सदन की गरिमा तभी जब विधायकों का व्यवहार हो गरिमापूर्ण, अपशब्द अफसोसजनक : राणा के.पी.

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Apr, 2018 09:23 AM

interview rana kp singh

सत्ता पक्ष-विपक्ष के बीच टकराव को काफूर करने की बात हो या जनकल्याण नीतियों पर मोहर लगाने की। स्पीकर के लिए विधानसभा का हर सत्र चुनौतीभरा होता है।

चंडीगढ़ : सत्ता पक्ष-विपक्ष के बीच टकराव को काफूर करने की बात हो या जनकल्याण नीतियों पर मोहर लगाने की। स्पीकर के लिए विधानसभा का हर सत्र चुनौतीभरा होता है। स्पीकर की कोशिश रहती है कि सत्र शांतिपूर्वक संपन्न हो जाए। पंजाब विधानसभा में बतौर स्पीकर राणा के.पी. सिंह के लिए एक वर्ष का कार्यकाल बहुत सहज नहीं रहा है। विपक्ष ने उन पर निशाना साधते हुए आरोपों की झड़ी लगा दी है। यहां तक कि जिस माइङ्क्षनग के चक्कर में पंजाब के एक मंत्री को अपना पद छोडऩा पड़ा, उसकी तपिश से राणा के.पी. भी अछूते नहीं रह पाए हैं। विपक्ष का आरोप है कि माइङ्क्षनग  में स्पीकर के रिश्तेदार तक शामिल हैं। हालांकि  अपने शांत स्वभाव की वजह से अलग पहचान रखने वाले राणा के.पी. को यह आरोप ज्यादा विचलित नहीं करते हैं। ‘पंजाब केसरी’ के ब्यूरो प्रमुख अश्वनी कुमार के साथ बातचीत में उन्होंने अपने एक साल के कार्यकाल व विपक्ष द्वारा किए जा रहे हमलों का बेबाकी से जवाब दिया।


   

 एक वर्ष पूरा हो चुका है, बतौर स्पीकर आपका अब तक का अनुभव कैसा रहा है?
मेरा अनुभव बहुत अच्छा रहा है। पार्लियामैंटरी डैमाक्रेसी की सुन्दरता है कि डिबेट होती है, डिसक्शन होती है। कुछ पर सबकी एक राय होती है, कुछ पर नहीं होती। यह ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां तमाम राजनीतिक, धार्मिक  मुद्दों के अलावा स्थानीय मुद्दों की नुमाइंदगी करने वाले मौजूद हैं। 
     

विपक्ष आरोप लगाता है कि आप केवल एक पक्ष की भाषा बोलते हैं, उनकी नहीं सुनते हैं?
यह बेबुनियाद आरोप है। मैंने कभी किसी पार्टी का पक्ष नहीं लिया। सभी मेरे लिए बराबर हैं बल्कि हकीकत तो यह है कि सत्ता पक्ष की बजाय मैंने विपक्ष को ज्यादा तरजीह दी है क्योंकि उनके पास मुद्दे उठाने का सबसे उचित समय विधानसभा सत्र ही होता है।  
   

 सदन के भीतर मंत्री व विधायक एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हुए सीधे भिड़ जाते हैं। क्या इससे सदन की मर्यादा को ठेस नहीं पहुंचती है?
देखिए, सदन की बैठकों में सार्थक चर्चा हुई है। कई विधायकों ने सदन में प्रदेशवासियों के ज्वलंत मुद्दे उठाए हैं व अपने-अपने तरीके से सदन में अपनी बात को कहा है। इतने लंबे सत्र में चर्चा के दौरान अगर कोई छिटपुट घटना हो भी गई है तो मैं नहीं समझता कि पूरे सत्र को इस ढंग से पेश किया जाए कि सदन में तो गड़बड़ी का ही माहौल रहता है। 
     

पूर्व मंत्री ने तो बीते सत्र में सदन के भीतर अपशब्द बोल दिए, क्या कहेंगे?
जब भी सदन में अपशब्दों का इस्तेमाल होता है तो अफसोस होता ही है। मैं मानता हूं कि सदन में हमेशा मर्यादित भाषा का इस्तेमाल होना चाहिए। पवित्र सदन की गरिमा तभी संभव है कि जब सभी विधायकों का व्यवहार गरिमा के अनुकूल हो। 
     

 

विपक्ष कांग्रेस नेताओं पर अवैध माइनिंग के आरोप लगा रहा है, आपके दामाद को भी कटघरे में खड़ा किया है?
मुझे अफसोस है कि आरोप का स्तर काफी गिर गया है। मैं आनंदपुर विधानसभा की नुमाइंदगी करता हूं, जहां 180 स्टोन क्रशर चलते हैं। यह सभी वैध हैं।

 

इनमें एक स्टोन क्रशर मेरे दामाद का भी है, इसमें क्या गलत है? 
अगर कोई रिश्तेदार हो गया तो इसका यह मतलब नहीं  कि वह कोई कारोबार नहीं कर सकता। गलत तो तब है, जब कारोबार में कोई अनियमितता हो या अवैध हो। 


विपक्ष ने विधानसभा में हुई कर्मचारियों की भर्ती पर सवाल उठाए हैं?
जो भर्ती आज तक होती थी, वह वॉक इन इंटरव्यू होती थी कि स्पीकर के चैंबर में जो भी आया, उन्होंने उसे अपनी मर्जी मुताबिक नौकरी दे दी। यह पहली मर्तबा हुआ है कि हमने सभी पदों के लिए विज्ञापन जारी किए। भर्ती के लिए कमेटियां बनाई गईं। कानून के मुताबिक जो प्रक्रिया पूरी की जानी चाहिए थी, वह की गई ताकि पारदर्शिता बनी रहे। फिर भी अगर किसी को इस पर एतराज है तो कानून के दरवाजे सबके लिए खुले हैं। 


     

विधानसभा सत्र की समयाविधि को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। विपक्ष कहता है कि सत्र काफी छोटे रखे जाते हैं, दिन कम होते हैं?
किसी भी सत्र की समयाविधि को सरकार द्वारा प्रस्तावित किया जाता है। यह प्रस्ताव बिजनैस एडवाइजरी कमेटी के पास जाता है। इस कमेटी में सत्ता पक्ष के अलावा नेता विपक्ष सहित सभी पार्टियों के सदस्य होते हैं। इस बार भी सरकार ने जो समयाविधि प्रस्तावित की थी, उसमें हमने दो बैठकों का इजाफा किया। यह बढ़ौतरी तभी की जाती है जब देखा जाता है कि विधानसभा के सामने काम कितना है। मैं नहीं समझता कि काम के बिना विधानसभा का सत्र चलाना चाहिए। 
   

विधानसभा को पेपरलैस कब तक कर दिया जाएगा?
विधानसभा को 2018 में ही पेपरलैस कर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने इस पर सहमति जताई है कि वि.स. को पेपरलैस करने में जो भी खर्च आएगा, वह सरकार वहन करेगी। वि.स. का पूरा रिकॉर्ड डिजीटलाइज्ड किया जाएगा। आने वाले समय में प्रदेश के नागरिक वैबसाइट के जरिए विधानसभा के कार्यों का ब्यौरा ले सकेंगे। 

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