर्ट है।

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प्र. डी.जी.पी. के तौर पर अब तक का कार्यकाल कैसे देखते हैं?
उ.
डी.जी.पी. का ओहदा संभालते ही सबसे पहली चुनौती राज्य में लोकसभा चुनाव शांतिपूर्वक तरीके से कराना था, काफी लंबा समय था कैंपेनिंग का भी। उसमें हम खरे उतरे। बाकी काम कैसा रहा है, यह लोग और साथी अधिकारी ज्यादा अच्छे से बता सकते हैं। 

प्र. बेअदबी से जुड़े फायरिंग केसों की जांच करने वाली एस.आई.टी. में दरारें सामने आई हैं। पुलिस, खासकर बड़े अधिकारियों में आपसी तालमेल नहीं है?
उ .
पंजाब पुलिस बड़ी डिसिप्लेंड फोर्स है। सीनियर्स का सम्मान करना पुलिस फोर्स के अधिकारियों को आता है। कोई गलती होने पर पंजाब पुलिस में एक्शन भी सख्ती से लिया जाता है। जिस मामले की बात आप कर रहे हैं, वो मेरे छुट्टी पर जाने के बाद हुआ था और जैसा अखबारों में छपा कि कुंवर विजय प्रताप ने कोई चिट्ठी लिखी है, ऐसा कुछ नहीं था। आई.जी. ने सिर्फ एक मामले पर अपनी राय प्रकट की थी, इससे ज्यादा कुछ नहीं था। उसका केस की जांच से कोई संबंध नहीं था। 

प्र. क्या आप मानते हैं कि पंजाब में नशे का मुकम्मल सफाया हो गया है? 
उ.
सी.एम. साहब ने भी कई बार कहा है कि ड्रग्स के धंधे की रीढ़ तोड़ी जा चुकी है। पुलिस का काम सप्लाई चेन तोडऩा और रोकना है। इसमें काफी अच्छा काम किया है। 26 हजार केस दर्ज हुए हैं, 30 हजार के करीब लोग गिरफ्तार हुए, 10 हजार के करीब लोग जेल में हैं। हाल ही की बैठक में एन.सी.बी. अधिकारियों ने भी माना है कि दो-अढ़ाई वर्ष दौरान पंजाब में नशे के खिलाफ जो काम हुआ, वैसा किसी भी स्टेट में नहीं हुआ है। वहीं, एस.टी.एफ. द्वारा इन्फोर्समैंट, डी-एडिक्शन एंड प्रीवैंशन पर काम किया जा रहा है। इसके लिए डैपो और बडी प्रोग्राम बहुत कारगर साबित हो रहे हैं। ड्रग्स प्रॉब्लम के कई डायमैंशन हैं। इतना काम होने के बाद भी हम चुप करके नहीं बैठ सकते। ब्लू प्रिंट बनाया गया है, जिसके आधार पर आगे की रणनीति बनेगी और जिला स्तर पर होने वाले काम को हर माह रिव्यू किया जाएगा। जवाबदेही तय की जा रही है डी.सी.-एस.एस.पी. से लेकर डी.एस.पी. व एस.एच.ओ. स्तर तक।

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प्र.सब कह रहे हैं कि ड्रग्स कम हुआ है, लेकिन मौतें अभी भी जारी हैं?
उ.
सी.एम. के साथ हाल ही में बैठक दौरान बात सामने आई कि नशे पर सख्ती की वजह से तस्कर अब कमाई बढ़ाने के लिए नशे में भी मिलावट करने लगे हैं, जिस वजह से नशे के एडिक्ट उनकी चपेट में आकर मौत का शिकार बन रहे हैं। यह बहुत दुखदाई है लेकिन इससे बचने का रास्ता यही है कि पीड़ित व्यक्ति को जल्द से जल्द डी-एडिक्शन सैंटर से इलाज दिलाया जाए। इंटरनैशनल एंटी ड्रग्स डे पर बैठक दौरान सेहत विभाग ने बताया कि ‘बुप्रोनोरफिन’ की वजह से नशा छोडऩे वाले ऐसी मौतों से बच रहे हैं। उम्मीद है कि नतीजे अच्छे मिलेंगे, पुलिस, एन.सी.बी., आई.बी., एस.टी.एफ., पंजाब का सेहत विभाग सब मिलकर काम कर रहे हैं। मुश्किल काम है लेकिन हम लगे हुए हैं। 

प्र.पंजाब में हर साल सड़क हादसों में हजारों मौतें होती हैं। क्या ट्रैफिक पुलिस सक्षम नहीं? 
उ.
पंजाब पुलिस का ट्रैफिक विंग लगातार इस पर काम कर रहा है। सड़क हादसों के जानलेवा होने के पीछे कई कारण हैं जिनमें तेज स्पीड, सड़कों की खराब इंजीनियरिंग और ड्रंकन-ड्राइविंग भी शामिल हैं। राज्य की कई सड़कों पर ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए जा चुके हैं, जिन्हें सुधारने के लिए लोक निर्माण विभाग के साथ मिलकर काम किया जा रहा है। इसके लिए ट्रैफिक विंग लगातार बैठकें करता है और ट्रैफिक कंसल्टैंट्स से भी राय ली जा रही है। ट्रैफिक पुलिस की क्षमता को लगातार बढ़ाया जा रहा है ताकि ट्रैफिक नियमों का कड़ाई से पालन हो।

प्र. जेल के अंदर संवेदनशील केस से जुड़े अहम आरोपी की हत्या हो जाना क्या जेल प्रशासन के स्तर पर बड़ी नाकामी नहीं?
उ.
जेल के भीतर किसी की हत्या हो जाना प्रशासनिक नाकामी तो है, इसकी जांच हो रही है। मुख्यमंत्री ने फैक्ट फाइंडिंग इन्क्वायरी का आदेश दिया है और ए.डी.जी.पी. जेल की निगरानी में जांच हो रही है। रिपोर्ट आने पर ही जिम्मेदारी तय होगी। 

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प्र. जेलें भी सुरक्षित नहीं रहीं, ऐसा क्यों?
उ.
इसके कई कारण हैं। पंजाब की जेलें ओवर क्राऊडिड हैं। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि क्या स्थिति है, क्योंकि पंजाब की जेलों में करीब 20 हजार की क्षमता है और मौजूदा समय में करीब 28 हजार कैदी व हवालाती बंद हैं। मुख्यमंत्री स्तर पर जेलों के आधुनिकीकरण को लेकर कसरत चल रही है। साथ ही दिन ब दिन नई टैक्नोलॉजी भी चुनौती बन रही है क्योंकि जब तक थ्री-जी तकनीक के जैमर लगाए गए, तब तक 4जी चलन में आ गया और अब 5जी की तैयारी है। यह बड़ी चुनौती है, क्योंकि जैमर बहुत महंगे भी हैं। जेल मैनेजमैंट चैलेंज बना हुआ है और सरकार काम कर रही है। जेलों की मैनेजमैंट को पूरी तरह रिव्यू करके नया सैटअप किया जाएगा।

प्र. बेअदबी मामले में महिंदरपाल बिट्टू बहुत अहम कड़ी थी, क्या जांच में असर पड़ेगा? 
उ.
नहीं, असल में जिन केसों के साथ बिट्टू जुड़ा था, उनकी जांच एस.आई.टी. पूरी कर चुकी है और चालान भी पेश किए जा चुके हैं। केसों की सुनवाई चल रही है। ऐसे में जांच चूंकि पूरी हो चुकी है, जांच के प्रभावित होने का सवाल ही पैदा नहीं होता। 

प्र. सोशल मीडिया के जरिए खालिस्तान के नाम पर भावनाएं भड़काई जा रही हैं, पुलिस क्या कर रही है?
उ.
मेरी अपील है उन युवाओं व उन लोगों से, जो दूसरे राज्यों व देशों में बैठे हैं कि पंजाब में हमारे बच्चों को बरगलाने की कोशिश न करें। हमें कोई प्रॉब्लम नहीं कि कोई खालिस्तान मांगे या कुछ और मांगे, फ्रीडम ऑफ एक्सप्रैशन की हमारा संविधान और जिन देशों में ऐसे लोग बैठे हैं, वहां के संविधान आज्ञा देते हैं लेकिन हमारी कोशिश है कि यह सिर्फ कानून के दायरे में रहते हुए ही हो। मामले में किसी भी तरह की हिंसक गतिविधियों की इजाजत नहीं दी जा सकती।

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प्र. कुछ समय से आतंकी घटनाएं फिर से बढऩे लगी हैं?
उ.
जी, 2015 के बाद लगातार कई ऐसी एक्टिविटीज हुईं, जिनमें दीनानगर और पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले शामिल हैं। टार्गेटेड किलिंग्स भी विदेश समर्थित आतंकी घटनाएं ही थीं लेकिन जैसा कि मैंने पहले कहा, पंजाब पुलिस इन सभी को सिर उठाते ही कुचलने में कामयाब रही है।


 

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