Edited By Updated: 07 Feb, 2017 02:01 AM
इन विधानसभा चुनावों में लोगों ने सोशल मीडिया का जमकर उपयोग किया जिसमें अपना प्रचार करने के
लुधियाना(हितेश): इन विधानसभा चुनावों में लोगों ने सोशल मीडिया का जमकर उपयोग किया जिसमें अपना प्रचार करने के अलावा उम्मीदवारों, राजनीतिक पाॢटयों व उनके समर्थकों ने दूसरों के खिलाफ माहौल बनाने के लिए भी सोशल मीडिया का हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया। इसमें एक और नई बात यह रही कि हर कोई अपनी सहूलियत का फर्जी सर्वे बनाकर वायरल करता रहा।
लोगों ने तो अकाल तख्त का फर्जी हुकमनामा तक बना डाला और आप व कांग्रेस नेताओं द्वारा हाईकमान को कमजोर स्थिति बारे लिखी चिट्ठियां तक जारी हुईं लेकिन बाद में उनको जाली बताया गया और फिर आडियो टैप बनाकर एक-दूसरे के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश की। इस दौर में नई बात यह हुई कि लोगों ने खुफिया विभाग का मजाक बनाकर रख दिया जिसमें बाकायदा लैटरपैड या विभागीय दस्तावेजों की शक्ल में पार्टियों को बहुमत मिलने की रिर्पोटें अब वायरल हो रही हैं। इसे लेकर खुफिया विभाग की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
नतीजों की कैलकुलेशन में जुटे उम्मीदवार
विधानसभा चुनावों के लिए आचार संहिता लागू होने के ठीक एक महीने बाद चुनावी प्रक्रिया शनिवार को खत्म हो गई है लेकिन 117 सीटों के लिए 1145 उम्मीदवारों की सियासी किस्मत ई.वी.एम्स में बंद होने के बाद अब फैसला 37 दिन बाद यानी 11 मार्च को आएगा। इतने दिनों में उम्मीदवारों के पास अपने परिवार को देने के बाद जो समय बचेगा, उसमें वर्करों या अन्य समर्थकों को मिलने का प्रोग्राम है लेकिन ज्यादा समय चुनाव परिणाम को लेकर चर्चा में ही बीतेगा जिसकी शुरूआत मतदान खत्म होने के बाद ही हो गई थी और रविवार व सोमवार को भी दिनभर जारी रही।
उम्मीदवारों ने बूथ वाइज हुई वोटिंग की डिटेल ली और पोलिंग एजैंटों या बाहर बूथ पर बैठे लोगों से अपने प्रति रहे रुझान की जानकारी ली। हालांकि पार्टी के समर्थक तो अच्छा-अच्च्छा ही बताएंगे, जो बात उम्मीदवारों को भी पता है, जिस कारण उन्होंने विभिन्न इलाकों में गैर राजनीतिक लोगों को फोन करके वहां चुनाव के दौरान रहे माहौल बारे भी बात की। इस दौरान उम्मीदवारों को उनके विरोध में चले कई करीबियों बारे पता चला और कई जगह शराब व पैसों के दम पर विरोधियों द्वारा वोटें खरीदने का खुलासा हुआ। खास बात यह रही कि फीड बैक के आधार पर दूसरे की कमियां निकाल कर अपनी जीत व लीड को लेकर हर कोई दावे करता नजर आया।
चुनावी चैकिंग बंद होने से कैश साथ लेकर चलने वालों ने ली राहत की सांस
पंजाब में विधानसभा चुनावों को लेकर लगी आचार संहिता के तहत पुलिस ने चप्पे-चप्पे पर नाकाबंदी करके व्यापक स्तर पर जो तलाशी अभियान चलाया, उसके तहत शराब, ड्रग्स व अपराधियों की काफी धरपकड़ हुई लेकिन इस चक्कर में 50 हजार से ज्यादा की नकदी लेकर जाने वाले व्यापारियों, बैंक स्टाफ व राजनीतिक दलों या उम्मीदवारों के स्टीकर आदि लगी गाडिय़ां लेकर चलने वालों को काफी दिक्कत आई क्योंकि जगह-जगह रोक कर की गई चैकिंग के दौरान पकड़ा गया कैश पुलिस ने लाख दलीलें देने के बावजूद नहीं छोड़ा। अगर कोई सिफारिश लड़वाने में कामयाब भी हुआ तो यह कह कर उसकी एक नहीं सुनी गई कि मौके पर चुनाव आयोग व अद्र्धसैनिक बलों की टीम होने के कारण वीडियोग्राफी की गई है।
लोगों द्वारा यह पैसा बैंक में जमा करवाने के लिए ले जाने या कहीं से पेमैंट लेकर आने के सबूत दिखाने के बावजूद पुलिस से उसे इंकम टैक्स विभाग को सौंपकर नई समस्या खड़ी कर दी। इस दौरान लोगों में इतना खौफ पैदा हो गया था कि वह पैसा साथ लेकर चलने से गुरेज करने लगे और अगर कहीं जरूरी कैश ले जाना भी पड़ता तो अंदरूनी सड़कों को चुना या एक गाड़ी के आगे दूसरा वाहन लगाकर पहले नाका न लगा होने की पुष्टि की गई। अगर नाका लगा होता तो दूसरा रास्ता अपनाया जाता।
यही तरीका उम्मीदवारों व उनके समर्थकों ने पैसा व शराब साथ लेकर चलने के लिए भी अपनाया लेकिन चुनावों से एक दिन पहले सारी फोर्स के पोलिंग बूथों पर जाने व अब ई.वी.एम्स रखने के लिए बनाए गए प्वाइंटों पर तैनात होने के कारण लोगों को राहत मिली है क्योंकि मतदान समाप्त होते ही सारे नाके हटा लिए गए हैं।